राजनीति: बीआरएस विधायक का एक और यू-टर्न, तेलंगाना के सीएम से की मुलाकात

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) विधायक बंदला कृष्ण मोहन रेड्डी ने एक बार फिर यू-टर्न लिया है। उन्होंने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी से मुलाकात की और कांग्रेस पार्टी में बने रहने की इच्छा जताई।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-02 09:22 GMT

हैदराबाद, 2 अगस्त (आईएएनएस)। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) विधायक बंदला कृष्ण मोहन रेड्डी ने एक बार फिर यू-टर्न लिया है। उन्होंने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी से मुलाकात की और कांग्रेस पार्टी में बने रहने की इच्छा जताई।

पिछले महीने बीआरएस छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए कृष्ण मोहन रेड्डी ने मंगलवार को बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव से मुलाकात के बाद बीआरएस में वापसी की घोषणा की थी।

शुक्रवार को कृष्ण मोहन रेड्डी और आबकारी एवं पर्यटन मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव ने मुख्यमंत्री से उनके आवास पर मुलाकात की। दोनों विधानसभा सत्र में भाग लेने के लिए एक साथ रवाना हुए।

मुख्यमंत्री से मुलाकात से एक दिन पहले आबकारी मंत्री ने कृष्ण मोहन रेड्डी से मुलाकात कर उन्हें सत्तारूढ़ पार्टी में बने रहने के लिए राजी किया था।

कृष्ण मोहन रेड्डी अविभाजित महबूबनगर जिले के गडवाल निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री दोनों इसी जिले से हैं।

गडवाल विधायक ने मंगलवार को विधानसभा में रामा राव से मुलाकात कर बीआरएस में लौटने की इच्छा जताई थी। वह कथित तौर पर इस बात से नाखुश थे कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के कुछ कांग्रेस नेता उनके पार्टी में शामिल होने का विरोध कर रहे थे।

उन्होंने मंत्री को यह भी बताया कि सरकार को उनके निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए कदम उठाने होंगे। उन्होंने अपने समर्थकों को यह विश्वास दिलाया था कि वह निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए कांग्रेस में शामिल हुए हैं। कृष्ण राव ने विधायक को आश्वासन दिया कि सरकार इस दिशा में कदम उठाएगी।

कृष्ण मोहन रेड्डी मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की मौजूदगी में 6 जुलाई को सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हुए थे। वह बीआरएस के उन 10 विधायकों में शामिल थे, जो मार्च से अब तक कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।

दलबदलुओं में से एक पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पोचाराम श्रीनिवास रेड्डी ने बुधवार को डिनर का आयोजन किया था। इस बैठक में मुख्यमंत्री, कुछ मंत्री और दलबदलू नेता शामिल हुए थे। दलबदलुओं को सत्तारूढ़ पार्टी में अच्छे राजनीतिक भविष्य का आश्वासन दिया गया था।

बीआरएस को 119 सदस्यीय विधानसभा में 39 सीटें मिली थीं। हालांकि, 10 विधायकों के दलबदल और सिकंदराबाद कैंटोनमेंट विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के हाथों हार के बाद उसका संख्या बल घटकर 28 रह गया है। कांग्रेस पार्टी के विधायकों की संख्या बढ़कर 72 हो गई है।

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