स्वास्थ्य/चिकित्सा: मजिस्ट्रियल जांच के आदेश के बाद दिल्ली स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप, आशा किरण से बीमारों को अस्पताल पहुंचना शुरू
दिल्ली के रोहिणी स्थित आशा किरण शेल्टर होम मामले में मंत्री आतिशी ने यहां हुई मौतों पर मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही प्राथमिक जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए 48 घंटे की डेडलाइन दी है। इसके बाद समाज विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मच गया है।
नई दिल्ली, 3 अगस्त (आईएएनएस)। दिल्ली के रोहिणी स्थित आशा किरण शेल्टर होम मामले में मंत्री आतिशी ने यहां हुई मौतों पर मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही प्राथमिक जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए 48 घंटे की डेडलाइन दी है। इसके बाद समाज विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मच गया है।
शनिवार सुबह से ही एंबुलेंस का तांता आशा किरण होम में देखा जा रहा है। यहां पर बीमार लोगों को पास के ही अंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है।
इस मामले में शुक्रवार को ही आतिशी ने कहा था कि एक महीने में 14 मौतों का होना बेहद गंभीर बात है। हमने इस पर मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं और प्राथमिक जांच रिपोर्ट के लिए 48 घंटे की डेडलाइन दी है।
उनके मुताबिक, जांच में किसी भी अफसर, डॉक्टर, नर्स, केयर गिवर, एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ की लापरवाही पाई जाती है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि शुरुआती जानकारी के अनुसार, मृतकों में से कई मानसिक दिव्यांगता के अलावा अन्य कई शारीरिक समस्याओं से ग्रस्त थे। अभी मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आना बाकी है। पोस्टमार्टम और मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट से मौतों की असल वजह साफ होगी।
आतिशी ने कहा था, "मैं दिल्ली के लोगों को भरोसा दिलाना चाहती हूं, यदि कोई भी मौत लापरवाही या गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार से हुई है तो संबंधित अफसर को बख्शा नहीं जायेगा।"
दिल्ली सरकार का सामाजिक विकास विभाग आशा किरण के नाम से एक शेल्टर होम चलाता है। ये शेल्टर होम मानसिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों के लिए है, जहां 980 मानसिक रूप से दिव्यांग व्यक्ति रहते है। यहां बहुत से ऐसे व्यक्ति हैं जो दिव्यांगता की गंभीर श्रेणी में हैं और उनके साथ ही अन्य कई शारीरिक समस्याओं से ग्रस्त हैं जो बेडरेस्ट पर होते हैं और उनकी पूरी तरह से दूसरों पर निर्भरता होती है।
दरअसल आशा किरण होम में 24/7 मेडिकल केयर यूनिट मौजूद होता है। जिसमें 6 डॉक्टर और 17 नर्सें शामिल है। यहां 450 केयर-गिवर भी हैं जो 3 शिफ्ट में 24 घंटे काम करते हैं। इस होम में ज़्यादातर बेसहारा छोड़े गए लोग होते हैं।
जानकारी के मुताबिक जुलाई के महीने में आशा किरण होम में 14 मौतें हुई हैं। मृतकों में से 13 वयस्क हैं। इन 14 मौतों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी नहीं आई है, लेकिन शुरुआतों जांचों से पता चला है कि मृतकों में से बहुत मानसिक दिव्यांगता के अलावा अन्य कई शारीरिक समस्याओं से ग्रसित थे।
दिल्ली सरकार के मुताबिक, इस मामले में अगर कोई दोषी पाया गया तो उसके ऊपर सरकारी कार्रवाई के अलावा पुलिस द्वारा कार्रवाई भी की जायेगी। दिल्ली सरकार के इस फैसले के बाद अब स्वास्थ्य विभाग और समाज विकास विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। लगातार डॉक्टरों की टीम आशा किरण पहुंच रही है और जो ज्यादा बीमार लोग हैं उन्हें अस्पताल में शिफ्ट किया जा रहा है।
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