व्यापार: देश का सेवा निर्यात 2030 तक वस्तु निर्यात को कर जाएगा पार रिपोर्ट

भारत के सेवा क्षेत्र का तेजी से विस्तार हो रहा है। आने वाले समय में सेवा निर्यात को लेकर भी शानदार वृद्धि देखे जाने की उम्मीद की जा रही है। देश का सेवा निर्यात साल 2030 तक वस्तु निर्यात को पार कर सकता है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक भारत का सेवा निर्यात 2030 तक वस्तु निर्यात से आगे निकल जाएगा।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-21 09:58 GMT

नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। भारत के सेवा क्षेत्र का तेजी से विस्तार हो रहा है। आने वाले समय में सेवा निर्यात को लेकर भी शानदार वृद्धि देखे जाने की उम्मीद की जा रही है। देश का सेवा निर्यात साल 2030 तक वस्तु निर्यात को पार कर सकता है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक भारत का सेवा निर्यात 2030 तक वस्तु निर्यात से आगे निकल जाएगा।

जीटीआरआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2030 तक सेवा निर्यात 618.21 बिलियन डॉलर पहुंचने का अनुमान है, जो 613.04 बिलियन डॉलर के माल निर्यात से अधिक है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019 और वित्त वर्ष 2024 के बीच, सेवा निर्यात 10.5 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा, जो कि माल निर्यात के 5.8 प्रतिशत सीएजीआर से लगभग दोगुना है। देश का सेवा क्षेत्र मुख्य रूप से आईटी और सॉफ्टवेयर द्वारा संचालित है, इसके अलावा क्षेत्र अन्य व्यावसायिक सेवाओं (ओबीएस) द्वारा संचालित है।

रिपोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में कुल सेवा निर्यात में इनका हिस्सा 86.4 प्रतिशत था। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाओं’ के तहत सॉफ्टवेयर और आईटी सेवाओं ने वित्त वर्ष 2024 में भारत के कुल सेवा निर्यात में 190.7 बिलियन डॉलर या 56.2 प्रतिशत का योगदान दिया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) और डिजिटल परिवर्तन में इनोवेशन वैश्विक स्तर पर भारत की आईटी विशेषज्ञता की मांग को बढ़ा रहे हैं, इनमें से लगभग 80 प्रतिशत सेवाएं डिजिटल रूप से प्रदान की जाती हैं।

ओबीएस में कानूनी, कर, परामर्श और मार्केट रिसर्च सेवाएं शामिल हैं। ओबीएस ने वित्त वर्ष 2024 में 102.8 बिलियन डॉलर या कुल सेवा निर्यात का 33.2 प्रतिशत हिस्से का योगदान दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि ओबीएस विकास में आईटी सेवाओं से आगे निकलने के लिए तैयार है, क्योंकि मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस को लेकर स्पेशलाइज्ड एक्सपर्टाइज्ड और इंटीग्रेशन की मांग में तेजी से वृद्धि हो रही है।

रिपोर्ट के अनुसार, "आईटी और ओबीएस में अपने प्रभुत्व के बावजूद, भारत परिवहन, यात्रा, वित्तीय सेवाओं और बीमा जैसे अन्य वैश्विक सेवा क्षेत्रों में कम प्रतिनिधित्व वाला बना हुआ है, जो सामूहिक रूप से वैश्विक सेवा व्यापार का 64 प्रतिशत हिस्सा है। वित्त वर्ष 2024 के दौरान, भारत का व्यापारिक निर्यात पिछले वित्त वर्ष के 451.07 बिलियन डॉलर से घटकर 437.06 बिलियन डॉलर रहा। इसी अवधि में माल का आयात 715.97 बिलियन डॉलर से घटकर 677.24 बिलियन डॉलर रह गया। इस बीच, भारत का सेवा निर्यात वित्त वर्ष 2024 में 339.62 बिलियन डॉलर रहा, जो पिछले वित्त वर्ष में 325.33 बिलियन डॉलर था, जबकि आयात वित्त वर्ष 2023 में 182.05 बिलियन डॉलर से घटकर 177.56 बिलियन डॉलर रह गया। माल और सेवाओं सहित कुल व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2023 में 121.62 बिलियन डॉलर से घटकर वित्त वर्ष 2024 में 78.12 बिलियन डॉलर रह गया।"

सेवा निर्यात में गति बनाए रखने के लिए, जीटीआरआई ने अमेरिका से परे आईटी निर्यात में विविधता लाने, नॉन-गल्फ बाजारों में ओबीएस को बढ़ावा देने और परिवहन और वित्तीय सेवाओं जैसे कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों में विस्तार करने की सिफारिश की।

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