विदेश दौरा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यूएई में जोरदार स्वागत, राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से साथ बैठक
- अबू धाबी में बैठक
- भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच समझौता
- पीएम मोदी ने यूएई के राष्ट्रपति का आभार व्यक्त किया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान गले मिले। पीएम मोदी के आगमन पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। दोनों नेताओं के बीच अबू धाबी में बैठक हुई।
संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच समझौता ज्ञापन(एमओयू) का आदान-प्रदान हुआ।
पीएम नरेंद्र मोदी ने यूएई के राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान कहा, "मेरा निमंत्रण स्वीकार करने और वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन के लिए मेरे गृह राज्य गुजरात आने के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। आपने इस आयोजन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है और दुनिया में इसकी प्रतिष्ठा बढ़ी है।
आपको बता दें कुछ दिन पहले यूएई के अबूधाबी में हिंदू मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के लिए महंतस्वामी महाराज पहुंचे हैं। महंतस्वामी महाराज का राजकीय अतिथि के तौर पर स्वागत किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 14 फरवरी को अबूधाबी में हिंदू मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे। अबूधाबी के शेख नाहयान मुबारक अल नाहयान ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि हमारे देश में आपका स्वागत है। मुझे आपका आशीर्वाद मिला ये मेरे सौभाग्य की बात है, मुझे आपके आशीर्वाद की अनुभूति हो रही है।
अबूधाबी के शेख ने कहा हमारे देश में आपकी मौजूदगी से हम धन्य हैं। उल्लेखनीय है कि 2015 में अबूधाबी के क्राउन प्रिंस और यूएए शेख मोहम्मद बिन जायद नाहयान ने मंदिर के निर्माण के लिए 13.5 एकड़ जमीन भेंट में दी थी। उसके बाद जनवरी 2019 में 13.5 एकड़ भूमि और प्रदान की गई। जिसके बाद कुल 27 एकड़ भूमि मंदिर को उपहार में दी गई।
आपको बता दें बीएपीएस संस्था द्वारा निर्मित यह मंदिर मध्य पूर्व में पारंपरिक हिंदू वास्तुकला शैली में पहला पाषण निर्मित मंदिर है,अबूधाबी में स्थित यह भव्य मंदिर भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच मैत्री, सांस्कृतिक सद्भाव व सहयोग की भावना का प्रतीक है। अबू धाबी में बीएपीएस हिंदू मंदिर वैश्विक सद्भाव, अतीत की समृद्ध विरासत का उत्सव मनाने और भविष्य का मार्गदर्शन करने के लिए एक आध्यात्मिक द्वीप के रूप में उभरा है। पूज्य ब्रह्मविहरिदास स्वामी ने कहा कि यह मंदिर परम पूज्य महंत स्वामी महाराज की आध्यात्मिकता का नतीजा है। ये मंदिर यूएई और भारत दोनों देशों के नेतृत्व और बीएपीएस संगठन की उदारता, ईमानदारी और मित्रता का एक शाश्वत प्रमाण है