रूस -यूक्रेन जंग: रूसी सेना में भर्ती दो भारतीय नागरिक मारे गए हैं, विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी

  • पार्थिव शरीर को स्वदेश लाने का सरकार कर रही है प्रयास
  • रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष में मारे गए
  • रूस में रोजगार के अवसर तलाशते समय सावधानी बरतें भारतीय-विदेश मंत्रालय

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-12 05:27 GMT

डिजिटल डेस्क, मास्को। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष में रूसी सेना में भर्ती किए गए दो भारतीय नागरिक हाल ही में मारे गए हैं। सरकार उनके पार्थिव शरीर को स्वदेश लाने की कोशिश में जुटी हुई है। विदेश मंत्रालय ने आज देर रात यह जानकारी देते हुए कहा, "हमें यह बताते हुए दुख हो रहा है कि रूसी सेना में भर्ती किए गए दो भारतीय नागरिक हाल ही में रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष में मारे गए हैं। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में आगे कहा है कि हम भारतीय नागरिकों से भी आग्रह करते हैं कि वे रूस में रोजगार के अवसर तलाशते समय सावधानी बरतें।

विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी करते हुए  कहा गया कि हम मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। मास्को में हमारे दूतावास ने रक्षा मंत्रालय सहित रूसी अधिकारियों पर दोनों भारतीय नागरिकों के मृत शरीर को  शीघ्र स्वदेश वापसी के लिए दबाव डाला है।

भारतीय समाचार एजेंसी यूनीवार्ता के मुताबिक विदेश मंत्रालय और मास्को में भारतीय दूतावास ने रूसी सेना में शामिल सभी भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई और वापसी के लिए क्रमशः नयी दिल्ली में रूसी राजदूत और मास्को में रूसी अधिकारियों के साथ मामले को दृढ़ता से उठाया है। भारत ने यह भी मांग की है कि रूसी सेना द्वारा भारतीय नागरिकों की किसी भी आगे की भर्ती पर सत्यापित रोक लगाई जाए। ऐसी गतिविधियाँ हमारी साझीदारी के अनुरूप नहीं होंगी। 

खबरों के मुताबिक इस साल मार्च में हैदराबाद निवासी 30 वर्षीय मोहम्मद असफान की यूक्रेन के साथ अग्रिम मोर्चे पर रूसी सैनिकों के साथ सेवा करते समय लगी चोटों के कारण मृत्यु हो गई। वहीं, फरवरी में गुजरात के सूरत निवासी 23 वर्षीय हेमल अश्विनभाई मंगुआ की डोनेट्स्क क्षेत्र में सुरक्षा सहायक के रूप में सेवा करते समय यूक्रेनी हवाई हमले में मृत्यु हो गई। विभिन्न खबरों के अनुसार करीब 200 भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में सुरक्षा सहायक के तौर पर भर्ती किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि रूसी सेना के साथ सहायक स्टाफ के रूप में काम करने वाले कुल 10 भारतीयों की रिहाई के बाद उन्हें भारत वापस भेज दिया गया है

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