'राम मंदिर' के अहम किरदार: भेष बदलने में सुभाष चंद्र बोस से कम नहीं थी ये कारसेवक, बाल मुंडवा कर पुलिस को दिया था चकमा
- ये थी राम मंदिर की अहम किरदार
- बाबरी मस्जिद ढहाने में अहम भूमिका
- मप्र की पहली महिला मुख्यमंत्री
डिजिटल डेस्क, भोपाल। वेष बदलने में सुभाष चंद्र बोस से कम नहीं थी ये कारसेवक, बाल मुंडवा कर पुलिस को दिया था चकमाडिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में 6 दिसंबर 1992 की घटना बेहद अहम थी। मंदिर आंदोलन के इतिहास में यह घटनाक्रम बाबरी विध्वंस के नाम से प्रसिद्ध है। विश्व हिंदू परिषद और दूसरे हिंदूवादी संगठनों के गठजोड़ से इस दिन अयोध्या के राम जन्मभूमि पर राजनीतिक रैली आयोजित की गई। इस रैली में करीब 1.5 हिंदुओं ने भाग लिया और थोड़ी देर बाद रैली हिंसक हो गई। हिंसक भीड़ ने बाबरी मस्जिद का ढांचा तोड़कर गिरा दिया। इस घटना की जब जांच हुई तो कुल 68 लोगों को दोषी करार दिया गया। इस सूची में मंदिर आंदोलन के कई प्रमुख नेताओं का नाम था, जिसमें से एक महत्वपूर्ण नाम उमा भारती का भी था। राम जन्मभूमि आंदोलन में उमा भारती की भूमिका खास रही है। बाबरी विध्वंस के समय उमा भारती न सिर्फ मौके पर मौजूद थी बल्कि, बाबरी विध्वंस को बढ़ावा देने का काम भी कर रही थीं।
बाबरी विध्वंस में उमा भारती की भूमिका
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाबरी विध्वंस के दिन उमा भारती मस्जिद से कुछ ही दूर वरिष्ठ नेताओं के साथ मंच पर बैठी थीं। माना जाता है कि इस दौरान उन्होंने अपने भड़काऊ भाषणों से मस्जिद तोड़ने के लिए कारसेवकों को उकसाने का काम किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उमा भारती ने मंच से "एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो" का नारा देकर कारसेवकों को विवादित ढांचा गिराने के लिए उकसाया। बाबरी विध्वंस में उमा भारती की भूमिका को वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा ने भी अपनी किताब 'युद्ध में अयोध्या' में रेखांकित किया है। किताब के मुताबिक, विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद उमा भारती ने मंच से कारसेवकों से कहा, "अभी काम पूरा नहीं हुआ है, आप तब तक परिसर न छोड़ें जब तक पूरा इलाका समतल न हो जाए।"
बाल मुंडवा कर दिया था पुलिस को चकमा
राम मंदिर आंदोलन के सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रमों में से एक बाबरी विध्वंस के दौरान उमा भारती को खूब चर्चा मिली। साध्वी ऋतंभरा की तरह उमा भारती के बयानों का ऑडियो टेप भी हिदी पट्टी में खूब बांटी जाती थी। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उमा भारती ने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान कहा, "मंदिर बनाने के लिए अगर जरूरत पड़ी तो हम अपनी हड्डियों को ईंट बना देंगे और लहू को गारा।"
आंदोलन के दौरान उन्होंने अपने पसंदीदा लंबे बालों का त्याग कर मुंडन करवा लिया था। 90 के दशक में सरकार ने विवाद के कारण हिंदुओं द्वारा राम जन्मभूमि माने जाने वाले बाबरी मस्जिद को बंद कर दिया था। वहां लोगों के जाने की मनाही थी तब उमा भारती ने बाल मुंडवा कर लड़के का भेष बना लिया और पुलिस को चकमा देकर विवादित स्थल पर जाने में कामयाब हुईं। 1990 में भाजपा के जयपुर अधिवेशन ने इस घटना की कहानी सुनाते हुए कहा, "मुझे मेरे लंबे बाल बहुत प्यारे थे, पर मैं एक मंदिर में गई और नाई से अपने सिर के सारे बाल साफ करा लिए। जब सर गंजा हो गया, तब अयोध्या की सख्त सुरक्षा के बावजूद मैं एक लड़के के भेष में दाखिल होने में कामयाब रही।"
आंदोलन के जरिए मिली राजनीतिक पहचान
राम मंदिर आंदोलन में उमा भारती ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया जिसके चलते उन्हें एक विशिष्ट राजनीतिक पहचान बनाने में कामयाबी मिली। इस दौरान अपने भड़काऊ भाषण के कारण उन्हें खूब चर्चा मिली। उमा भारती ने 1980 के दशक में सक्रिय राजनीति में कदम रखा। 1988 में उन्हें भाजपा के मध्य प्रदेश इकाई का उपाध्यक्ष बनाया गया। 1984 में उमा ने अपने राजनीतिक करियर का पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 1984 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ दो सीटों पर जीत हासिल हुई।
1989 में भाजपा ने विश्व हिन्दू परिषद को राम मंदिर आंदोलन में समर्थन देने का प्रस्ताव दिया। उमा भारती ने आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और इस दौरान विहिप और भाजपा के बड़े नेताओं के संपर्क में आई। 1989 के लोकसभा चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुआ और वह सांसद बनीं। इसके बाद उमा भारती का राजनीतिक सफर लगातार चलता रहा और 2003 में वो मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री बनने में भी कामयाब रहीं।