नीटी पीजी परीक्षा 2024: परीक्षा टालने के लिए लगी याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया रुख- आखिरी समय में लाखों छात्रों के करियर से नहीं कर सकते खिलवाड़
- नीट यूजी परीक्षा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई
- परीक्षा को न टालने का दिया सुनाया फैसला
- छात्रों के करियर को खतरे में डालने की कही बात
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नीट पीजी परीक्षा मामले में बड़ा फैसला लिया है। कोर्ट ने नीट पीजी परीक्षा को टालने की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि देशभर में लाखों छात्र परीक्षा देने वाले हैं। ऐसे में ऐन वक्त पर परीक्षा को टालने का आदेश नहीं दे सकते हैं। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि कई छात्रों को ऐसे शहरों में परीक्ष केंद्र मिले हैं। जहां पर पहुंच पाना इतना आसान नहीं है।
याचिका में बताया गया है कि केंद्र का आवंटन ठीक तरह से नहीं किया गया है। लेकिन, कम समय सीमा होने की वजह से परीक्षार्थियों को अलग-अलग शहरों में यात्रा की व्यवस्था कर पाना कठिन होगा। इससे पहले नीट यूजी परीक्षा 23 जून को होनी थी। लेकिन, कुछ अन्य परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं को देखते हुए परीक्षा को होल्ड कर दिया गया था।
कोर्ट ने आदेश में कही ये बात
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बैंच ने नीट पीजी परीक्षा मामले की सुनवाई की। इस दौरान उन्होंने कहा कि पांच छात्रों के कारण 2 लाख छात्रों के करियर को खतरे में नहीं डाल सकते हैं। इसके जवाब में याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि इस संबंध में उन्हें करीब 50 हजार से ज्यादा छात्रों के मैसेज आए हैं।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने एक अन्य मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कोर्ट में कहा, "यह परीक्षा दो बैचों में आयोजित की जानी है और उम्मीदवारों को नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला नहीं पता है, जिससे मनमानी की आशंकाएं पैदा होती है।"
याचिकाकर्ताओं के वकील ने दिया तर्क
इसके बाद याचिक में कहा गया, "दो लाख से अधिक छात्र इस परीक्षा में शामिल होने वाले हैं। यह परीक्षा 185 परीक्षा शहरों में आयोजित की जानी है, इस वजह से ट्रेन टिकट उपलब्ध नहीं होंगे और हवाई किराए में भी बढ़ोतरी होगी, जिससे बड़ी संख्या में छात्रों के लिए अपने परीक्षा केंद्रों तक पहुंचना लगभग असंभव हो जाएगा।"
कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने परीक्षा टालने के संबंध में तर्क दिया कि पारदर्शिता की कमी और दूर पर एग्जाम सेंटर होने का नुकसान परीक्षार्थियों को परीक्षा में चुकाना पड़ सकता है। याचिकाकर्ताओं में से एक विशाल सोरेने का कहना है कि परीक्षा को एक ही बैच में आयोजित करने से कैंडिडेट्स को एक समान परीक्षा का माहौल मिलेगा।