चाय के प्याले में 'तूफान': आपकी चाय पर पड़ी मौसम की मार, बाढ़ की वजह से चाय की कीमत में आया उफान, इन टी स्टेट का बुरा हाल

  • चाय उत्पादन में गिरावट
  • बाढ़ से हाल बेहाल
  • कीमतों में बढ़त

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-12 06:59 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस साल चाय का उत्पादन पिछले साल की तुलना में करीब 30 प्रतिशत कम हुआ है। चाय खरीदने वाले लोगों की संख्या बहुत है और चाय के उत्पादन की संख्या कम हो गई है। जिसके चलते चाय की कीमतों में करीब 20 फीसदी की बढ़त हुई है। भारत में चाय की कीमतें बढ़ चुकी हैं और इनके बढ़े रहने की ही संभावना जताई जा रही है। क्योंकि चाय तोड़ने के समय में मौसम खराब होने लगा है। गर्मी और बाढ़ के चलते प्रमुख उत्पादन में कमी आ रही है। पिछले दस वर्षों के चलते चाय की कीमतों में सामान्य वृद्धि देखने को मिली है। वहीं इस साल चाय की कीमतें आसमान छूती नजर आ सकती हैं। भारतीय चाय बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रभात बेजबरुआ ने कहा, "मौसम की गंभीर परिस्थितियां चाय उत्पादन को नुकसान पहुंचा रही हैं। मई में भीषण गर्मी और उसके बाद में असम में आई बाढ़ के कारण उत्पादन कम हो गया है।" साथ ही बेजबरुआ ने कहा कि सरकार के 20 कीटनाशकों पर रोक लगाने के फैसले से भी उत्पादन प्रभावित हुआ है।

इस साल चाय उत्पादन में गिरावट

भारत में मई के दौरान चाय का उत्पादन पिछले साल की तुलना में करीब 30 प्रतिशत से अधिक मात्रा में गिरकर केवल नौ करोड़ किलोग्राम रह गया है। यह बीते दस सालों से भी अधिक समय में अभी तक का सबसे कम सालाना उत्पादन रहा है। गर्मी और उसके बाद बाढ़ का असर पूर्वोत्तर राज्यों में दिखा है जिसमें असम भी शामिल है। असम में भारत का आधे से ज्यादा चाय उत्पादन होता है। कलकत्ता टी ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव कल्याण सुंदरम ने कहा है कि चाय की कीमत में बढ़ोतरी तब शुरू होगी जब भीषण गर्मी के कारण उत्पादन कम हो गया। हालांकि, टी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार जून के आखिरी सप्ताह में चाय की कीमत बढ़कर करीब 217.53 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। ये पिछले साल की तुलना में करीब 20 प्रतिशत अधिक है।

बाढ़ से हुई हालत टाइट

असम के जोरहाट के एक चाय के बाग के मालिक ने बताया कि जून के समय उत्पादन में सुधार आया था। लेकिन जुलाई में दोबारा बाढ़ आ गई जिसके चलते असम के कई जिलों में चाय कटाई कम हो गई। इस साल डेढ़ से दो करोड़ किलोग्राम की कमी का अनुमान लगाया जा रहा है। चाय उत्पादन में गिरावट से चाय की कीमत बढ़ना तय है। टी बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष बेजबरुआ का कहना है कि भारत ने 2023 में 1.3 अरब किलोग्राम चाय के उत्पादन का रिकॉर्ड बनाया था। वहीं 2024 की बात करें तो इस बार करीब 10 करोड़ किलोग्राम की गिरावट आ सकती है। कोलकाता के एक चाय व्यापारी ने कहा कि कम उत्पादन के चलते कीमतें आसमान छू सकती हैं। क्योंकि आर्थिक रूप से तंग और कर्जे में डूबे किसान बड़े खरीदारों से उंची कीमतों पर अपनी चाय बेचने की बात कर रहे हैं। भारत में चाय का कुल उत्पादन जुलाई से अक्टूबर के समय में तोड़ा जाता है।

चाय की कीमतों में बढ़त

टी बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष बेजहरुआ का कहना है कि 2024 में चाय की कीमतें पिछले साल के मुकाबले 16 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक ज्यादा हो सकती है। लेकिन इस बढ़त से निर्यात कार्यों में किसी प्रकार की कमी आने की संभावना नहीं है। क्योंकि कीटनाशकों पर रोक लगने के बाद कई खरीदारी अपनी खरीदारी बढ़ा रहे हैं। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस साल 2024 के पहले चार महीनों में ही भारत का चाय निर्यात 37 प्रतिशत तक बढ़ गया है। भारत सीटीसी ग्रेड चाय का निर्यात मुख्य रूप से मिस्र और ब्रिटेन को करता है। जबकि पारंपरिक तरीके की चाय का निर्यात ईरान, इराक और रूस को किया जाता है। 

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