अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा: बैक टू बैक दौरों के बाद दूसरे देशों से रिश्तों पर क्या बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर? कनाडा पर की खास चर्चा

  • एनडीटीवी ने आयोजित की 'वर्ल्ड समिट
  • विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लिया हिस्सा
  • भारत के साथ अन्य देशों को लेकर की चर्चा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-21 13:28 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को भारत के चीन, कनाडा और पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों को लेकर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कनाडा से रिश्तों में तल्खी, चीन से एलएसी विवाद और पाकिस्तान के दौरे पर विचार साझा किए। एस जयशंकर ने यह भी बताया कि भारत को किस देश से चुनौती या समस्या का सामना करना पड़ रहा है। एनडीटीवी की ओर से आयोजित 'वर्ल्ड समिट' में विदेश मंत्री ने कहा, "मैं यह नहीं कहूंगा कि पूरे पश्चिमी हिस्से को समझ नहीं है। वे लोग समझते हैं, बहुत लोग एडजस्ट भी करते हैं। कुछ कम करते हैं, कुछ ज्यादा पर मैं कहूंगा कि कनाडा इस मामले में पीछे है। उनके साथ रिश्तों की मौजूदा स्थिति की कल्पना करना कठिन है।"

भारत के चीन के साथ एलएसी विवाद पर की बातचीत

एस जयशंकर ने भारत और चीन के रिश्तों पर भी बेबाकी से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, "हम पड़ोसी हैं पर हमारी सीमा का मुद्दा अनसुलझा हुआ है। अगर एक ही समयकाल में दो देश आगे बढ़ रहे हैं तब स्थिति आसान नहीं होती है। मुझे लगता है कि कूटनीति की बहुत जरूरत पड़ेगी। हमारे बीच संतुलन कैसे आएगा, मुझे लगता है कि यह बड़ी चुनौती है।" एलएसी सीमा विवाद के सवाल पर विदेश मंत्री ने साफ तौर पर जवाब देते हुए कहा, "हम उस पैट्रोलिंग पर जा सकेंगे, जहां साल 2020 में भारत की ओर से गश्त की जाती थी।

भारत-रूस के संबंधों पर की चर्चा

इस दौरान विदेश मंत्री ने रुस को लेकर पूछे गए सवाल पर भारत का पक्ष रखा। उन्होंने कहा, "अगर आप रूस के साथ हमारे इतिहास को देखेंगे तो आप पाएंगे कि उसने हमारे खिलाफ कुछ भी नहीं किया। हालांकि, पश्चिम देशों के साथ उसकी स्थिति कुछ और है। संबंध टूट चुके हैं। वह अब एशिया की ओर देख रहा है। उसके पास अधिक विकल्प नहीं है। रूस प्राकृतिक संसाधनों से जुड़ी एक शक्ति है। पूरा इकनॉमिक लॉजिक है, जबकि स्ट्रैटेजिक लॉजिक भी है।"

मालदीव- बांग्लादेश पर साफ किया भारत का रुख

इसके अलावा एस जयशंकर ने भारत के पड़ोसी देश मालदीव-बांग्लादेश को लेकर भी बातचीत की। उन्होंने कहा, "आज हमारे पड़ोसी देश लोकतांत्रिक हैं। यानी वहां बदलाव होते रहेंगे। स्थितियां ऊपर-नीचे होती रहेंगी। आप देखिए जब श्रीलंका विकट स्थिति में फंसा था तब भारत ही आगे आया था। आपको वहां बड़ा राजनीतिक बदलाव देखने को मिला। लोग बांग्लादेश को लेकर बहुत तरह की बातें कहते हैं पर आप और भी चीजें तो देखिए। जितना हम पड़ोसी मुल्कों में निवेश करेंगे और वे भी सहयोग करेंगे तब पूरे क्षेत्र का विकास होगा।"

पाक में एससीओ समिट को लेकर कही ये बात

विदेश मंत्री ने पाकिस्तान में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन 2024 समेत अन्य मुद्दों पर चर्ची की। उन्होंने कहा, "मैं वहां पूर्व पीएम नवाज शरीफ (मौजूदा पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के भाई) से तो नहीं मिला था। मैं तो सिर्फ एससीओ सम्मेलन के लिए गया था। मैं और भारत बहुत सपोर्टिव एससीओ पार्टनर रहे। हम गए, उनसे (पाकिस्तानियों से) मिले, हाथ भी मिलाया, हमारी मीटिंग अच्छी रही और फिर हम वापस आ गए।"

एआई और डिजिटल टेक्नोलॉजी पर भी की चर्चा

'वर्ल्ड समिट' के दौरान विदेश मंत्री ने ऑर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (आईटी) और डिजिटल टेक्नोलॉजी के पूछे गए सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि ये किसी अवसर से कम नहीं हैं। ये पूरे पैकेज के साथ आते हैं। आपकी प्लानिंग और स्ट्रैटेजी का विकास होते रहना चाहिए।"

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