'पूर्व संघ प्रचारक के दावे झूठे, कोई सबूत नहीं कि राजगुरु संघ के स्वयंसेवक थे'

'पूर्व संघ प्रचारक के दावे झूठे, कोई सबूत नहीं कि राजगुरु संघ के स्वयंसेवक थे'

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-03 14:37 GMT
'पूर्व संघ प्रचारक के दावे झूठे, कोई सबूत नहीं कि राजगुरु संघ के स्वयंसेवक थे'

डिजिटल डेस्क, मुंबई। स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु के परिजनों ने पूर्व संघ प्रचारक और पत्रकार नरेंद्र सहगल के उन दावों को खारिज किया है जिनमें उन्होंने कहा था कि राजगुरु संघ के स्वयंसेवक थे। राजगुरु के परिजनों का कहना है कि इन दावों में कोई सच्चाई नहीं है। राजगुरु के भाई के पौत्रों सत्यशील और हर्षवर्धन राजगुरु ने कहा, "उनके (राजगुरु) संघ से सम्बंध होने के कोई सबूत नहीं है। वे कभी संघ के स्वयंसेवक नहीं रहे। हमारे दादा ने भी उनके किसी विशेष संगठन से जुड़े होने के बारे में कभी नहीं बताया।"

बता दें कि पूर्व संघ प्रचारक नरेंद्र सहगल की किताब में दावा किया गया है कि राजगुरु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मोहिते बाड़े शाखा के स्वयंसेवक थे और वे डॉ. हेडगेवार ने उनकी काफी मदद भी की थी। इस किताब में यह भी कहा गया है कि डॉ. हेडगेवार ने राजगुरु को गिरफ्तारी से बचने के लिए उनके गांव पूना न जाने की सलाह दी थी। किताब में लिखा गया है कि हेडगेवार की सलाह के बावजूद राजगुरु पूना गए थे, जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।

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किताब में इन दावों के विपरित सत्यशील और हर्षवर्धन का कहना है कि नागपुर में राजगुरु की संघ के एक स्वयंसेवक ने मदद जरुर की थी लेकिन इससे यह साबित नहीं होता है कि वे एक स्वयंसेवक थे। दोनों ने यह भी कहा कि राजगुरु पूरे देश के क्रांतिकारी थे। उनका नाम किस विशेष संगठन से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

गौरतलब है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजगुरु को सरदार भगत सिंह और क्रांतिकारी सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी गई थी। साल 1928 में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जेपी सांडर्स की हत्या के आरोप में उन्हें यह सजा दी गई थी।
 

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