अपनी बसी बसाई गृहस्थी को खुद उजाड़ने पर मजबूर हो रहे लोग, बच्चों के साथ अनजान जगह पर गुजर रही हैं रातें, हर दिल को साल रहा जोशीमठ के दरकने का दर्द
जोशीमठ में भूस्खलन अपनी बसी बसाई गृहस्थी को खुद उजाड़ने पर मजबूर हो रहे लोग, बच्चों के साथ अनजान जगह पर गुजर रही हैं रातें, हर दिल को साल रहा जोशीमठ के दरकने का दर्द
- जोशीमठ की जमीन अब लोगों के लिए रहने लायक नहीं बची
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जोशीमठ की जमीन अब लोगों के लिए रहने लायक नहीं बची है। लोग जल्द से जल्द शहर को खाली करना चाह रहे हैं। दरकते घरों के हालात ये हैं कि बरसों बरस यहां गुजारने वाले ही अब वहां रहने से डर रहे हैं। जिन चीजों से घर को बहुत शौक से सजाया था अब वही चीजें निकालकर ले जा रहे हैं। किसी के सामने घर छोड़ने की मजबूरी है तो किसी के सामने ये सवाल कि पूरे परिवार के साथ एक साथ जाएं तो जाएं कहां।
ठीक ऐसा ही एक वाक्या सोमवार की सुबह को देखने मिला। सिलाई का शौक रखने वाली टीचर अनिता सुबह आठ बजे के करीब सिलाई मशीन को खोलकर पैक करने में जुटी हुईं थीं। रेलिंग के सहारे यहां पर शादी की तस्वीरें रखी थी, तो कहीं पर बच्चों की चहकने वाली तस्वीरें दीवारों के सहारे पड़ी मिली।। दीवारों और घरों की शोभा बढ़ाने वाली ये तस्वीरें आज दरार पड़ी दिवारों से उतार रही हैं। आंगन में वाशिंग मशीन, टीवी, सोफा, बिस्तर समेत घर में यूज होने वाले सभी साजोसामान इधर-उधर रखा हुआ था। पूछने पर जवाब देते हुए स्थानीय लोगों ने बताया कि प्रशासन ने क्षेत्र को असुरक्षित बताते हुए घर को खाली करने के लिए कहा है, इसलिए लोग घरों के समान समेटकर सुरक्षित जगहों पर रख रहे हैं।
लाइव हिंदुस्तान के मुताबिक मोहनबाग क्षेत्र भूधंसाव से काफी ज्यादा प्रभावित है। अनिता का घर इसी इलाके में है। उनके आसपास उत्तरा पांडे, दलवीर सिंह, चंद्र बल्लभ समेत कई लोगों के घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिसे खाली करवाया जा रहा है। अनिता के पति संतोष बिष्ट बाजार में एक मोबाइल की दुकान चलाते हैं। संतोष ने बताया कि उनके घर में कुल दस कमरे मौजूद हैं। जिसमें नीचे के फ्लोर में चार किरायेदार रहते थे। बाकी छह कमरे में उनका अपना सामान भरा पड़ा है। नीचे में एक बड़ा हॉल है जो कि थोड़ा सुरक्षित है, दंपत्ति अपने सामान को यहां पर रख रही है और बाकी जरूरत के समानों को अपने रिश्तेदारों के घर में रख रहे हैं। परिवार को यह समझ काफी मुश्किल हो रहा है कि यहां पर क्या रखे और क्या अपने साथ लेकर चले जाएं। जिस सोच के साथ परिवारवालों ने इस घर को बनाया और सजाया था आज उसी घर को वो छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। ऊपर से परिवारवालों को बच्चों की पढ़ाई अलग सता रही है।
परिवारवालों ने बताई परेशानी
धीरेंद्र परमार और रोहित परमार मोहनबाग में स्थित पुष्तैनी घर में रहते हैं। दोनों कारोबार से जुड़े हुए हैं। नीलम और गीता परमार भी इसी घर की सदस्य है। अब उन्हें भी अपने घर को छोड़कर जाना पड़ रहा है। बीते रविवार को प्रशासन की टीम उन्हें घर में रहने से मना कर चुकी है।
रात में परिवार को बच्चों के साथ नगरपालिका के पास एक होटल में रहने के लिए जाना पड़ता है। सोमवार की सुबह जब देवरानी और जेठानी घर आईं थीं। तब उन्होंने घर पर लगा लाल रंग का निशान देखा। नीलम बताती हैं कि घर के बाहर लाल रंग का निशान लगा दिया गया है, लेकिन घर के अंदर बहुत सारा सामान पड़ा है। इसे लेकर हम इतनी जल्दी कहां जा सकते हैं। होटल का कमरा इतना बड़ा नहीं है कि पूरा परिवार एक साथ रह सके। वहां पर खाना बनाने के लिए भी जगह नहीं है। हम सभी बहुत ज्यादा परेशान हो गए है। परिवारवालों को काफी ज्यादा चिंता हो रही है। सभी की तबीयत भी खराब होने लगी है। जोशीमठ में रहने वाले सभी लोगों की कहानी इसी तरह की है। लोग जल्द से जल्द शहर को छोड़ना चाह रहे हैं।