SC/ST एक्ट: केंद्र की पुनर्विचार याचिका पर SC ने सुरक्षित रखा फैसला
SC/ST एक्ट: केंद्र की पुनर्विचार याचिका पर SC ने सुरक्षित रखा फैसला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एससी-एसटी (SC/ST) एक्ट मामले में केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुरक्षित रखा लिया है। न्यायाधीश अरुण मिश्रा के नेतृत्व वाली दो जजो की बेंच ने एक्ट के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई की। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। सरकार ने पुनर्विचार याचिका में इस आदेश को बदलने की मांग की है।
Supreme Court"s two-judge bench, headed by Justice Arun Mishra also comprising Justice Uday Umesh Lalit reserves order today on a number of review petitions against Supreme Court"s decision diluting provisions of the SC/ST Act.
— ANI (@ANI) May 1, 2019
दरअसल, पिछले साल 20 मार्च को अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के हो रहे दुरूपयोग के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम के तहत मिलने वाली शिकायत पर स्वत: एफआईआर और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों और आम लोगों के खिलाफ एससी-एसटी कानून के दुरुपयोग को देखते हुए उसमें गिरफ्तारी के प्रावधानों को बदलाव किया था। कोर्ट ने प्राथमिक जांच के बाद ही आपराधिक केस दर्ज करने और सरकारी कर्मचारियों के मामले में गिरफ्तारी से पहले संबंधित अधिकारी से पूर्व अनुमति लेने को भी आवश्यक बना दिया था।
केंद्र ने कोर्ट के फैसले को बदल दिया था
इससे पहले जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मलहोत्रा की पीठ ने कहा था, इस मामले की सुनवाई कर रही पुरानी पीठ जस्टिस आदर्श गोयल के रिटायर होने से बदल गई है, इसलिए सभी मामलों पर नये सिरे से सुनवाई होगी। कोर्ट ने कहा था, मामले पर लगातार तीन दिनों तक सुनवाई होगी और जरूरत पड़ी तो एक या दो दिनों तक सुनवाई बढ़ाई भी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने 30 जनवरी को मामले पर सुनवाई करते हुए एससी-एसटी कानून में संशोधनों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर देश में बवाल के बाद केंद्र सरकार ने संसद में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 2018 पारित कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदल दिया था। संशोधित कानून के मुताबिक आपराधिक केस दर्ज करने से पहले प्राथमिक जांच और गिरफ्तारी से पूर्व अनुमति के प्रावधान को भी खत्म कर दिया गया था।