Mann ki Baat: पीएम मोदी का मंत्र- कोरोना के खिलाफ लड़ाई में दो गज की दूरी, बहुत जरूरी

Mann ki Baat: पीएम मोदी का मंत्र- कोरोना के खिलाफ लड़ाई में दो गज की दूरी, बहुत जरूरी

Bhaskar Hindi
Update: 2020-04-25 17:36 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (26 अप्रैल) रविवार को रेडियो कार्यक्रम "मन की बात" के जरिए देश को संबोधित किया। "मन की बात" कार्यक्रम के जरिए प्रधानमंत्री मोदी ने देश में कोरोना संकट के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई और लॉकडाउन को लेकर अपने विचार रखे। मोदी ने कहा, भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई पीपल ड्रिवन (People Driven) है और आने वाले समय में देश की इस एकता के प्रदर्शन को याद किया जाएगा। पीएम ने फिर मंत्र दिया है कि, दो गज की दूरी, बहुत जरूरी। उन्होंने यह उम्मीद भी जताई है कि अगली बार जब हम मिलें तो दुनियाभर से कोरोना से मुक्ति की खबरें मिलें।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई पीपल ड्रिवन है। यह लड़ाई जनता लड़ रही है। हम भाग्यशाली हैं कि देश का हर नागरिक इस लड़ाई का सिपाही है। आप कहीं भी नजर डालिए, अहसास हो जायेगा कि यह जनता की लड़ाई है। जब पूरा विश्व इस महामारी से जूझ रहा है। भविष्य में जब इसकी बात होगी तो भारत की पीपल ड्रिवन लड़ाई की चर्चा जरूर होगी।

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पीएम मोदी ने कहा, ताली-थाली, दीया मोमबत्ती से लोगों में भावनाएं जगीं। शहर हो या गांव ऐसा लग रहा है जैसे देश में महायज्ञ चल रहा है जिसमें हर कोई योगदान देने को आतुर हैं। हमारे किसान भाई बहन दिन रात खेतों में मेहनत कर रहे हैं और चिंता कर रहे हैं कि कोई भी भूखा न सोए।

जनता लड़ाई लड़ रही, सरकार साथ दे रही
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में एक बार फिर दो गज दूरी की अहमियत को दोहराया और कहा कि कोरोना को हराने के लिए देश को सजग रहते हुए एहतियात बरतना होगा। प्रधानमंत्री ने अपने आधे घंटे के कार्यक्रम में कहा कि संकट की इस घड़ी में लोगों ने एक दूसरे की मदद की असीम भावना का प्रदर्शन किया है और अब लोगों को एक दूसरे से दो गज की दूरी बनाए रखते हुए इस महामारी को देश निकाला देना होगा। देश इस महामारी से लड़ने को प्रेरित है लेकिन इस दिशा में हमें कुछ कुरीतियों का परित्याग करना होगा। भारत में असल में जनता कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है और इसमें सरकार उसका साथ दे रही है।

महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई जन-जन से प्रेरित
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 64वें संस्करण में कहा कि संकट की इस घड़ी में लोग एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। गरीबों को भोजन वितरण कर, मास्क बांटकर और लॉकडाउन के नियमों का पालन करके विभिन्न क्षेत्रों में लोग घातक वायरस के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं।

मन की बात में पीएम मोदी ने कहा- 
लोग लॉकडाउन के दौरान अपने साथियों को याद कर रहे हैं, उनकी मदद कर रहे हैं। उनपर लिख रहे हैं। लोग सफाई कर्मचारियों पर पुष्पवर्षा कर रहे हैं। हमारे डॉक्टर और पुलिस व्यवस्था को लेकर आम लोगों की सोच में काफी बदलाव हुआ है। पहले पुलिस के बारे में सोचते ही नकारात्मकता के खिलाफ कुछ नजर नहीं आता था। आज हमारे पुलिस कर्मचारी लोगों तक खाना पहुंचा रहे हैं।

सावधानी हटी, दुर्घटना घटी
मैं आपसे आग्रह करूंगा कि हम कतई ज्यादा आत्मविश्वास में न फंस जाएं। हम यह भ्रम न पालें कि हमारे यहां कोरोना नहीं पहुंचा, इसलिए अब नहीं पहुंचेगा। ऐसी गलती न करें। हमारे यहां कहा जाता है, सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। हमारे पूर्वजों ने कहा है, हल्के में लेकर छोड़ दी गई आग, कर्ज और बीमारी, मौका पाते ही दोबारा बढ़कर खत्म हो जाती है, इसलिए इसका पूरी तरह उपचार जरूरी होता है।

आपदा से जूझने की मानवीय भावनाएं अक्षय हैं- इस साल अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। यह याद दिलाता है कि हमारी भावना अक्षय है, चाहे कितनी भी आपदा आए इससे जूझने की मानवीय भावनाएं अक्षय हैं। माना जाता है कि यही वह दिन है जब पांडवों को अक्षय पात्र मिला था।

हमारा अन्नदाता किसान इसी भावना से परिश्रम करते हैं। इन्हीं की वजह से हमारे पास अन्न के भंडार हैं।

रमजान में करें ज्यादा इबादत- रमजान का भी पवित्र महीना शुरू हो चुका है। किसी ने सोचा नहीं होगा कि रमजान में इतनी बड़ी मुसीबत होगी, लेकिन जब विश्व में मुसीबत आ ही गई है तो हमें इसे सेवाभाव की मिसाल देनी है। हम पहले से ज्यादा इबादत करें और कोरोना के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करें।

प्रकृति, विकृति और संस्कृति- हम अकसर प्रकृति, विकृति और संस्कृति के बारे में सुनते हैं। अगर मानव प्रकृति की बात करें तो यह मेरा है, मैं इसका उपयोग करता हूं। यह बहुत स्वाभाविक है। लेकिन जो मेरा नहीं है उसे मैं दूसरे से छीन लेता हूं, हम इसे विकृति कह सकते हैं। इससे ऊपर जब कोई अपने हक की चीज दूसरों की मदद करते हैं और खुद की चिंता छोड़कर अपने हिस्से को बांटकर दूसरों की जरूरत पूरी करता है वही तो संस्कृति है।

 

आयुर्वेद- आज भारत के आयुर्वेद को भी लोग विशिष्ट भाव से देख रहे हैं। कोरोना की दृष्टि से इम्युनिटी बढ़ाने के लिए जो प्रोटोकॉल दिया है मुझे विश्वास है कि आप इसका उपयोग कर रहे होंगे।

आयुर्वेद को विश्व करेगा स्वीकार- कई बार हम अपनी शक्तियों को मानने से इनकार कर देते हैं और जब दूसरा देश रिसर्च करके वही बात बताता है तो हम मान लेते हैं। इसके पीछे कारण सैकड़ों साल की गुलामी भी रही है। भारत की युवा पीढ़ी को इस चुनौती को स्वीकार करना होगा। जैसे विश्व ने योग को स्वीकार किया है वैसे ही आयुर्वेद को विश्व जरूर स्वीकार करेगा।

यहां-वहां थूकने की आदत को करें खत्म- अब हमें थूकने की कुसंस्कृति से निजात पाना होगा क्योंकि यह हमेशा से बीमारी फैलाने का कारण रही है। पहले यहां-वहां थूक देना आम बात बन गई थी। हम इस समस्या को जानते थे लेकिन यह समस्या समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रही थी। अब समय आ गया है, इस बुरी आदत को समाप्त कर दिया जाए।

मास्क बनेगा सभ्य समाज का प्रतीक- कोरोना संकट के दौरान बड़ा परिवर्तन हुआ है। लोग मास्क का उपयोग कर रहे हैं। जब हम मास्क की बात करते हैं तो पुरानी बात याद आती है। एक जमाना था जब कोई व्यक्ति फल खरीदता था तो पूछा जाता था कि घर में कोई बीमार है। समय के साथ यह धारणा बदली। अब मास्क को लेकर धारणा बदलने वाली है। अब मास्क सभ्य समाज का प्रतीक बन जाएगा। मेरा सुझाव है कि गमछा का प्रयोग करें।

 

 

 

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