समरकंद में पीएम मोदी विश्व के इस दिग्गज नेता से करेंगे मुलाकात, जानें क्यों टिकी हुई है इस मुलाकात पर दुनिया की नजर
एससीओ-2022 समरकंद में पीएम मोदी विश्व के इस दिग्गज नेता से करेंगे मुलाकात, जानें क्यों टिकी हुई है इस मुलाकात पर दुनिया की नजर
- पीएम मोदी व राष्ट्रपति पुतिन के मुलाकात पर अमेरिका की नजर
डिजिटल डेस्क, समरकंद। शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन बैठक में भाग लेने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्बेकिस्तान के समरकंद पहुंच चुके हैं। पीएम मोदी इस दौरान दुनियाभर के कई दिग्गज नेताओं से मुलाकात करेंगे। लेकिन उस मुलाकात में एक ऐसा नेता भी है, जिसको लेकर सभी देशों की निगाहें टिकी हुई हैं। खबरों के मुताबिक, पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एससीओ बैठक में मुलाकात करेंगे। रूस का धुरविरोधी अमेरिका भी पीएम मोदी की इस मुलाकात को काफी नजदीकी से देख रहा है।
अगर हम बीते दिनों की बात करें तो रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच जारी जंग में भारत खुलकर अपने करीबी दोस्त रूस का विरोध नहीं किया। इस दरमियान पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत भी की थी। भारत ने शांतिपूर्ण तरीके से समस्या को सुलझाने की वकालत की थी। भारत ने कहा था कि किसी भी मसले का समाधान आपसी बातचीत से ही बेहतर निकलता है। भारत इसी वजह से यूक्रेन मुद्दे पर एकदम तटस्थ रहा। संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर भारत अपने को अलग कर लिया था। ऐसे में पीएम मोदी व पुतिन की मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है।
मोदी-पुतिन मुलाकात के मायने
एसीओ बैठक के दौरान पीएम मोदी व पुतिन की मुलाकात इसलिए भी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि रूस व यूक्रेन युद्ध के बीच पीएम मोदी की पहली मुलाकात समरकंद में होने जा रही है। भारत अपने दोस्त रूस के साथ कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा कर सकता है। माना जा रहा है कि दोनों देशों के नेताओं के बीच द्विपक्षीय मुद्दों को और भी मजबूत करने पर बात हो सकती है।
इस पर पीएम मोदी व पुतिन के बीच हो सकती बात
भारत के पीएम नरेंद्र मोदी व पुतिन के बीच जी-20 व एससीओ को लेकर बड़ी चर्चा की संभावना है। उसके पीछे की वजह है कि भारत को इन दोनों संगठनों की अध्यक्षता अगले साल मिलने वाली है। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच मुलाकात काफी मायने रखता है। बैठक में रूस व भारत के बीच संयुक्त राष्ट्र के रिश्तों को लेकर भी बातचीत होगी। मॉस्को ने इसको लेकर अपनी तरफ से संकेत भी दिए हैं। गौरतलब है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ प्रस्ताव में शामिल नहीं हुआ था। इससे साफ है कि भारत अपने करीबी दोस्त रूस से रिश्ते और मजबूत करने की कोशिश में है।
अमेरिकी की रहेगी पैनी नजर
पीएम मोदी व पुतिन के बीच मुलाकात पर अमेरिका की पैनी नजर है। अमेरिकी भारत के रूख पर नजर बनाए है। दरअसल, रूस के यूक्रेन मसले पर भारत को अमेरिका ने सख्त रूख अख्तियार करने की गुजारिश की लेकिन भारत अपने हितों को ध्यान में देखते हुए तटस्थ रहना ही उचित समझा। उधर ईरान की तरफ से बयान आया कि भारत-रूस और मध्य एशिया को जोड़ने के लिए वह मदद को तैयार है। ऐसे में पीएम मोदी व पुतिन की मुलाकात काफी महत्वपूर्ण हो चुका है, इसको लेकर भी अमेरिकी की नजर है।
यूक्रेन को खुलकर समर्थन देने वाला अमेरिका अब रूस को दुनिया के से बेदखल करने के लिए एड़ी से चोटी लगाए बैठा है और इसमें भारत की मदद भी चाहता है। लेकिन भारत पुराने दोस्त के साथ खड़ा दिख रहा है और कोई ऐसा कदम नहीं उठा रहा है कि उसमें उसकी अहित हो बल्कि उर्जा और सैन्य जरूरतों को ध्यान में रखकर विदेशी नीति पर ध्यान दे रहा है। भारत इसी वजह से खुलकर रूस के विरोध में नहीं उतर रहा है क्योंकि दुनिया जानती है कि भारत व रूस के बीच काफी नजदीकी रिश्ते हैं।