भारत के खिलाफ तीन युद्धों में पाकिस्तान के लिए अहम भूमिका निभाएं थे परवेज मुशर्रफ, कारगिल पर कब्जा करने की भी खाई थी कसम
भारत के खिलाफ युद्ध में मुशर्रफ की भूमिका भारत के खिलाफ तीन युद्धों में पाकिस्तान के लिए अहम भूमिका निभाएं थे परवेज मुशर्रफ, कारगिल पर कब्जा करने की भी खाई थी कसम
- नवाज की सरकार में सेना प्रमुख बनें मुशर्रफ
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के खिलाफ तीन बार युद्ध लड़े पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का 79 साल की उम्र में रविवार (5 फरवरी) को इंतकाल हो गया। कारगिल युद्ध को भड़काने में पाकिस्तान के पूर्व आर्मी चीफ रहे परवेज मुशर्रफ का अहम योगदान था। साल 1999 में उन्होंने सैन्य तख्तापलट कर अपने ही देश की सरकार को गिरा दिया था। इस दौरान उन्होंने अपनी छवि को सुधारने और प्रगतिशील नेता के खुद को स्थापित करने की कोशिश की थी। आज हम आपको उन तीन युद्धों के बारे में बताने वाले है जो उन्होंने भारत के खिलाफ लड़े थें।
1965 भारत-पाकिस्तान युद्ध
साल 1965 में परवेज मुशर्रफ एक युवा अधिकारी के रूप में भारत के खिलाफ जंग लड़े। इस युद्ध में भारत से पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को बूरी तरह से मुंह की खानी पड़ी थी। इसके बावजूद भी पाकिस्तानी सरकार ने मुशर्रफ को इम्तियाजी मेडल से नवाजा था। इस युद्ध में उन्होंने ने खेमकरण सेक्टर में तोपखाना रेजिमेंट के साथ जंग के दांव पेंच भी सीखे थे।
1971 इंडिया-पाक जंग
साल 1971 में एक बार फिर जंग के मैदान में भारत और पाकिस्तान का आमना-सामना हुआ। इस वॉर में पाकिस्तान की ओर से मुशर्रफ की अहम भूमिका रही। जानकारी के मुताबिक, 1965 से लेकर 1972 तक मुशर्रफ ने कुलीन विशेष सेवा समूह (एसएसजी) में अपनी सेवाएं दीं। 71 की जंग में मुशर्रफ की भुमिका को देखते हुए पाकिस्तानी सरकार ने उन्हें एक बार फिर से सेना के पद में प्रमोशन कर दिया। 71 में हुए भारत के साथ युद्ध के दौरान वह एसएसजी कमांडो बटालियन के कंपनी कमांडर थे। हालांकि, पाकिस्तान को इस युद्ध में भी एक बार फिर से हार का सामना करना पड़ा था।
नवाज की सरकार में सेना प्रमुख बनें मुशर्रफ
परवेज मुशर्रफ अपने जीवनकाल में लगातार आगे बढ़ते हुए जनरल के पद तक पहुंचे। एक वक्त ऐसा भी आया जब प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मुशर्रफ की काबिलियत को देखते हुए उन्हें सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त कर दिया। इसके बाद उन्होंने 9 अप्रैल, 1999 को अध्यक्ष संयुक्त चीफ स्टाफ कमेटी का पदभार संभाला था।
कारगिल पर कब्जा करने की खाई थी कसम
बता दें कि, यह वह दौर था जब परवेज मुशर्रफ ने भारत के खिलाफ कारगिल को पाने की साजिश रची थी, लेकिन इसमे वे बूरी तरह फेल रहें। जब कारगिल को हथियाने में मुशर्रफ नाकामयाब रहे तब उन्होंने इसका ठिकरा उस वक्त के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर फोड़ा था। इसका जिक्र उन्होंने अपनी जीवनी 'इन द लाइन ऑफ फायर-अ मेमॉयर' में किया है। जनरल मुशर्रफ ने अपनी जीवनी में लिखते हैं कि उन्होंने कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी, लेकिन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की वजह से वो ऐसा करने में विफल रहे।
मुकर गए थे पीएम नवाज
कारगिल युद्ध हार के बाद तात्कालिन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा था कि, यह ऑपरेशन उन्हें बिना बताए हुआ था। लेकिन बाद में पीएम नवाज की भी पोल खुल गई। क्योंकि कारगिल ऑपरेशन से पहले और बाद में उन्हें सेना से मिली ब्रीफिंग का ब्योरा सार्वजनिक हो गया था। खबरों के मुताबिक, नवाज को जनवरी और मार्च के बीच तीन अलग-अलग बैठकों में ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी गई थी।