एनआईए ने सीपीआई (माओवादी) मामले में 20 करोड़ रुपये कुर्क किए

देश एनआईए ने सीपीआई (माओवादी) मामले में 20 करोड़ रुपये कुर्क किए

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-03 18:00 GMT
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शुक्रवार को कहा कि उसने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत संतोष कंस्ट्रक्शन और उसके विभिन्न साझेदारों के कुल 20,65,20,496 रुपये वाले 152 बैंक खातों और एक एसबीआई म्यूचुअल फंड खाते को कुर्क किया है। एनआईए ने कहा कि इन खातों को पहले सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत फ्रीज कर दिया गया था, जांच के दौरान उन्हें आतंकवाद की आय पाया गया, जो यूएपीए के तहत उनकी कुर्की का वारंट है।

एनआईए ने कहा- हमारी जांच से पता चला है कि आरोपी मृत्युंजय कुमार सिंह उर्फ सोनू सिंह, जो संतोष कंस्ट्रक्शन के साझेदारों में से एक है, का सीपीआई (माओवादी) के शीर्ष कैडर के साथ घनिष्ठ संबंध था। उसने माओवादी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए माओवादी कैडर रवींद्र गंझू, सीपीआई(माओवादी) की क्षेत्रीय समिति के सदस्य को धन मुहैया कराया था। एनआईए ने कहा कि 20 करोड़ रुपये से अधिक की कुर्की एजेंसी द्वारा वामपंथी उग्रवाद मामले में कुर्क की जाने वाली सबसे बड़ी कुर्की है। ये तथ्य 22 नवंबर, 2019 को झारखंड में पीसीआर वाहन पर रवींद्र गंझू के नेतृत्व वाले सीपीआई(माओवादी) के सशस्त्र कैडरों द्वारा किए गए हमले से संबंधित एक मामले की जांच के दौरान सामने आए, हमले में चार पुलिसकर्मी मारे गए थे। एनआईए ने जून 2020 में जांच का जिम्मा संभाला था।

एनआईए ने कहा- बीरजंघा के जंगल में हुई घटना के एक दिन पहले मृत्युंजय कुमार सिंह ने रवींद्र गंझू से मुलाकात की थी और उसे 2 लाख रुपये दिए थे, जिसका उपयोग उपरोक्त हमले की तैयारी और निष्पादन के लिए किया गया था। अक्टूबर 2020 में, ठकअ ने मृत्युंजय के घर से 2.5 लाख रुपये से अधिक जब्त किए थे, जो आतंकवाद की आय पाई गई थी। एनआईए को पता चला है कि मृत्युंजय ने 2019 की घटना के बाद भी सीपीआई (माओवादी) की गतिविधियों को फंड देना जारी रखा। उसने जनवरी 2020 में रवींद्र गंझू को कूरियर के जरिए बैजनाथ गंझू, राजेश गंझू और कुंवर गंझू को 5 लाख रुपये दिए। पैसे ले जा रहे युवक को रोका गया और झारखंड के चंदवा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया।

एनआईए ने कहा- संतोष कंस्ट्रक्शन ने शुरू में छह प्रमुख बैंक खातों को खोलने के लिए एक रिट याचिका के माध्यम से रांची उच्च न्यायालय का रुख किया। अदालत ने अगस्त 2022 में उनकी याचिका खारिज कर दी थी। आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक एसएलपी भी दायर की थी, जिसे भी 3 जनवरी को खारिज कर दिया गया था।

(आईएएनएस)

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