एनजीटी ने डीएसआर के बिना रेत, पत्थर के पट्टे देने पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा
नई दिल्ली एनजीटी ने डीएसआर के बिना रेत, पत्थर के पट्टे देने पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा
- प्रवर्तन और निगरानी दिशानिर्देश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (डीएसआर) तैयार किए बिना रेत और पत्थर खनन के लिए पट्टा देने का आरोप लगाने वाली याचिका पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता राहुल चौधरी ने तर्क दिया कि राज्य के उद्योग और खनन विभाग ने डीएसआर तैयार करने की पूर्व कानूनी जरूरतों को पूरा किए बिना रेत और लघु खनिजों के खनन के लिए निविदा आमंत्रित करने के नोटिस जारी किए हैं।
उन्होंने कहा, डीएसआर के बिना खनन न केवल नदियों को मार रहा है, बल्कि किनारे के गांवों के लिए भी खतरा है।
उन्होंने तर्क दिया, डीएसआर की तैयारी के बिना इन नोटिसों को जारी करना पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना, 2006, जैसा कि 2016 और 2018 में संशोधित है, स्थायी रेत खनन प्रबंधन दिशानिर्देश, 2016 और रेत खनन के लिए प्रवर्तन और निगरानी दिशानिर्देश, 2020 का उल्लंघन है।
मामले पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने हाल के एक आदेश का कहा था : कानून की स्थिति के आधार पर प्रथम दृष्टया यह सही प्रतीत होता है कि डीएसआर की तैयारी के बिना खनन के लिए नीलामी नोटिस जारी नहीं किया जा सकता है और इसलिए एक महत्वपूर्ण प्रश्न प्रभावित करता है। इस एप्लिकेशन में वातावरण बनाया गया है। इसलिए, हम रजिस्ट्री को आवेदन स्वीकार करने का निर्देश देते हैं।
एनजीटी ने प्रतिवादियों को 15 दिनों के भीतर हलफनामा दाखिल करने के लिए भी कहा और छह सप्ताह के भीतर अपना जवाब देने का निर्देश दिया। इस मामले पर आगे की सुनवाई 15 जुलाई को होगी।
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