चीन के चंगुल में फंसकर संकट में फंसे भारत के पड़ोसी मुल्क, परेशानी में सरकार, मंडरा रहा सियासत और आर्थिक संकट का खतरा

चीन से दोस्ती महंगी पड़ी! चीन के चंगुल में फंसकर संकट में फंसे भारत के पड़ोसी मुल्क, परेशानी में सरकार, मंडरा रहा सियासत और आर्थिक संकट का खतरा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-04-08 08:18 GMT
हाईलाइट
  • चीन के कर्ज में फंसे कई देश

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, आनंद जोनवार। भारत के पड़ोसी मुल्क श्रीलंका और पाकिस्तान में इन दिनों सियासत संकट में नजर आ रही है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। पाक शीर्ष अदालत ने संसद को स्थगित करने के बजाय एक बार फिर  इमरान सरकार के विरोध में संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग करने को कहा है। ऐसे में इमरान के सियासी गद्दी से बेदखल होने के बादल मंडराते हुए दिखाई दे रहे हैं। पाक पॉलिटिक्स पूरी तरह से गरमाई हुई है। दूसरी तरफ भारत के बेहद  करीबी माने जाना वाले देश श्रीलंका में चीनी कर्ज के चलते आर्थिक आपातकाल लगा हुआ है। श्रीलंका में महंगाई अपने आसमान को छू चुकी है। चरम स्थिति में पहुंची खाद्य पदार्थों की महंगाई से परेशान होकर लोग सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे है, और सरकार के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।  

पाकिस्तान की सियासी पॉलिटिक्स में सेना के बाद सुको

क्रिकेट के मैदान में बादशाही  साबित करने वाले इमरान खान  सियासी कप्तानी में डरे हुए नजर आ रहे हैं। पूर्व कप्तान और पीएम खान सियासी कुर्सी बचाने के लिए सारे हथकंडे अपना चुके हैं। हालांकि आगे की परीक्षा उनके लिए आसान नहीं हैं। यदि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में वोटिंग होती है तो संभवतया ये माना जा रहा है कि उनकी कुर्सी शायद ही बच पाएं। इसके पीछे की वजह पाकिस्तान की सियासी पॉलिटिक्स में दखल देती सैन्य शक्ति, जो इमरान खान पर  भारी पड़ सकती है। और एक बार फिर पाकिस्तान में  तख्तापलट देखने को मिल सकता है। आपको बता दें इससे पहले  नेशनल असेंबली भंग करने के प्रस्तावित मामले को पाक सुप्रीम कोर्ट ने  गलत बताते हुए  खारिज कर दिया और सदन में वोटिंग कराने को कहा। शीर्ष अदालत के इस फैसले पर इमरान सरकार के विपक्षी दल खुशी और जश्न मना रहा है। विपक्षी दलों को विश्वास है कि अविश्वास प्रस्ताव पर फिर से वोटिंग होने की स्थिति  इमरान सरकार गिर जाएगी। 

संकट में श्रीलंका

श्रीलंका में  जीवन यापन के लिए अति जरूरी चीजों की कीमतें  बेकाबू हो गई है। बढ़ती महंगाई ने लोगों के निचोड़ कर रख दिया है।  श्रीलंका में ये हालात हो गए है कि  सब्जी और किराना के सामानों के दाम आसमान छू रहे हैं। विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के चलते श्रीलंका लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा। वाहन ईधन के लिए  पेट्रोल पंपों के बाहर लोगों की बड़ी कतारें लगी हुई हैं,  विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने के कारण  श्रींलका ईधन का आयात करने में पूरी तरह से अक्षम है। मेडिकल व अस्पतालों  में दवाएं खत्म हो गई हैं, अखबारों के पास प्रिंट के लिए पेपर नहीं हैं।  

                           

अस्पतालों में दवाईयां उपकरण खत्म हो गए हैं। वहीं महंगी हुई पेट्रोल और डीजल की भारी किल्लत के चलते  पंप पर सैना तैनात करने की नौबत आ गई।  देश में बिजली संकट भी पैदा हो गया है। आजादी के बाद से पहली बार  श्रीलंका में  महंगाई रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई है। वहां आर्थिक आपातकाल जैसे हालात पैदा हो गए हैं। जनवरी 2022 से श्रीलंका में महंगाई दर 18 फीसदी के पार पहुंच गई तो गुस्साए लोग सड़कों पर उतरकर राष्ट्रपति का इस्तीफा मांगने लगे, बढ़ते विरोध का  श्रीलंका सरकार ने कर्फ्यू लगाकर जवाब दिया है। सरकार ने विरोध प्रदर्शन को देखते हुए जगह जगह सेना लगा दी है। तेजी से घटते विदेशी मुद्रा भंडार और बढ़ती मुद्रास्फीति  के कारण श्रीलंका की अर्थव्यवस्था  दोहरी चुनौती का सामना कर रही है, हालात ऐसे बन गए है कि श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है। श्रीलंका ऋण स्तरों के साथ सॉल्वेंसी के मुद्दों का भी सामना कर रहा है।

भारत और श्रीलंका के बीच संबंध सहयोग सहायता सेवा

सभ्यतागत मूल्यों और आकांक्षाओं में हमेशा से भारत और श्रीलंका के बीच संबंध सहयोग निहित रहे   हैं। ये संबंध हाल ही के महीनों में और मजबूत हुए हैं।  आर्थिक संकट से उभारने के लिए  पड़ोसी पहले नीति के तहत भारत श्रीलंका की मदद कर रहा है। इससे पहले भी भारत ने कोविड में श्रीलंका की भरपूर मदद की। पिछले दो से तीन महीनों में भारत ने श्रीलंका को 2.5 अरब डॉलर की सहायता दी है, करीबी दोस्त श्रीलंका को भारत ने लाखों टन खाद्य सामग्री मार्च में पहुंचाई।  श्रीलंका अब चीन के षड्यंत्र को समझ चुका है साथ ही यह समझ चुका है कि उसका असली दोस्त भारत ही है।

विकास का सपना दिखाकर अपने षड्यंत्र में फंसाता चीन

एक खबर के मुताबिक यूज एंड थ्रो सामान बेचने वाले चीन ने करीब 45 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज  उन देशों को बांट रखा है जहां का केंद्रीय ढांचा कमजोर है और सरकार इनके इस षड्यंत्र को नहीं समझ पाती। चीन का कर्ज  भारत के पड़ोसी देशों को भारी पड़ रहा है।  श्रीलंका के अलावा पाकिस्तान भारत का ऐसा पड़ोसी देश है जो चीन के चक्कर में भिखारी बन चुका है। आईएमएफ की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के ऊपर 20 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है, जिसमें करीब 4 अरब डॉलर चीन का दिया हुआ है। चीन कर्ज के बोझ तले पाकिस्तान बुरी तरह से दब चुका है, और अब वहां की सत्ता भी हिल चुकी है।

चीन का कर्ज या मुसीबत
श्रीलंका के ऊपर फिलहाल 45 अरब डॉलर से ज्यादा का विदेशी कर्ज हो गया है। श्रीलंका के ऊपर 5 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज़ है, जिसमें अकेले चीन का हिस्सा करीब 20 % है।  विशेषज्ञों की चेतावनी के बाद भी श्रीलंका बीते दो दशक से चीन से आर्थिक मदद ले रहा था। जिसका नतीजा ये हुआ कि श्रीलंका चीन के कर्ज में यहां तक डूब गया कि उसे इकोनॉमी इमरजेंसी लगानी पड़ रही है। 2009 में तमिल अलगाववादियों के साथ संघर्ष खत्म होने के बाद श्रीलंका ने अपने विकास के लिए चीनी कर्ज़ का सहारा लिया।  बाद में चीन ने लालच भरे सहयोग में उसे बार बार कर्ज देकर अपने चंगुल में फंसा लिया, कर्ज न उतारपाने के कारण  2017 में चीन कर्ज के बोझतले दबे श्रीलंका ने अपना हंबनटोटा पोर्ट  99 साल के लिए  चीन को सौंप दिया। 

सहायता सेवा सहयोग के बहाने चीन द्वारा दिया कर्ज  मित्रवत देशों का बुरा हाल करके छोड़ रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण श्रीलंका सबसे सामने नजर आ रहा है। आपको बता दें कई और देश है जो चीनी कर्ज में रो रहे हैं। पाकिस्तान, नाइजीरिया, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, यूएई और सिंगापुर, श्रीलंका चीन के कर्ज मकड़जाल में फंसे हुए है। 

 

 

 

 

 

 

 


 

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