मध्य प्रदेश को मिला "कड़कनाथ चिकन" का GI टैग
मध्य प्रदेश को मिला "कड़कनाथ चिकन" का GI टैग
- चेन्नई के भौगोलिक संकेतक पंजीयन कार्यालय ने कड़कनाथ मुर्गे का GI टैग मध्य प्रदेश को दे दिया।
- कड़कनाथ की सबसे खास बात इसकी पौष्टिकता औऱ स्वाद है।
- जियोग्राफ़िकल इंडिकेशंस टैग' यानी भौगोलिक संकेतक का मतलब ये है कि अधिकृत उपयोगकर्ता के अलावा कोई भी व्यक्ति
- संस्था या सरकार इस उत्पाद के मशहूर नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकती।
- पौष्टिक तत्व की तुलना करें तो कड़कनाथ में 25-27 फीसदी प्रोटीन होता है।
- ये मुर
डिजिटल डेस्क, चेन्नई। लज़ीज़ स्वाद और पौष्टिकता के लिए जाने जाने वाले काले रंग का कड़कनाथ मुर्गा एमपी का है या छत्तीसगढ़ का इसका फैसला हो चुका है। फैसला मध्य प्रदेश के हक में आया है। बुधवार को चेन्नई के भौगोलिक संकेतक पंजीयन कार्यालय ने कड़कनाथ मुर्गे का GI टैग मध्य प्रदेश को दे दिया। अब छत्तीसगढ़ कड़कनाथ मुर्गे पर अपना दावा नहीं ठोक पाएगा। बता दें कि कड़कनाथ के GI टैग को लेकर दोनों ही राज्यों ने अपना-अपना दावा चेन्नई स्थित भौगोलिक संकेतक पंजीयन कार्यालय के समक्ष पेश किया था।
दोनों राज्यों ने पेश किया था दावा
कड़कनाथ मुर्गा मध्य प्रदेश के झाबुआ और अलीराजपुर ज़िलों में पाया जाता है। इसकी प्रजाती को लेकर कई दिनों से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच विवाद चल रहा था। इस प्रजाति के मुर्गे के जीआई टैग को लेकर दोनों ही राज्यों ने अपना-अपना दावा पेश किया था। मप्र ने साल 2012 में GI रजिस्ट्री ऑफिस चेन्नई में कड़कनाथ के लिए क्लेम किया था वहीं छत्तीरगढ़ ने साल 2017 में अपना दावा पेश किया था। मध्य प्रदेश का दावा था है कि कड़कनाथ मुर्गे की उत्पत्ति प्रदेश के झाबुआ ज़िले में हुई है, जबकि छत्तीसगढ़ का कहना था कि कड़कनाथ को प्रदेश के दंतेवाडा ज़िले में अनोखे तरीके से पाला जाता है और यहां उसका संरक्षण और प्राकृतिक प्रजनन होता है।
क्या है "कड़कनाथ" की खासियत
आपको बता दें कि कड़कनाथ की सबसे खास बात इसकी पौष्टिकता औऱ स्वाद है। यदि आप पौष्टिक तत्व की तुलना करें तो कड़कनाथ में 25-27 फीसदी प्रोटीन होता है। आम चिकन में यह 18 से 20 फीसदी होता है। वहीं दूसरे चिकन की तुलना में इसमे फेट भी कम होता है। ये मुर्गा विटामिन-बी-1, बी-2, बी-6, बी-12, सी, ई, नियासिन, केल्शियम, फास्फोरस और हीमोग्लोबिन से भरपूर होता है।
ये है जीआई टैग का मतलब
"जियोग्राफ़िकल इंडिकेशंस टैग" यानी भौगोलिक संकेतक का मतलब ये है कि अधिकृत उपयोगकर्ता के अलावा कोई भी व्यक्ति, संस्था या सरकार इस उत्पाद के मशहूर नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकती। वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइज़ेशन के अनुसार जियोग्राफ़िकल इंडिकेशन ये बताता है कि वह उत्पाद एक ख़ास क्षेत्र से ताल्लुक़ रखता है और उसकी विशेषताएं क्या हैं। साथ ही उत्पाद का आरंभिक स्रोत भी जियोग्राफ़िकल इंडिकेशन से तय होता है।