मिशन गगनयान: ISRO ने ह्यूमनॉइड रोबोट की पहली झलक दिखाई, अंतरिक्ष से मानव की तरह भेजेगा जानकारी
मिशन गगनयान: ISRO ने ह्यूमनॉइड रोबोट की पहली झलक दिखाई, अंतरिक्ष से मानव की तरह भेजेगा जानकारी
- यह एक मानव की तरह कार्य करेगा और अंतरिक्ष से रिपोर्ट भेजेगा
- वैज्ञानिक सैम दयाल ने बताया कि ये सभी लाइव ऑपरेशन करने में सक्षम है
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरू। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पहले मानव रहित गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष में भेजने के लिए महिला रोबोट तैयार कर लिया है। इस रोबोट का नाम "व्योममित्रा" रखा गया है। इस रोबोट को मानवरहित गगनयान में अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। बुधवार को "व्योममित्रा" को बेंगलुरू में पेश किया गया। इसरो के वैज्ञानिक सैम दयाल ने बताया कि ह्यूमनॉइड "व्योममित्रा" रोबोट सभी लाइव ऑपरेशन करने में सक्षम है। यह एक मानव की तरह कार्य करेगा और हमें रिपोर्ट भेजेगा। हम इसे एक प्रयोग के रूप में कर रहे हैं।"
Bengaluru: ISRO"s half humanoid "Vyommitra" to be placed in the first unmanned mission under #Gaganyaan to simulate most of the human body functions. Sam Dayal, ISRO scientist says, "It will try to simulate a human report back to us. We are doing this as an experiment". pic.twitter.com/tikJJLierO
— ANI (@ANI) January 22, 2020
हाय, मैं हाफ ह्यूमनॉइड का पहला प्रोटोटाइप हूं
बताया गया कि यह रोबोट "व्योममित्रा" अपने आप में बेहद खास है। यह बात कर सकता है और लोगों के सवालों का जवाब दे सकता है। इसके अलावा यह मानव को पहचान भी सकता है। यह रोबोट अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा किए जाने वाले कामों की नकल कर सकता है। इस दौरान "व्योममित्रा" ने यह कहकर लोगों का अभिवादन किया, "हाय, मैं हाफ ह्यूमनॉइड (इंसानी) का पहला प्रोटोटाइप हूं।" दयाल ने कहा कि इस रोबोट को हाफ ह्यूमनॉइड इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि इसके पैर नहीं हैं।
भारत 2022 तक भेजेगा अंतरिक्ष में मानव
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 72वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ऐलान किया था कि भारत 2022 तक अंतरिक्ष में अपना पहला मानव मिशन भेजेगा। भारत अपने पहले मानव मिशन में तीन यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजेगा। ये अंतरिक्ष यात्री 7 दिनों तक अर्थ के लोअर ऑर्बिट में रहेंगे। एक क्रू मॉड्यूल तीन भारतीयों को लेकर जाएगा, जिसे सर्विस मॉड्यूल के साथ जोड़ा जाएगा। दोनों को रॉकेट की मदद से आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। अर्थ के लोअर ऑर्बिट में पहुंचने के लिए इसे 16 मिनट का वक्त लगेगा।
गगनयान मिशन से पहले भेजे जाएंगे रोबोट
इसरो चेयरमैन के. सिवन ने कहा कि "गगनयान के अंतिम मिशन से पहले दिसंबर 2020 और जुलाई 2021 में अंतरिक्ष में मानव जैसे रोबोट भेजे जाएंगे। ये इंसान जैसे दिखने वाले ह्यूमनॉइड रोबोट होंगे। अन्य देश ऐसे मिशन से पहले अंतरिक्ष में पशुओं को भेज चुके हैं। ह्यूमनॉइड शरीर के तापमान और धड़कन संबंधी टेस्ट करेंगे। सिवन ने बताया कि गगनयान मिशन के लिए जनवरी के अंत में ही 4 चुने हुए एस्ट्रोनॉट्स ट्रेनिंग के लिए रूस भेजे जाएंगे।"
अंतरिक्ष यात्रा के लिए चार कैंडिडेट्स का चयन
के. सिवन ने बताया कि अंतरिक्ष यात्रा के लिए पहले 4 कैंडिडेट्स का चयन कर लिया गया है। ये चारों रूस में इस महीने के आखिर में ट्रेनिंग शुरू करेंगे। इन कैंडिडेट्स की पहचान गुप्त रखी जा रही है। इस मिशन पर 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। मिशन के तहत भारत अपने कम-से-कम तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 5 से 7 दिन के लिए अंतरिक्ष में भेजेगा, जहां वे विभिन्न प्रकार के माइक्रो-ग्रैविटी टेस्ट को अंजाम देंगे।
ISRO Chief K Sivan on Gaganyaan Mission: 4 astronauts have been short-listed and they will go to Russia for training by this month-end. In 1984, Rakesh Sharma flew in a Russian module, but this time the Indian astronauts will fly in an Indian module from India. pic.twitter.com/FNoe8uJPnY
— ANI (@ANI) January 22, 2020
ह्यूमनॉइड क्या होते हैं
ह्यूमनॉइड एक तरह के रोबोट हैं, जो इंसानों की तरह चल-फर सकते हैं और मानवीय हाव-भाव को भी समझ सकते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्रामिंग के जरिए ह्यूमनॉइड सवालों के जवाब भी दे सकते हैं।
ह्यूमनॉइड कैसे काम करते हैं
ह्यूमनॉइड के दो खास हिस्से होते हैं, जो उन्हें इंसानों की तरह प्रतिक्रिया देने और चलने फिरने में मदद करते हैं। ये दो हिस्से हैं- सेंसर्स और एक्च्यूएटर्स।
- सेंसर की मदद से ह्यूमनॉइड अपने आस-पास के वातावरण को समझते हैं। कैमरा, स्पीकर और माइक्रोफोन जैसे उपकरण सेंसर्स से ही नियंत्रित होते हैं। ह्यूमनॉइड इनकी मदद से देखने, बोलने और सुनने का काम करते हैं।
- एक्च्यूएटर खास तरह की मोटर होती है, जो ह्यूमनॉइड को इंसानों की तरह चलने और हाथ-पैरों का संचालन करने में मदद करती है। सामान्य रोबोट की तुलना में एक्च्यूएटर्स की मदद से ह्यूमनॉइड विशेष तरह के एक्शन कर सकते हैं।
दुनिया में यहां मौजूद हैं ह्यूमनॉइड
ह्यूमनॉइड्स का इस्तेमाल पहले केवल शोध के लिए किया जाता था, लेकिन पिछले कुछ समय से इन्हें इंसानों के सहायक के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा रहा है। दुनिया में सोफिया, कोडोमोरॉइड और जिया-जिया काफी प्रसिद्ध ह्यूमनॉइड हैं।
सोफिया
यह सबसे प्रसिद्ध ह्यूमनॉइड है और दुनिया की पहली रोबोट नागरिक है। 11 अक्टूबर, 2017 को संयुक्त राष्ट्र में इसका परिचय कराया गया था। 25 अक्टूबर को इसे सऊदी अरब की नागरिकता मिली। 2019 में यह भारत भी पहुंची थी और इंदौर में इसने लोगों के सवालों के जवाब भी दिए थे।
कोडोमोरॉइड
कोडोमोरॉइड जापान में बनाई गई ह्यूमनॉइड है। यह टेलीविजन पर प्रस्तुति देती है। उसका नाम जापानी शब्द कोडोमो यानी बच्चा और गूगल के एंड्रॉइड से मिलकर बना है। कोडोमोरॉइड कई भाषाएं बोल सकती है। वह समाचार पढ़ने और मौसम की जानकारी देने में सक्षम है।
जिया जिया
यह ह्यूमनॉइड चीन में बनाई गई है। इसे दुनिया के सामने लाने से पहले चीन की साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी में इसका 3 साल तक परीक्षण किया गया। यह बातचीत करने में सक्षम है, लेकिन इसका मूवनेंट और भावनाएं सीमित हैं। आविष्कारक इसे बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं।