INS में लगी आग बुझाते हुए शहीद हो गए कमांडर धर्मेन्द्र, पिछले महीने हुई थी शादी
INS में लगी आग बुझाते हुए शहीद हो गए कमांडर धर्मेन्द्र, पिछले महीने हुई थी शादी
- आईएनएस विक्रमादित्य में आग बुझाने के दौरान शहीद हुए लेफ्टिनेंट कमांडर धर्मेन्द्र चौहान
- रतलाम के रहने वाले थे शहीद धर्मेन्द्र चौहान
- 6 साल से इंडियन नेवी में दे रहे थे सेवाएं
- शनिवार को रतलाम लाया जाएगा शहीद का पार्थिव शरीर
डिजिटल डेस्क, रतलाम भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य में शुक्रवार को आग लग गई। इस दौरान बढ़ती आग को बुझाने की कोशिश कर रहे लेफ्टिनेंट कमांडर धर्मेन्द्र शहीद हो गए। धर्मेन्द्र की मौत दम घुटने की वजह से हुई। घटना के वक्त पोत कर्नाटक के करवार बंदरगाह में प्रवेश कर रहा था। कमांडर धर्मेन्द्र के प्रयासों की वजह से आग पर तो काबू पाया लिया गया, लेकिन सेना ने एक लेफ्टिनेंट कमांडर खो दिया। नौसेना के प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि लेफ्टिनेंट कमांडर चौहान की बहादुरी से आग को बुझा लिया गया। हम उनके साहस और कर्मव्यनिष्ठा को सलाम करते हैं।
MP के रतलाम से नौ सेना के जाबाँज अधिकारी धर्मेन्द्र सिंह चौहान की विमानवाहक पोत INS विक्रमादित्य पर लगी आग को फैलने से रोकने के लिये किये साहसिक प्रयास में हुई मौत की घटना बेहद दुखद है।
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) April 27, 2019
ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणो में स्थान व पीछे परिजनो को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे।
बता दें कि आईएनएस विक्रमादित्य नौसेना का सबसे बड़ा विमान वाहक पोत है। आग विमानपोत के के एक कंपार्टमेंट में लगी थी, घटना के पीछे की वजह जांचने के लिए एक बोर्ड ऑफ एन्क्वायरी का गठन कर दिया गया है, जो जांच करने के बाद कारणों का खुलासा करेगी। हादसा उस समय हुआ, जब विक्रमादित्य कर्नाटक के कारवार के हार्बर में दाखिल हो रहा था, घटना के तुरंत बाद ही लेफ्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान अपनी टीम के साथ आग बुझाने पहुंच गए थे, जिसके बाद कुछ ही देर में आग पर काबू पा लिया गया, लेकिन आग की लपटों और धुएं की वजह से चौहान बेहोश हो गए, उन्हें कारवार में स्थित नेवी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
रतलाम के रहने वाले शहीद कमांडर धर्मेन्द्र चौहान 6 सालों से नेवी में सेवाएं दे रहे थे। पिछले महीने 10 मार्च को उनकी शादी हुई थी। उनकी पत्नी करुणा सिंह आगरा के एक कॉलेज में प्रोफेसर है। धर्मेन्द्र के पड़ोसी राजेन्द्र कुमार ने बताया कि 12 मार्च को रिसेप्शन था। इसके बाद धर्मेन्द्र 23 मार्च को डयूटी पर चले गए थे। उनके शहीद होने की सूचना सबसे पहले उनकी पत्नी करुणा को मिली। करुणा ने इसकी जानकारी रतलाम में रह रही मां को दी और खुद पति का शव लेने के लिए गोवा चली गई। शनिवार शाम तक शहीद का पार्थिव शरीर रतलाम लाया जाएगा। धर्मेन्द्र के शहीद होने की खबर मिलने के बाद से पूरे शहर में शोक की लहर है।