24 में से 20 तीर्थांकरों का मोक्ष स्थल, 27 किमी लंबी परिक्रमा के दर्शन, जानिए और क्या है 'शिखर जी' की महिमा, जिसकी खातिर सड़क पर आया जैन समाज?

क्यों नाराज जैन समुदाय? 24 में से 20 तीर्थांकरों का मोक्ष स्थल, 27 किमी लंबी परिक्रमा के दर्शन, जानिए और क्या है 'शिखर जी' की महिमा, जिसकी खातिर सड़क पर आया जैन समाज?

Bhaskar Hindi
Update: 2023-01-04 10:32 GMT
24 में से 20 तीर्थांकरों का मोक्ष स्थल, 27 किमी लंबी परिक्रमा के दर्शन, जानिए और क्या है 'शिखर जी' की महिमा, जिसकी खातिर सड़क पर आया जैन समाज?
हाईलाइट
  • दूसरे समुदायों ने भी किया समर्थन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले एक हफ्ते से देशभर में जैन समाज के लोग एकजुट होकर एक पवित्र पहाड़ी को बचाने में लगे हुए हैं। इसके लिए ये समुदाय के लोग  झारखंड, राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश समेत राजधानी दिल्ली में अपनी मांग को लेकर शांति पूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। बता दें कि जैन समुदाय के लोग झारखंड स्थित जैनों के पवित्र स्थल सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में प्रर्दशन कर रहे हैं। जैन सुमदाय के मुताबिक, इस क्षेत्र को यदि पर्यटन स्थल में तब्दील किया जाता है तो इसकी पवित्रता नष्ट हो जाएगी। इस मसले में अब उन्हें दूसरे समुदाय के लोगों का भी साथ मिल रहा है। आइए समझते हैं कि इस पूरे मुद्दे को लेकर जैन समुदाय विरोध प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं। 

झारखंड के गिरिडीह में एक पहाड़ी मौजूद है। इस पहाड़ी को भगवान पारसनाथ पर्वत के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्वत का नाम जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पारसनाथ के नाम पर रखा गया है और इसी पर्वत पर सम्मेद शिखर जी है, जिसे लोग "शिखर जी" भी कहते हैं। जैन धर्म में श्वेताम्बर समाज के लोगों के लिए यह काफी महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसा माना जाता है कि जैन धर्म के 24 में 20 तीर्थंकारों को इसी स्थान पर मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। यहां पर हजारों की तदाद में जैन श्रद्धालु आकर 27  किलोमीटर की लंबी परिक्रमा पूरी करते हुए शिखर पर पहुंचते हैं। 

जानें विरोध का कारण

अगस्त 2019 की बात है। जब केंद्र सरकार ने राज्य की तत्कालीन बीजेपी सरकार की अनुशंसा पर झारखंड के गिरिजीह जिला के पारसनाथ की पहाड़ी पर स्थित सम्मेद शिखर जी को इको पर्यटन स्थल बनाने का प्रस्ताव रखा था। 

द हिंदू ने एक अधिकारी के हवाले से लिखा गया था कि 2022 में हेमंत सोरेन सरकार ने एक अधिसूचना जारी की, जिसके अंतर्गत पारसनाथ पर्वत पर स्थित सम्मेद शिखर जी को इको पर्यटन को बढ़ाने का फैसला किया। हालांकि, इको सेंसिटिव क्षेत्र होने के चलते यहां पर अभी तक कोई नया निर्माण कार्य नहीं किया है। 

समुदाय को मिला शासन का सहयोग

बढ़ते विरोध को देखते हुए राज्य के पर्यटन सचिव मनोज कुमार ने मीडिया से कहा कि उन्हें जैन समुदाय की चिंताओं की जानकारी है। उन्होंने आगे कहा कि , "समुदाय के कुछ प्रतिनिधियों से हमारी बातचीत हुई है जिन्होंने कुछ शंकाएं उठाई हैं। हम सभी मिलकर प्रस्ताव का अध्ययन कर रहे हैं और जल्द ही एक नए प्रस्ताव के साथ आएंगे, जिसमें जैन धर्म की चिंताओं का भी ख्याल रखा जाएगा।"

इन सब के बीच प्रशासन जल्द ही एक नया प्रस्ताव लाने की बात कह रहा है। इसके अलावा जैन समुदाय के प्रमुख धर्मगुरु मुनि प्रणाम सागर जी ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकार को पार्श्वनाथ हिल सर्किट को इको-सेंसिटिव जोन के रूप में प्रस्तावित करना चाहिए। उन्होंने सरकार से सवाल किया है कि , 'इको टूरिज्म जोन ही क्यों, इको तीर्थस्थान या फिर इको श्रद्धालु केंद्र क्यों नहीं बनाया जाना चाहिए'

दूसरे समुदायों ने भी किया समर्थन

जैन समुदाय की मांग का समर्थन दूसरे धर्म के लोग भी कर रहे हैं। इस मसले में विश्व हिंदु परिषद ने समुदाय का समर्थन करते हुए सरकार से मांग की है कि धार्मिक स्थल को टूरिज्म स्पॉट घोषित करने का फैसला जल्द वापस लिया जाए। इसके अलावा एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने समुदाय का समर्थन करते हुए झारखंड सरकार से फैसला वापस लेने की मांग की है। ओवैसी ने ट्वीट कर लिखा है कि "आज जैन समाज के कुछ ज़िम्मेदारों ने एआईएमआईएम पार्टी मुख्यालय, दारुस्सलाम में मुझसे मुलाक़ात की। झारखंड में जैन तीर्थस्थल श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल में बदलने के फैसले की समर्थन करने के लिए मेरा शुक्रिया अदा किया। हम जैन समाज के साथ हैं।" 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने ट्वीट किया कि सरकार को जैन समुदाय की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और शिखरी जी को धार्मिक स्थल घोषित करें। 

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