74वें बर्थ-डे पर जानिए सोनिया गांधी से जुड़ी ये बातें...
74वें बर्थ-डे पर जानिए सोनिया गांधी से जुड़ी ये बातें...
- कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने सोनिया गांधी को दी जन्मदिन की शुभकामनाएं
- किसान आंदोलन की वजह से बर्थ-डे सेलिब्रेट नहीं करेंगी सोनिया गांधी
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी का आज 74वां जन्मदिवस
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी का आज 74वां जन्मदिवस हैं। हालांकि, वह इस बार किसान आंदोलन के समर्थन में बर्थ-डे सेलिब्रेट नहीं करेंगी। मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन्हें विश करते हुए लिखा है कि "अ.भा. कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं, आपका कुशल मार्गदर्शन, नेतृत्व हम सभी को सदैव मिलता रहे। आप स्वस्थ रहे, दीर्घायु हो, यही ईश्वर से कामना है"। वहीं, किसान आंदोलन से चर्चा में आए पंजाब के मशहूर सिंगर दिलजीत दोसांझ ने लिखा है कि "मेडम सोनिया गांधी को जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह स्वस्थ रहे, दीर्घायु हो।"
आइए, एक नजर डालते हैं सोनिया गांधी की जिंदगी से जुड़ी कुछ बातों पर...
- सोनिया मेनो का जन्म 9 दिसंबर, 1946 को लुसियाना, वेनेटो शहर इटली में हुआ था। कहते हैं कि इंग्लैंड के कैम्ब्रिज स्कूल में अंग्रेजी की पढ़ाई करते हुए सोनिया मेनो की पहली बार मुलाकात कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से ही मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट राजीव गांधी से हुई थी। वह उस समय नहीं जानती थी कि राजीव भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे हैं।
- फिर सोनिया ने 1968 में राजीव गांधी से शादी कर ली और वह सोनिया मेनो से सोनिया गांधी हो गई। वह शादी के बाद प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास में ही रहते थे। हालांकि, राजीव गांधी एयरलाइन में पायलट के रूप में कैरियर बनाना चाहते थे और राजनीति में आने का उनका कोई प्लान नहीं था।
- हालांकि, होनी को कुछ और ही मंजूर था। एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में राजीव गांधी के भाई संजय गांधी की 1980 में मृत्यु हो गई और राजीव गांधी को राजनीति में प्रवेश करना पड़ा।
- इसके बाद जब 1984 में जब इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी, तब राजीव का नाम प्रधानमंत्री के लिए सामने आया था। इसके बाद सोनिया ने राजीव गांधी के लिए कैंपियन चलाया, लेकिन वह कभी सामने नहीं आई।
- 1991 में जब राजीव की हत्या हुई थी, तब सोनिया को नेहरू-गांधी राजवंश के स्वाभाविक उत्तराधिकारी के रूप में देखा गया था और उन्हें कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व करने की पेशकश की गई थी। जिसे उन्होंने स्वीकार करने से साफ मना कर दिया और पब्लिकली कभी भी राजनीति पर कोई बयान नहीं दिया।
- हालांकि, 1993 में, उन्होंने उत्तर प्रदेश के अमेठी में राजीव के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र का दौरा किया और वहीं की जनता ने जिस तरह से उनका स्वागत किया वह देख सोनिया खुद हैरान रह गईं। बाद में उन्होंने पूरे देश में यात्रा की।
- इसी बीच 1998 में सोनिया गांधी संघर्षशील कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बनने के लिए सहमत हुई। उस समय कांग्रेस की हालत बहुत खराब थी और लोकसभा के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को बहुत अच्छी स्थिति में थी, लेकिन सोनिया ने हार नहीं मानी और पार्टी में एक नई ऊर्जा भरते हुए बेरोजगारी और किसानों के मुद्दा उठाकर 2004 में सत्ता में वापसी की।
- 2004 के लोकसभा चुनावों में सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन बहुमत नहीं जुटा पाई ऐसे में अन्य दलों के समर्थन से यूपीए का गठन हुआ और सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की मांग पार्टी में उठने लगी, लेकिन विपक्ष ने उनके विदेशी होने को इतना तूल दिया कि उन्होंने अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनवा दिया। ऐसे में सोनिया गांधी लगातार 10 सालों तक पार्टी की अध्यक्ष रहीं, जो एक रिकार्ड है।