- जम्मू कश्मीर के हालात पर ईसी की नजर
- दिसंबर 2018 में लगा था राज्यपाल शासन
- राज्यपाल से परिसीमन पर गृहमंत्री शाह ने की बात
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में इस साल के आखिर तक निर्वाचन आयोग (EC) विधानसभा चुनाव करवा सकता है। आयोग ने मंगलवार को ईसी ने कहा कि दिसंबर 2019 तक जम्मू कश्मीर में चुनाव हो सकते हैं, जिसका शेड्यूल अमरनाथ यात्रा के बाद ही जारी किया जाएगा। आयोग ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324 और दूसरे निमों तहत राज्य में विधानसभा चुनाव रोककर रखने का निर्णय लिया गया है।
आयोग ने अपने बयान में कहा कि राज्य की स्थिति पर लगातार हमारी नजर है। इस संबंध में इनपुट्स भी लिए जा रहे हैं। बता दें कि 46 दिनों तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा इस बार 1 जुलाई से शुरू हो रही है, जो 15 अगस्त तक चलेगी। जम्मू कश्मीर में इस समय राष्ट्रपति शासन लागू है। राज्य में महबूबा मुफ्ती की पीडीपी और बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार बनने के बाद दिसंबर 2018 में राज्यपाल शासन लगा दिया गया था, जो अब राष्ट्रपति शासन में तब्दील हो चुका है।
इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में आंतरिक सुरक्षा और परिसीमन को लेकर मंगलवार को बैठक की थी। शाह के साथ गृह सचिव राजीव गौबा, कश्मीर के एडिशनल सचिव ज्ञानेश कुमार सहित कई अफसर मौजूद थे। बैठक में कश्मीर के हालातों पर चर्चा की गई थी, मीटिंग में जम्मू-कश्मीर में नए परिसीमन और इसके लिए आयोग गठित करने पर भी विचार किया गया था। संभावना जताई जा रही है कि जम्मू-कश्मीर में कुछ सीटें एससी (अनुसूचित जनजाति) के लिए आरक्षित की जा सकती हैं। इस बारे में गृहमंत्री शाह राज्यपाल सत्यापाल मलिक से भी चर्चा कर चुके हैं।
बता दें कि जम्मू क्षेत्र में कई सालों से ये बात उठती रही है कि निर्वाचन क्षेत्रों में स्थानीय जातियों का असंतुलित प्रतिनिधित्व रहा है। स्थानीय लोग राज्य विधानसभा में प्रतिनिधित्व की मांग करते रहे हैं। कश्मीर घाटी में गढ़रिए, बकेरवाल और गुर्जर हैं, जिनकी आबादी करीब 11 प्रतिशत है, इन्हें 1991 में अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे दिया गया था, लेकिन इनका विधानसभा में राजनैतिक प्रतिनिधित्व बिल्कुल भी नहीं है।
वर्तमान समय में कश्मीर में 46, जम्मू में 37 और लद्दाख में 4 विधानसभा सीट हैं। जम्मू-कश्मीर के लिए गठित आयोग की रिपोर्ट के बाद विधानसभा क्षेत्रों का आकार भी बदला जा सकता है। इसके अलावा कुछ सीटें एससी के लिए भी रिजर्व की जा सकती हैं। गृहमंत्री शाह इससे पहले अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा इंतजामों की ब्रीफिंग भी कर चुके हैं। उन्होंने आतंकियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन की रिपोर्ट ली थी और उसे जारी रखने के निर्देश भी दिए थे। मीटिंग में अमित शाह ने सुरक्षा बलों से कहा कि वो आतंकियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करें।