भारत की नीतू, स्वीटी ने आईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में ऐतिहासिक स्वर्ण जीता
देश भारत की नीतू, स्वीटी ने आईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में ऐतिहासिक स्वर्ण जीता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शनिवार को इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के फाइनल में इतिहास रचते हुए जीत दर्ज करने के बाद उत्साही भारतीय मुक्केबाज नीतू घनघस और स्वीटी बूरा को पहली बार विश्व चैंपियन के रूप में ताज पहनाया गया। जहां 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता नीतू (48 किग्रा) ने मंगोलिया की लुत्साइखान अल्तांसेटसेग को 5-0 से हराकर अपना पहला विश्व चैंपियनशिप पदक जीता, वहीं तीन बार की एशियाई पदक विजेता स्वीटी (81 किग्रा) को चीन की वांग लीना के खिलाफ विश्व चैंपियनशिप में अपना दूसरा पदक हासिल करने के लिए बाउट की समीक्षा के बाद अंकों के आधार पर 4-3 से जीत हासिल करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
अपनी शानदार फॉर्म को बरकरार रखते हुए नीतू (48 किग्रा) ने दो बार की एशियाई कांस्य पदक विजेता लुत्साइखान के लिए क्लोज रेंज और स्मार्ट मूवमेंट से अपने आक्रामक वर्चस्व का इस्तेमाल किया। भिवानी की 22 वर्षीय मुक्केबाज ने मंगोलियाई एथलीट पर ताबड़तोड़ मुक्के बरसाकर जोरदार शुरूआत की और सर्वसम्मत निर्णय से जीत हासिल करने के लिए लगातार हमले और ²ढ़ डिफेंस का शानदार संयोजन दिखाया। नीतू ने कहा, स्वर्ण पदक जीतने के बाद मैं बहुत खुश हूं। मैं पिछले साल स्वर्ण की अपनी खोज में पिछड़ गई थी इसलिए हमने गलतियों पर काम किया और घरेलू समर्थन के सामने इस जीत हासिल की। कल अपने कोचों के साथ चर्चा करने के बाद मैंने पहले दौर से ही आक्रामक होने का फैसला किया था ताकि स्कोर को अपने पक्ष में कर सकूं। मैं कई सालों से कड़ी मेहनत कर रही हूं और यह मेडल मेरे लिए बहुत मायने रखता है।
अपने दूसरे विश्व चैंपियनशिप फाइनल में प्रतिस्पर्धा करते हुए स्वीटी को 2018 विश्व चैंपियन वांग लीना के खिलाफ कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। हालांकि, भारतीय खिलाड़ी ने अपनी उच्च तकनीकी क्षमता और शक्ति का उपयोग पूरे खेल के दौरान अपने प्रतिद्वंद्वी को प्रभावशाली ढंग से पराजित करने के लिए किया। स्वीटी ने कहा- विश्व चैंपियन बनने के अपने सपने को पूरा करने के बाद मैं रोमांचित हूं। मुकाबला अच्छा रहा और मैं अपनी योजना को पूरी तरह से क्रियान्वित करने में सफल रही। टूनार्मेंट में मेरा प्रदर्शन बेहतर होता गया क्योंकि मुकाबले आगे बढ़े और मेरा शरीर भी अच्छी प्रतिक्रिया दे रहा था। मैं प्रशंसकों को उनके लगातार प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद देना चाहती हूं।
दोनों मुक्केबाजों को विश्व चैंपियंस के रूप में ताज पहनाए जाने के बाद पुरस्कार राशि में प्रत्येक को 82.7 लाख रुपए ( 100,000 डॉलर) से सम्मानित किया गया। 57 किग्रा वर्ग में, टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता इटली की इरमा टेस्टा ने भी अपना पहला विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण जीता, उन्होंने कजाकिस्तान की करीना इब्रागिमोवा को 5-0 से हराया। चीनी ताइपे के लिन यू-टिंग के खिलाफ कड़े मुकाबले में 1-4 से हार के बाद टूर्नामेंट के पिछले संस्करण में रजत पदक से संतोष करने वाली इरमा ने इस बार उस परिणाम को दोहराने से बचने के लिए सब कुछ झोंक दिया और एक यादगार जीत हासिल की।
नीतू और स्वीटी की ऐतिहासिक जीत के बाद, भारत की दो और स्वर्ण पदक की तलाश रविवार को जारी रहेगी, जब मौजूदा विश्व चैंपियन निकहत जरीन और टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन अपने-अपने फाइनल मुकाबले के लिए रिंग में उतरेंगी।
(आईएएनएस)
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