एक बार फिर पैर पसार रहे कोरोना ने बढ़ाई सरकार की टेंशन, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुलाई बैठक, लिये जा सकते हैं सख्त फैसले
कोरोना रिटर्न! एक बार फिर पैर पसार रहे कोरोना ने बढ़ाई सरकार की टेंशन, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुलाई बैठक, लिये जा सकते हैं सख्त फैसले
- सख्त हो सकती है कोरोना गाइडलाइंस
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में एक बार फिर कोरोना अपने पैर पसार रहा है। प्रतिदिन बढ़ते केसों से केंद्र समेत राज्य सरकारों की चिंता बढ़ गई है। ऐसे में इस जानलेवा वायरस के प्रसार को देखते हुए आज केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बड़ी बैठक बुलाई है। जानकारी के मुताबिक, इस बैठक में कोरोना को फैलने से रोकने की रणनीतियां बनाई जा सकती हैं। साथ ही संभावना जताई जा रही है कि बैठक में कोरोना गाइडलाइंस सख्त करने पर भी निर्णय लिया जा सकता है।
बता दें कि रविवार को देश में आए कोरोना के मामलों ने सभी को चौंका दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, 19 मार्च में 1070 नए मामले सामने आए हैं, जो कि बीते चार महीनों में एक दिन में आए सबसे ज्यादा मामले हैं। अंतिम बार बीते साल 6 नवंबर को एक ही दिन 1 हजार से ज्यादा कोरोना केस सामने आए थे।
19 मार्च को आए 1070 कोरोना संक्रमितों में से के 4 लोगों की मौत हो गई है, जिससे सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें खिच गई हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में कुल एक्टिव केसों की संख्या 6350 पर पहुंच चुकी है।
सख्त हो सकती है कोरोना गाइडलाइंस
बीते दिनों में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर केंद्र सरकार अलर्ट हो गई है। जानकारी के मुताबिक आज होने वाली केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की बैठक में कोरोना गाइडलाइंस में कुछ सख्त बदलाव किये जा सकते हैं। इससे पहले कोरोना के मामलों में दिन प्रतिदिन हो रहे इजाफे को देखते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने रिवाइज्ड गाइडलाइंस जारी की थी। जिसके मुताबिक, जब तक बैक्टीरिया के इंफेक्शन की क्लीनिकल तौर पर पुष्टि नहीं हो जाती तब तक एंटीबायोटिक्स का यूज नहीं किया जाना चाहिए। इसके साथ ही इसमें कहा गया कि कोरोना के अन्य इंफेक्शन के साथ होने की संभावना को दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए।
देश में अभी जिन राज्यों में सबसे ज्यादा कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं वो हैं - महाराष्ट्र, केरल और गुजरात। केंद्र ने इन तीनों राज्यों को फाइव फोल्ड रणनीति अपनाने की सलाह दी है। इस रणनीति के अंतर्गत टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट और वैक्सीनेशन पर काम किया जाता है.