बेशकीमती और बेनजीर चीजों से सजा है ज्योतिरादित्य सिंधिया का जयविलास पैलेस, इतिहास में दर्ज हैं शानौशौकत के
जयविलास पैलेस बेशकीमती और बेनजीर चीजों से सजा है ज्योतिरादित्य सिंधिया का जयविलास पैलेस, इतिहास में दर्ज हैं शानौशौकत के
- महल के छत की मजबूती को परखने के लिए आठ हाथियों को छत से गुजारा गया था
डिजिटल डेस्क, ग्वालियर। जय विलास पैलेस मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित देश के सबसे आलिशान महलों में से एक है। 19 वीं सदी में बना यह महल देश के पुरातात्विक विरासत को एक अलग पहचान दिलाता है। लगभग 12 लाख वर्गफुट में फैले इस महल को महाराजा श्रीमंत जयजीराव सिंधिया ने साल 1874 में किंग एडवर्ड के आगमन के लिए बनवाया था। आज यह पैलेस पर्यटन स्थल के रुप में काफी फेमस हैं और यह महल महाराज जयजीराव सिंधिया के पोते ज्योतिरादित्य सिंधिया को विरासत के रुप में मिला है।
महल का निर्माण
इस आलिशान महल का निर्माण महाराजा श्रीमंत जयजीराव सिंधिया ने साल 1874 में शुरु करवाया था। जिसकी डिजाइन फ्रांसीस आर्किटेक्ट मिशेल फिलोस ने तैयार किया था। 12 लाख वर्गफुट से अधिक के क्षेत्र में फैले इस महल की तीन मंजिलों पर कुल 400 कमरे हैं।
महल की संरचना
इस महल को यूरोपीय वास्तुकला के अनुसार बनवाया गया था। इसकी हर मंजिल का निर्माण अलग-अलग शैलियों में विदेशी कारीगरों द्वारा किया गया था। महल की पहली मंजिल टस्कन, दूसरी मंजिल इतालवी-डोरिक और तीसरी मंजिल कोरिंथियन शैली पर आधारित है। जबकि इसके फर्श को इतवाली संगमरमर से बनाया तैयार किया गया था।
महल की अनोखी और आलिशान सजावट
इस महल के इंटीरियर हॉल को 560 किलो सोने से सजाया गया है। कहा जाता कि महल में लगे झूमरों का वजन इतना अधिक था कि उसे लगाने से पहले महल के छत की मजबूती को परखने के लिए आठ हाथियों को छत से गुजारा गया था।
डाइनिंग टेबल पर चांदी की ट्रेन
इस महल की सबसे चर्चित चीज खाने की टेबल पर चलती चांदी की ट्रेन है। इस सॉलिड सिल्वर से बनी ट्रेन का इस्तेमाल मेहमानों को ब्रांडी और सिगार परोसने के लिए किया जाता था।
महल की वर्तमान स्थिति
गौरतलब है कि वर्तमान में यह महल पर्यटन स्थल के लिए फेमस है और महल में ज्योतिरादित्य सिंधिया का परिवार भी रहता है। इस महल की सुंदरता और वास्तुकला को देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक यहां आते हैं।