IFFI में गोवा राज्यपाल मलिक बोले - 'अब तक नहीं उतरा है कश्मीर का खुमार'
IFFI में गोवा राज्यपाल मलिक बोले - 'अब तक नहीं उतरा है कश्मीर का खुमार'
डिजिटल डेस्क, पणजी। अपने बयानों के कारण चर्चा में बने रहने वाले गोवा के राज्यपाल सत्यपाल मलिक एक बार फिर सुर्खियों में आए हैं। गुरुवार को 50वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) के समापन समारोह के दौरान सत्यपाल ने कहा कि "मैं कश्मीर से 3 हफ्ते पहले ही गोवा आया हूं और मेरा कश्मीर का खुमार (हैंगओवर) अब तक नहीं उतरा है।" IFFI का समापन समारोह राजधानी पणजी में स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी सभागार में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में बॉलिवुड के कई नामचीन निर्देशक, निर्माता और कलकारों ने हिस्सा लिया।
Goa Governor SP Malik at IFFI closing ceremony: I"ve come to Goa only 3 weeks ago from Kashmir. My Kashmir hangover hasn"t weaned-off yet. Not a single casualty has taken place in Kashmir since Article 370 has been abrogated. Police hasn"t fired even a single bullet since Aug 5. pic.twitter.com/GarcF9tZYx
— ANI (@ANI) November 28, 2019
इस फेस्टिवल का आयोजन केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्रालय और गोवा सरकार ने साथ मिलकर किया था। फेस्टिवल के दौरान राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जम्मू और कश्मीर की बात की। बताया कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद से अब तक एक भी दुर्घटना नहीं हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि 5 अगस्त से पुलिस ने एक भी गोली (जम्मू और कश्मीर में) नहीं चलाई है। बता दें कि गोवा से पहले सत्यपाल जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल रह चुके हैं और अपने कार्यकाल के दौरान वह कश्मीर की ऐतिहासिक, राजनीतिक और संवैधानिक परिवर्तनों के साक्षी भी रहे हैं।
अपने भाषण में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बताया कि केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के फैसले से पहले मुठभेड़ की वजह से हर हफ्ते बड़ी संख्या में लोग मारे जाते थे। उन्होंने यह भी बताया कि अक्सर नौकरशाह उन्हें डराते थे कि विशेष दर्जे को हटाने पर कम से कम 1000 लोग मारे जा सकते हैं, लेकिन अनुच्छेद 370 के रद्द किए जाने के बाद भारतीय सेना को एक भी गोली चलाने की जरूरत नहीं पड़ी।
बता दें कि इस साल 5 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने दशकों से चले आ रहे अनुच्छेद 370 के मुद्दे को खत्म कर दिया, जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता था। इसके निरसन के बाद राज्य का विभाजन दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू कश्मीर और लद्दाख में कर दिया गया है। अब जम्मू कश्मीर की अपनी विधायिका है, जबकि लद्दाख बिना विधायिका का केंद्रशासित प्रदेश है।