पश्चिमी यूपी की 100 सीटों पर है किसान आंदोलन का प्रभाव, क्या कृषि कानून की वापसी करेगी भाजपा के लिए गेमचेंजर का काम?
कृषि कानून पर सियासत पश्चिमी यूपी की 100 सीटों पर है किसान आंदोलन का प्रभाव, क्या कृषि कानून की वापसी करेगी भाजपा के लिए गेमचेंजर का काम?
- कुल 110 सीटें है
- जिनमें से 100 सीटों पर किसानों का दबदबा है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लगभग 1 साल से जारी किसान आंदोलन के मद्देनजर मोदी सरकार ने कृषि कानून वापस ले लिया है। किसानों को ये तोहफा गुरुनानक जयंती के अवसर पर दिया गया। लेकिन, अपने किसी फैसले से पीछे नहीं हटने वाली मोदी सरकार ने इस फैसले में अपने कदम पीछे क्यों कर लिए, इस बात को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। विपक्ष के अनुसार, केंद्र सरकार ने आगामी विधानसभा को लेकर कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है।
पश्चिमी यूपी में सीटों का गणित समझिए
दरअसल, पश्चिमी यूपी में कुल 110 सीटें है, जिनमें से 100 सीटों पर किसानों का दबदबा है और किसान आंदोलन की वजह से इन सीटों पर भाजपा को लेकर नाराजगी है। वहीं किसान नेता राकेश टिकैत भी इन्हीं इलाकों से आते है। पिछले विधानसभा के दौरान भाजपा ने 110 में 51 सीटों पर अपना दबदबा बनाया था। लेकिन, कुछ सर्वे की मानें तो, किसान आंदोलन की वजह से उन सीटों पर भाजपा की छवि खराब हुई है। हालांकि, कृषि कानून की वापसी से भाजपा के प्रति किसानों का गुस्सा कम हो सकता है।
बता दें कि, किसान आंदोलन के दौरान जब गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर परेड में हिंसा हुई तो, पूरे देश को लगा कि, आंदोलन ने अंतिम सांसे ले ली। लेकिन, राकेश टिकैत के आंसुओं ने पूरी स्थिति में अचानक परिवर्तन ला दिया और पंजाब, हरियाणा के अलावा पश्चिमी यूपी के किसानों ने भी आंदोलन में हिस्सा लिया। हालांकि, कानून वापसी के बाद भी राकेश टिकैत ने आंदोलन खत्म न करने का ऐलान किया है और कहा है कि, सरकार एमएसपी की गारंटी और हमारी 6 मांगों को मान लें। साथ ही संसद से कानून वापसी की प्रक्रिया पूरा हो जाएं, उसके बाद हम आंदोलन समाप्त कर देंगे।