43 साल पहले भी मोरबी की मच्छू नदी में मौत कर चुकी है तांडव, 1400 से ज्यादा लोगों ने गंवाई थीं अपनी जानें, जानिए उस दर्दनाक हादसे के बारे में

मोरबी हादसा 43 साल पहले भी मोरबी की मच्छू नदी में मौत कर चुकी है तांडव, 1400 से ज्यादा लोगों ने गंवाई थीं अपनी जानें, जानिए उस दर्दनाक हादसे के बारे में

Bhaskar Hindi
Update: 2022-10-31 11:11 GMT

डिजिटल डेस्क, अहमदाबाद। 30 अक्टूबर की शाम गुजरात के मोरबी में मच्छू नदी पर बना केबिल ब्रिज अचानक टूट गया। ब्रिज जिस समय टूटा उस समय उस पर करीब 500 लोग सवार थे, जो नदी में गिर गए। गुजरात सरकार के मुताबिक, इस हादसे में अब तक 134 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 70 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। पुलिस-प्रशासन और सेना की टीमें के द्वारा अभी भी सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इस दिल दहला देने वाले हादसे ने गुजरात समेत पूरे देश को हिला कर रख दिया है। साथ ही इस घटना ने 43 साल पहले मच्छू नदी में हुए भयानक हादसे की यादें ताजा कर दीं। आइए जानते हैं उस दर्दनाक हादसे के बारे में जिसके बारे में बात कर आज भी मोरबी शहर के लोग सिहर उठते हैं। 

जब पूरा शहर हो गया था श्मशान में तब्दील

बात 11 अगस्त 1979 की है जब मच्छू नदी पर बना बांध लगातार बारिश और स्थानीय नदियों में बाढ़ के चलते ओवरफ्लो हो गया था। बांध में जरुरत से ज्यादा पानी होने के कारण बांध टूट गया और इसके कुछ ही समय बाद पूरे मोरबी शहर में तबाही मच गई थी। करीब सवा तीन बजे टूटे इस बांध के पानी ने 15 मिनट के भीतर ही पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया था। अचानक हुए इस हादसे ने लोगों को संभलने का मौका तक नहीं दिया और देखते ही देखते मोरबी की बड़ी-छोटी इमारतें जमीदोंज हो गईं। 

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस भीषण हादसे में लगभग 1439 लोगों की मौत और करीब 13 हजार से ज्यादा पशुओं की मौत हो गई थी। वहीं विपक्ष का दावा था कि हादसे में लगभग 25 हजार लोगों की मौत हुई है। कुछ समय बाद जैसे ही इस बाढ़ का पानी उतरा तो हर तरफ मौत का मंजर नजर आया। कहीं लोगों की शव बिजली के खंबों में लटके तो कहीं मलबे में दबे नजर आ रहे थे। पूरा शहर श्मशान में तब्दील हो गया था।

 पीएम मोदी ने इंदिरा गांधी पर साधा था निशाना

पांच साल पहले गुजरात विधानसभा के अंतर्गत मोरबी में चुनावी रैली के दौरान पीएम मोदी ने इस दर्दनाक हादसे को याद करते हुए कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि, मच्छू बांध त्रासदी के बाद हुए राहत कार्य के दौरान राहुल गांधी की दादी इंदिराबेन मुंह पर रुमाल लगाकर दुर्गंध और गंदगी से बच रही थीं। वहीं संघ के कार्यकर्ता कीचड़ व गंदगी में जाकर बचाव कार्य कर रहे थे। उन्होंने कहा था कि, उस समय गुजरात की प्रसिद्ध मैगजीन चित्रलेखा ने इंदिरा गांधी की उस तस्वीर पर राजकीय गंदगी और संघ के कार्यकर्ताओं की तस्वीर पर इंसानियत की महक का शीर्षक लगाया था।  

दरअसल, इस दर्दनाक हादसे के बाद इंदिरा गांधी ने मोरबी का दौरा किया था। इस दौरान लाशों की दुर्गंध बहुत ज्यादा होने की वजह से उन्होंने अपने नाक पर रुमाल रख लिया था। कहा जाता है कि उस समय मोरबी का दौरा करने वाले नेताओं और बचाव दल के लोग भी बीमार हो गए थे। 
     

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