2018 में 8 राज्यों में होंगे विधानसभा चुनाव, इसलिए हैं खास

2018 में 8 राज्यों में होंगे विधानसभा चुनाव, इसलिए हैं खास

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-30 04:22 GMT
2018 में 8 राज्यों में होंगे विधानसभा चुनाव, इसलिए हैं खास

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2017 अब लगभग खत्म ही हो गया है और दो दिन बाद नया साल शुरू हो जाएगा। राजनीति के लिहाज से 2017 काफी खास रहा है, क्योंकि इसी साल 7 राज्यों में चुनाव हुए हैं, जिसमें से 6 में बीजेपी ने अपनी सरकार बनाई है। इसमें उत्तरप्रदेश जैसा सबसे बड़ा राज्य भी है, तो इस हिसाब से 2017 बीजेपी के लिए बहुत ही शानदार रहा है। कांग्रेस के लिए 2017 उतना खास नहीं रहा, लेकिन साल के अंत में गुजरात चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन से पार्टी को एक नई उम्मीद मिली है। वहीं राहुल गांधी भी कांग्रेस अध्यक्ष बन गए हैं, तो देखा जाए तो 2017 कांग्रेस के लिए भी हमेशा यादगार ही रहेगा। अब बात करते हैं आने वाले साल की यानी 2018 की। अगले साल 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, इनमें से कई राज्यों में बीजेपी की सरकार है। आइए जानते हैं 2018 का चुनावी कैलेंडर..


किन-किन राज्यों में होने हैं चुनाव? 

2017 में जहां 7 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, वहीं 2018 में 8 राज्यों में चुनाव होने हैं। ये सभी राज्यों के चुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए ही काफी मायने रखते हैं। एक तरफ जहां बीजेपी इस साल बाकी राज्यों को भी भगवामय करने की कोशिश करेगी, वहीं कांग्रेस के लिए बाकी राज्यों में अपनी सरकार बचाने की कोशिश करेगी। 2018 में चुनावी समर फरवरी से ही शुरू हो जाएगा, जो साल के आखिरी तक रहेगा। यानी देखा जाए, तो 2018 पूरी तरह से चुनावों में ही बीत जाएगा। फरवरी 2018 में पहले त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में चुनाव हो सकते हैं। इसके बाद मई में और फिर नवंबर में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में चुनाव होने है। ये सभी राज्य इसलिए भी खास है, क्योंकि इन राज्यों में लोकसभा की 99 सीटें आती हैं, जिसमें से बीजेपी के पास अभी 79 सीटें हैं।



मध्यप्रदेश में 15 सालों से बीजेपी

सबसे पहले बात मध्यप्रदेश के चुनावों की करते हैं। यहां पर 230 विधानसभा सीटें हैं। पिछले चुनावों में बीजेपी ने यहां की 165 सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस सिर्फ 58 सीटें ही जीत पाई थी। मध्यप्रदेश में पिछले 15 सालों से बीजेपी की सरकार है और शिवराज सिंह चौहान यहां के मुख्यमंत्री है। इस तरह से देखा जाए, तो मध्यप्रदेश के हालात भी गुजरात जैसे ही हैं। मध्यप्रदेश में जनता शिवराज सरकार से नाराज हैं और हाल ही में हुए किसान आंदोलन और व्यापमं घोटाले ने शिवराज की छवि पर दाग भी लगाए हैं। ऐसे में राज्य में बीजेपी को थोड़ी मुश्किल हो सकती है। वहीं कांग्रेस यहां पर गुटों में बंटी हुई है। एक गुट ज्योतिरादित्य सिंधिया का है, तो एक गुट कमलनाथ का और तीसरा गुट दिग्विजय सिंह का भी है। गुटों में बंटे होने के कारण कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा है। जबकि अगर ये सभी गुट एक हो जाएं, तो बीजेपी की सरकार जा सकती है। ऐसे में कांग्रेस के लिए सबसे जरूरी है कि वो पहले इन गुटों में बंटे हुए लोगों को एक करे और किसी एक चेहरे को आगे कर मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव लड़े। इस राज्य में लोकसभा की 29 सीटें हैं, जिसमें से 2014 में बीजेपी 27 सीटें जीती थी। जबकि ज्योतिरादित्य और कमलनाथ ही अपनी सीट बचा पाए थे। अब कांग्रेस की ये जिम्मेदारी है कि वो जल्द से जल्द राज्य में एक ऐसे चेहरे को आगे करे, जो शिवराज को टक्कर दे सके।



छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी की सरकार

2000 में मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद छत्तीसगढ़ एक नया राज्य बना। यहां पर विधानसभा की 90, लोकसभा की 11 और राज्यसभा की 5 सीटें आती हैं। नया राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ में 2003 तक अजीत जोगी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन इसके बाद से रमन सिंह ही यहां पर मुख्यमंत्री हैं और बीजेपी 14 सालों से यहां सत्ता में है। पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने यहां पर 49 और कांग्रेस 39 सीटें जीती थी। वहीं लोकसभा की 11 सीटों में से बीजेपी ने 10 पर और कांग्रेस सिर्फ 1 पर ही कब्जा कर पाई थी। मध्यप्रदेश की तरह ही छत्तीसगढ़ भी बीजेपी का एक गढ़ बन गया है, लेकिन यहां पर भी रमन सिंह एंटी-इनकंबेंसी का सामना कर रहे हैं। अजीत जोगी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के बड़े नेता रहे हैं, लेकिन हाल ही में उनके बेटे पर लगे आरोपों के कारण उनकी छवि को नुकसान हुआ है। हालांकि कांग्रेस इन सबसे किनारा कर चुकी है। मध्यप्रदेश की तरह ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के लिए जरूरी है कि वो किसी चेहरे को आगे करे।



राजस्थान में हर बार बदलती है सरकार

राजस्थान एक ऐसा राज्य है, जहां हर 5 साल में सरकार बदल जाती है। 1998 से यही सिलसिला चला आ रहा है। इस राज्य में आजादी के बाद से कांग्रेस ने ही राज किया है। यहां पर पहली बार बीजेपी ने 1992 में अपनी सरकार बनाई थी और इसके बाद से बीजेपी राज्य में मजबूत होती चली गई। राजस्थान में 200 विधानसभा सीटें और 25 लोकसभा सीट है। पिछली बार के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने यहां पर 163 सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस 21 सीटों पर ही सिमट गई थी। वहीं लोकसभा की सभी 25 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया था। राजस्थान में फिलहाल वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री हैं और पुराने आंकड़ों के मुताबिक, यहां पर हर चुनावों में सरकार बदल जाती है। राजस्थान में बीजेपी के पास तो वसुंधरा राजे हैं, लेकिन कांग्रेस अब उलझ गई है। राज्य में कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट अच्छा काम कर रहे हैं, वहीं अशोक गहलोत भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। गहलोत राजस्थान में दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके साथ ही गुजरात चुनावों में अशोक गहलोत को प्रभारी बनाया गया था और उन्होंने वहां अच्छा काम करके दिखाया है। लिहाजा 2018 के चुनावों में अशोक गहलोत अपने इस काम का इनाम जरूर मांगेंगे। ऐसे में कांग्रेस की जिम्मेदारी है कि वो अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तालमेल बनाए रखे और किसी ऐसे को अपना चेहरा बनाए, जिसके नाम पर वोट हासिल किया जा सके।



कर्नाटक में बीजेपी को वापसी की उम्मीद

साउथ इंडिया का कर्नाटक राज्य उन 4 राज्यों में से एक है, जहां कांग्रेस की सरकार है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी को वापसी की उम्मीद है। इतना ही नहीं, साउथ इंडिया का कर्नाटक ही केवल ऐसा राज्य है, जहां बीजेपी सरकार चला चुकी है। हालांकि बीजेपी ने गठबंधन में सरकार चलाई थी, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा भी शामिल थे। 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने यहां की 224 सीटों में से 122 सीटें जीती थी, जबकि बीजेपी ने 40 और एचडी देवगौडा की जनता दल (सेक्यूलर) ने भी 40 सीटों पर कब्जा किया था। विधानसभा चुनावों में बीजेपी भले ही कुछ खास न कर पाई हो, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने यहां की 28 सीटों में से 17 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 9 सीटें ही गई थी। 2018 में होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनावों में बीजेपी को एक बार फिर से वापसी की उम्मीद है। कांग्रेस के पास जहां सिद्धारमैया जैसा चेहरा है, वहीं बीजेपी सिर्फ पीएम मोदी के ही भरोसे है। अगर चुनावों में बीजेपी को एचडी देवगौड़ा का साथ मिल गया तो राज्य में भारी उठापठक हो सकती है। देवगौड़ा के बीजेपी के साथ आने की उम्मीद भी इसलिए काफी ज्यादा है क्योंकि 2008 से 2013 तक देवगौड़ा की जेडीएस सत्ता में भागीदार रही है।



नॉर्थ-ईस्ट की लड़ाई

अब बात करते हैं नॉर्थ-ईस्ट राज्यों की। यहां पर 2018 में मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड में चुनाव होने हैं। नॉर्थ-ईस्ट में चुनाव जीतने के लिए बीजेपी काफी बैचेन है। हालांकि असम और मणिपुर में बीजेपी 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही है, लेकिन नॉर्थ-ईस्ट में बीजेपी को पकड़ मजबूत करने के लिए यहां कई राज्यों में अपनी सरकार बनाने की जरूरत है। इन चार राज्यों में लोकसभा की सिर्फ 6 सीटें ही आती हैं, लेकिन फिर भी ये राज्य काफी अहमियत रखते हैं। त्रिपुरा ही एकमात्र राज्य है, जहां कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार है और माणिक सरकार यहां पिछले 3 बार से मुख्यमंत्री रहे हैं। फिलहाल उन्हें किसी भी तरह की चुनौती मिलना काफी मुश्किल है। वहीं मिजोरम और मेघालय में पीएम मोदी ने गुजरात चुनाव की वोटिंग के अगले ही दिन दौरा किया था। इस दौरे को बीजेपी के चुनाव अभियान के तौर पर ही देखा गया है। मिजोरम और मेघालय दोनों ही राज्यों में अभी कांग्रेस की सरकार है। जबकि नागालैंड में नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) की सरकार है और बीजेपी में भी इसमें शामिल है। अगर 2018 में भी बीजेपी ने एनपीएफ के साथ मिलकर चुनाव लड़ा तो कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। 

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