प्रयागराज धर्म संसद में फिर उठे विवादित बयान, राष्ट्रपिता मानने से किया इंकार
बापू की पुण्यतिथि पर बापू का बड़ा अपमान प्रयागराज धर्म संसद में फिर उठे विवादित बयान, राष्ट्रपिता मानने से किया इंकार
- बापू की अहिंसा आंदोलन पर सवाल
डिजिटल डेस्क, नई लखनऊ। हरिद्वार, रायपुर के बाद अब प्रयागराज में आयोजित धर्म संसद में विवादित बयानों को बोलबोला जारी है। छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर में महात्मा गाँधी पर दिए बयान के बाद बापू की पुण्यतिथि के दिन ही बापू पर विवादित बयान सामने आए है। प्रयागराज में आयोजित इस धर्म संसद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर अमर्यादित बोल बोले गए है। वाराणसी की काशी सुमेरु पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने बापू को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने अहिंसा के पुजारी गाँधी पर बोले के घाव किए है। उनका कहना है कि जब देश की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले सैकड़ों लोग शहीद हो गए तो आखिरकार मोहनदास गांधी को क्यों चोट नहीं आई। उनकी एक उंगली तक क्यों नहीं कटी। सरस्वती ने कहा गाँधी को इतिहास में गलत तरीके से पढ़ाया जाता है, गांधी की अधिक महिमामंडन से अन्य क्रांतिकारियों की कुर्बानियों को नजरअंदाज किया गया।
स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने महात्मा गाँधी के आंदोलनों पर कई सवाल उठा दिए, स्वामी सरस्वती के मुताबिक महात्मा गांधी ने देश की स्वतंत्रता के लिए कभी कोई काम नहीं किया, सरस्वती यहीं नहीं रूके उन्होंने गांधी पर अंग्रजों की मदद करने का भी आरोप लगाया। स्वामी ने देश की आजादी में गांधी के योगदान को नकारा। उन्होंने कहा महात्मा गांधी राष्ट्रपुत्र हो सकते हैं लेकिन राष्ट्रपिता नहीं, अगर वह राष्ट्रपिता हैं तो यह बताया जाए कि राष्ट्रमाता कौन है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में की गई यह बयानबाजी आने वाले दिनों में देश में विवाद खड़ा कर सकती है।
स्वामी नरेंद्रानंद ने उत्तराखंड सरकार को अंजाम भुगतने की चेतावनी देते हुए कहा कि हरिद्वार में भड़काऊ भाषण के आरोपी यति नरसिंहानंद और जितेंद्र त्यागी को शीघ्र जेल से रिहा किया जाए, नहीं तो उग्र आंदोलन होगा ।