चंद्रयान-2 : इसरो ने कहा 95 फीसदी सफल रहा मिशन, कक्षा में स्थापित ऑर्बिटर 7 साल करेगा काम
चंद्रयान-2 : इसरो ने कहा 95 फीसदी सफल रहा मिशन, कक्षा में स्थापित ऑर्बिटर 7 साल करेगा काम
- इस मिशन में ऑर्बिटर
- लैंडर और रोवर को एक साथ भेजा गया
- ऑर्बिटर कक्षा में स्थापित हुआ और 7 साल तक काम कर सकता है
- चंद्रयान-2 ने अपने मिशन का 95 फीसदी लक्ष्य हासिल किया है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चंद्रयान-2 लैंडिंग से महज 2.1 किलोमीटर ऊपर विक्रम से संपर्क टूट गया, इसके बाद शनिवार सुबह एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाने बेंगलुरु स्थित इसरो मुख्यालय पहुंचे। यहां पीएम मोदी ने सभी को संबोधित किया। वहीं अब इशरो ने बड़ा बयान दिया है। इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-2 ने अपने मिशन का 95 फीसदी लक्ष्य हासिल किया है। इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-2 के साथ गया ऑर्बिटर अपनी कक्षा में स्थापित हो चुका है और ये अगले 7 साल तक काम कर सकता है।
Indian Space Research Organisation: The success criteria was defined for eachevery phase of the mission till date 90 to 95% of the mission objectives have been accomplished will continue contribute to Lunar science , notwithstanding the loss of communication with the Lander. pic.twitter.com/yIlwhfpnPw
— ANI (@ANI) September 7, 2019
मिशन 90 से 95 फीसदी हासिल
इसरो ने अपने पहले बयान में कहा कि उसका मिशन 90 से 95 फीसदी हासिल हुआ है और विक्रम लैंडर के साथ संपर्क टूटने के बावजूद यह ऑर्बिटर चांद की कक्षा में अपना काम करता रहेगा। पहले एक साल तक ही इसके काम करने की गुंजाइश थी। इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 बेहद जटिल मिशन था, जो कि इसरो के पिछले मिशन की तुलना में तकनीकी रूप से बेहद उच्च कोटि का था. इस मिशन में ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर को एक साथ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की जानकारी लेने के लिए भेजा गया था।
#Chandrayaan2 mission was a highly complex mission, which represented a significant technological leap compared to the previous missions of #ISRO to explore the unexplored south pole of the Moon.
— ISRO (@isro) September 7, 2019
For more updates please visit https://t.co/4vIrztVnng
उम्मीद के साथ प्रगति
आपको बता दें कि चंद्रयान-2 की चांद पर लैडिंग को लेकर दुनिया भर के सभी देशों की नजर इसरो पर बनी हुई थी। इसरो का कहना है कि 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान की लॉन्चिंग के बाद से ही न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने बड़ी उम्मीद के साथ इसकी प्रगति को देखा। इसरो ने बताया कि ये मिशन इस रूप में अपने आप में अनूठा कि इसका मकसद न सिर्फ चांद के एक पक्ष को देखना था बल्कि इसका उद्देश्य चांद के सतह, सतह के आगे के हिस्से और बाहरी वातावरण का अध्ययन करना था।
पीएम ने कहा...
आपको बता दें शनिवार सुबह पीएम मादी वैज्ञानिकों से मिले थे और उन्होंने वैज्ञानिकों का हौसला अफजाही करते हुए कहा कि हर मुश्किल, हर संघर्ष, हर कठिनाई, हमें कुछ नया सिखाकर जाती है, कुछ नए आविष्कार, नई टेक्नोलॉजी के लिए प्रेरित करती है और इसी से हमारी आगे की सफलता तय होती हैं। ज्ञान का अगर सबसे बड़ा शिक्षक कोई है तो वो विज्ञान है। विज्ञान में विफलता नहीं होती, केवल प्रयोग और प्रयास होते हैं। इसके बाद शाम को इसरो ने कहा है कि यह मिशान काफी जटिल था। इसरो ने कहा कि हमारे मिशन पर दुनिया की नजर थी। इसरो ने आगे कहा कि ऑर्बिटर चांद की कक्षा में है। वह अपना काम करता रहेगा और तस्वीरें भेजता रहेगा।