149 साल बाद गुरु पूर्णिमा पर भारत समेत कई देशों में दिखा चंद्रग्रहण
149 साल बाद गुरु पूर्णिमा पर भारत समेत कई देशों में दिखा चंद्रग्रहण
- 12 जुलाई 1870 को गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगा था
- आंशिक चन्द्रग्रहण 2 घंटे 59 मिनट तक रहा
- मुंबई
- दिल्ली सहित भारत के कई हिस्सों में दिखा चंद्रग्रहण का शानदार नजारा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 149 साल बाद भारत सहित पूरी दुनिया में गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का अद्भुत नजारा देखा गया। यह महासंयोग 1870 के बाद पहली बार बना। चंद्रग्रहण भारत समेत दुनिया के कई देशों में रात के क़रीब डेढ़ बजे से दिखा। मंगलवार देर रात करीब 1.31 बजे चंद्रग्रहण लगा, जोकि सुबह 4.29 बजे तक रहा। इस दौरान पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच रही। देश के विभिन्न हिस्सों में लोग करीब तीन घंटे तक इस आंशिक चंद्रग्रहण का गवाह बने।
#WATCH Delhi: Partial #LunarEclipse, as seen in the cloudy skies of Delhi. The partial eclipse began at 1.31 AM. pic.twitter.com/5NvHXBUBXQ
— ANI (@ANI) July 16, 2019
इसे सदी का दूसरा सबसे बड़ा चंद्रग्रहण माना जा रहा है। रात में करीब 1.31 बजे से ग्रहण शुरू हुआ। इसका मोक्ष 17 जुलाई की सुबह करीब 4.30 बजे हुआ। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार सूर्यग्रहण के बाद इस साल का यह दूसरा चंद्रग्रहण लगा। यह चंद्रग्रहण कई मायनों में खास रहा है। इस बार चंद्रग्रहण पर वही दुर्लभ योग बना जो 149 साल पहले 12 जुलाई 1870 को गुरु पूर्णिमा पर बना था।
Maharashtra: Partial #LunarEclipse, as seen in the skies of Mumbai. pic.twitter.com/N5JZV45HwW
— ANI (@ANI) July 16, 2019
12 जुलाई 1870 को भी गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगा था। उस समय चंद्रमा शनि और केतु के साथ धनु राशि में स्थित था, जबकि सूर्य राहु के साथ मिथुन राशि में था। भारत में आषाढ़ पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण का नजारा दिखा है, आषाढ़ पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस लिहाज से चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व रहा। चंद्र ग्रहण उत्तरी स्केंडिनेविया को छोड़कर पूरे यूरोप और पूर्वोत्तर को छोड़कर समूचे एशिया में देखा गया। आंशिक चन्द्रग्रहण 2 घंटे 59 मिनट तक रहा।
My view of the #Apollo50 #LunarEclipse from Bath, UK.
— Jamie (@okayjamie) July 16, 2019
What a beauty. pic.twitter.com/H1t5nZjIx1
आंशिक चंद्रग्रहण को अलग-अलग समय में भारत, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, यूरोप व अमेरिका के ज्यादातर भागों में देखा गया। ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड, अर्जेन्टीना, क्रोएशिया, फ्रांस, इटली में भी चंद्र ग्रहण का अद्भुत नजारा देखने को मिला।
#Mondfinsternis #LunarEclipse Switzerland - what a view from home pic.twitter.com/B3XMjEdeVH
— Christian W. Michel (@cwmichel) July 16, 2019
मुंबई में चंद्रग्रहण का शानदार नजारा दिखा। मुंबई के अलावा, जयपुर, लखनऊ, कोलकाता और भोपाल में भी चंद्रग्रहण देखने के लिए लोगों में उत्सुकता दिखी। ओडिशा में चंद्र ग्रहण नजर आया। चंद्र ग्रहण का सूतक मंगलवार शाम 4:30 बजे शुरू हुआ। इस वजह से चार धाम समेत देश के प्रमुख सभी मंदिरों के पट शाम 4:00 से बजे बंद हो गए थे।
Odisha: Partial #LunarEclipse, as seen in the skies of Bhubaneswar. The eclipse can be witnessed in regions of Africa, Asia, Australia, Europe, and South America. This is the last lunar eclipse of 2019. pic.twitter.com/G3aBYlymat
— ANI (@ANI) July 16, 2019
क्या है ग्रहण ?
किसी खगोलीय पिंड का पूर्ण या आंशिक रूप से किसी अन्य पिंड से ढंक जाना या पीछे आ जाना ग्रहण कहलाता है। सूर्य प्रकाश पिंड हैं। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है, चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता हैं। पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य तीनों जब एक सीध में आ जाते हैं तब ग्रहण होता है।
सूर्य ग्रहण-
जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता हैं तब सूर्य ग्रहण होता है।
चंद्र ग्रहण-
जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती हैं तब चंद्रग्रहण होता हैं। पृथ्वी जब चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों को रोकती हैं और उसमें अपनी ही छाया बनाती हैं तो चंद्र ग्रहण होता हैं।
सूतक या वेध-
सूतक सभी वर्णो में लगता हैं, सूर्य ग्रहण का सूतक चार प्रहर पूर्व से यानी 12 घंटे पहले से लग जाता है, जबकि चंद्र ग्रहण का वेध तीन प्रहर यानि 9 घंटे पहले से प्रारंभ हो जाता है। अबाल वृद्ध बालक रोगी इनके लिए डेढ़ प्रहर यानि साढे चार घंटे पूर्व वेध प्रारंभ हो जाता है।
ग्रहण काल में नहीं करना चाहिए भोजन
ग्रहण काल में कीटाणु, जीवाणु अधिक मात्रा में फैलते हैं खाने पीने के पदार्था में वे फैलते हैं इसलिए भोजन नहीं करना चाहिए, पका हुआ नहीं खाना चाहिए। कच्चे पदार्थों कुशा छोड़ने से जल में कुशा छोड़ने से जीवाणु कुशा में एकत्रित हो जाते हैं पात्रो में अग्नि डालकर स्नान करने से शरीर में उष्मा का प्रभाव बढ़े और भीतर बाहर के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।