सोमवार से आर्मी कमांडरों की कॉन्फ्रेंस, इन मुद्दो पर होगा फोकस

सोमवार से आर्मी कमांडरों की कॉन्फ्रेंस, इन मुद्दो पर होगा फोकस

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-15 13:13 GMT
सोमवार से आर्मी कमांडरों की कॉन्फ्रेंस, इन मुद्दो पर होगा फोकस

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सेना के कमांडरों की 6 दिवसीय कॉन्फ्रेंस सोमवार से शुरु हो रही है। थल सेना के शीर्ष कमांडर कॉन्फ्रेंस में क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे की समीक्षा करेंगे। इसके अलावा चीन-पाकिस्तान सीमा से जुड़े मुद्दे और राष्ट्र के सामने मौजूद चुनौतियों पर भी इस कॉन्फ्रेंस में चर्चा की जाएगी। सम्मेलन की अध्यक्षता सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत करेंगे। बिपिन रावत अग्रिम मोर्चे पर निर्माण से जुड़े विशेष विषयों पर चर्चा करेंगे। 

किन विषयों पर होगी कॉन्फ्रेंस में चर्चा?
थल सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने बताया कि भविष्य में सुरक्षा खतरों को कम करना, संभावित शत्रु के खिलाफ लड़ाकू क्षमता बढ़ाना, उत्तरी सीमा पर क्षमता बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे, रणनीतिक रेल लाइन की समीक्षा, गोलाबारूद की जरूरत को पूरा करने के लिए सीमित बजट का इष्टतम उपयोग, जैसे अहम मुद्दों पर इस कॉन्फ्रेंस में चर्चा होने की संभावना है। सम्मेलन में जम्मू कश्मीर की सुरक्षा स्थिति पर भी चर्चा की जाएगी। सम्मेलन के आखिरी तीन दिन विषय विशेष पर चर्चा होगी, जिसमें थल सेना में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के क्रियान्वयन पर भी चर्चा होने की संभावना है। 

इस विषय पर होगा मुख्य जोर
अधिकारियों के मुताबिक चीन से लगी करीब 4,000 किमी लंबी सीमा पर थल सेना की संपूर्ण संचालन तैयारियों को मजबूत करने को लेकर इस कॉन्फ्रेंस में मुख्य जोर दिया जाएगा। कर्नल आनंद ने बताया कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा क्रियान्वित की जा रही परियोजनाएं और सैनिकों के कल्याण से जुड़े मुद्दों पर भी विस्तार से इस कॉन्फ्रेंस में चर्चा की जाएगी। यहां हम आपको ये भी बता दें कि पिछले साल डोकलाम में 73 दिनों तक भारत और चीन के सैनिकों के बीच गतिरोध रहा था।

क्या है डोकलाम विवाद?
गौरतलब है कि पिछले साल जून में चीनी सैनिकों द्वारा भूटान के डोकलाम क्षेत्र में रोड बनाने को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद शुरू हुआ था। भारतीय सैनिकों ने भारत, चीन और भूटान के इस ट्राइजंक्शन में पहुंचकर चीनी सेना को रोड बनाने से रोक दिया था। इस दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच हाथापाई भी हुई थी। इस घटना के बाद करीब ढाई महीनों तक डोकलाम में भारतीय-चीनी सैनिक एक-दूसरे के सामने डंटे हुए थे। इस दौरान चीनी मीडिया ने कई बार भारत को युद्ध की धमकी भी दी थी। हालांकि अगस्त के अंत तक यह विवाद सुलझा लिया गया था।

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