सरकार ने संसद में बताया, जम्मू-कश्मीर में इस साल जून तक आतंकी हमलों में 16 जवान शहीद हुए
सरकार ने संसद में बताया, जम्मू-कश्मीर में इस साल जून तक आतंकी हमलों में 16 जवान शहीद हुए
- जम्मू-कश्मीर में इस साल जून तक हुए आतंकी हमलों में 16 जवान शहीद हुए
- पिछले साल
- कुल 62 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे
- सरकार ने बुधवार को संसद में यह जानकारी दी
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में इस साल जून तक हुए आतंकी हमलों में 16 जवान शहीद हुए हैं। सरकार ने बुधवार को संसद में यह जानकारी दी। रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने बुधवार को लोकसभा में राहुल कसवान को एक लिखित उत्तर में कहा कि पिछले साल, कुल 62 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे, जबकि 2019 में 80 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे।
मंत्री ने कहा कि सुरक्षा बल नियंत्रण रेखा पर आतंकवादी गतिविधियों का मुकाबला कर रहे हैं, घुसपैठ की कोशिशों को समाप्त कर रहे हैं और आतंकवाद विरोधी अभियान चला रहे हैं और आतंकवादी घटनाओं का जवाब दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सेना पिछली घटनाओं के खतरे के आकलन और विश्लेषण के आधार पर अपने सभी शिविरों और प्रतिष्ठानों की संचालन प्रक्रियाओं एवं सुरक्षा व्यवस्था की समय-समय पर समीक्षा और परिशोधन करती है।
भट्ट ने सदन को सूचित किया कि इन समीक्षाओं के आधार पर, ऐसे खतरों का मुकाबला करने के लिए उपयुक्त अभ्यास और प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार खुफिया जानकारी जुटाने की क्षमताओं का मूल्यांकन और उन्नयन सुनिश्चित कर रही है। सैनिकों को उपयुक्त हथियारों और उपकरणों का प्रावधान कर रही है, जबकि आतंकवादी कार्रवाइयों का मुकाबला करने के लिए अभ्यास को परिष्कृत किया जा रहा है।
मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति गतिशील और लगातार विकसित हो रही है। उन्होंने कहा कि हालांकि नाजुक, सुरक्षा वातावरण में पिछले दो वर्षों में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया है और सभी क्षेत्रों में कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि आतंकवादी तंजीमों को अपरिवर्तनीय क्षति हो सके और आतंकवाद के संकट को खत्म किया जा सके।
मंत्री ने कहा, अंतिम आतंकवादी के खात्मे के लिए हालांकि समय सीमा निर्धारित करना संभव नहीं हो सकता, क्योंकि पाकिस्तान घाटी में आतंकवादियों की घुसपैठ और ड्रोन और अन्य उपायों सहित नियंत्रण रेखा के पार हथियारों, गोला-बारूद और नशीले पदार्थों की तस्करी करके जम्मू और कश्मीर में छद्म युद्ध को वैचारिक, राजनयिक और वित्तीय सहायता प्रदान करना जारी रखे हुए है।