केरल के तटों पर अभी भी नहीं पहुंचा मानसून, पूर्वी भारत में बढ़ रहा हीटवेव का असर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 1 जून को देश में सबसे पहले मानसून केरल के तटों से टकराता है। भूगोल की किताबों के मानसून वाले चैप्टर में अक्सर हमारा इस बात से पाला भी पड़ता है । लेकिन इस साल अभी तक मानसून नहीं पहुंचा है। मौसम विभाग का कहना है कि मानसून के केरल पहुंचने की स्थितियों में इस साल बदलाव आया है। IMD ने साइक्लोनिक सर्कुलेशन की वजह से केरल में मानसून के देरी से पहुंचने का कारण बताया है।
मानसून में देरी के क्या हैं कारण?
जून के महीने में भीषण गर्मी के कारण देश के कई हिस्से तप रहे हैं। 1 जून को जैसे ही मानसून केरल पहुंचता है तो लोगों को आस बंध जाती है कि अब गर्मी से उन्हें जल्द ही राहत मिल जाएगी। लेकिन इस बार अरब सागर के दक्षिण पूर्व में एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन (Cyclonic Circulation) यानी चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है। इसके असर की वजह से केरल के तट पर बादल घट गए हैं। ऐसे में मॉनसून के केरल पहुंचने में इस साल थोड़ी देरी होगी।
कब आएगा मानसून ?
IMD ने मॉनसून के आने की कोई निश्चित डेट तो नहीं बताई हैं लेकिन निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट ने कहा कि केरल में मानसून की शुरुआत 8 जून या 9 जून को हो सकती है। लेकिन इस बार मानसून कमजोर होगा, जिसका प्रवेश भी सामान्य से कम होगा। स्काईमेट वेदर ने कहा कि कम दबाव का क्षेत्र दक्षिण-पूर्व अरब सागर में तेज होने की उम्मीद है और मध्य सप्ताह के आस-पास और मजबूत हो सकता है. अरब सागर में ये शक्तिशाली मौसम प्रणालियां मॉनसून की प्रगति को खराब करती हैं. इनके प्रभाव में, मॉनसून की धारा तटीय भागों तक तो पहुंच सकती है, लेकिन पश्चिमी घाटों से आगे बढ़ने के लिए इन्हें संघर्ष करना पड़ेगा. स्काईमेट ने पहले 7 जून को केरल में मॉनसून की शुरुआत की भविष्यवाणी की थी, जिसके तीन दिन के आगे या पीछे होने की संभावना जताई गई है।
पूर्वी भारत के राज्यों में हीटवेव का संकट
मानसून में देरी होने से देश के पूर्वी हिस्सों खासकर बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड में गर्मी का भयंकर रूप देखने को मिल रहा है। आने वाले दिनों में पूर्वी भारत के राज्यों में हीटवेव का संकट और बढ़ने का अंदेशा है। जब तापमान औसत से 4.5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाता है, तो हीटवेव माना जाता है. अगर तापमान औसत से 6.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा हो जाता है, तो उसे सीविएर हीटवेव माना जाता है. बिहार में पिछले कुछ दिनों से सीविएर हीटवेव चल रहा है।
वैज्ञानिकों ने मौसम को लेकर क्या कहा?
मौसम वैज्ञानिकों ने कहा कि केरल में देर से मानसून पहुंचने का मतलब यह नहीं है कि देश के अन्य हिस्सों में भी मानसून देरी से पहुंचेगा। मानसून की देरी किसी भी प्रकार से देश में होने वाली वर्षा की मात्रा पर कोई असर नहीं डालेगी। आईएमडी ने पहले कहा था कि एल नीनो की स्थिति विकसित होने के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम में भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है.