भारत-मालदीव विवाद: मालदीव के खिलाफ भारत ने उठाया एक और कड़ा कदम, लक्षद्वीप में पीएम मोदी की यात्रा पर हुई टिप्पणी के बाद से नाराजगी जारी
- भारत ने मालदीव के खिलाफ लिया बड़ा एक्शन
- लक्षद्वीप में पीएम मोदी की यात्रा पर हुई टिप्पणी के बाद से नाराजगी जारी
- मालदीव और भारत के रिश्तें में आ रही है दरार
डिजिटल डेस्क, भोपाल। नए साल की शुरुआत भारत और मालदीव के रिश्तों के लिए अच्छी साबित नहीं हो रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मालदीव दौरे के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्तों में दरार आनी शुरु हो गई है। दरअसल, मालदीव की राजधानी माले में विदेश मंत्रालय और भारतीय उच्चायुक्त की बैठक हुई है। ये बैठक ऐसे समय हुई जब मालदीव और लक्षद्वीप की तुलना को लेकर सोशल मीडिया सहित दोनों देशों के बीच तनाव चल रहा है। और, भारत में मालदीव के उच्चायुक्त को समन किया गया है।
इस बैठक की जानकारी मालदीव में भारतीय उच्चायोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए शेयर की है। जिसमें भारतीय उच्चायुक्त ने मालदीव के विदेश मंत्री से बैठक का जिक्र किया है। इसके साथ ही ट्विट में लिखा गया है, " मालदीव में भारत के उच्चायुक्त मुनु महावर ने आज मालदीव के विदेश मंत्रालय के राजदूत डॉ अली नसीर मोहम्मद के साथ एक पूर्व निर्धारित बैठक की। इस बैठक में दोनों राजनयिकों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की है। "
दिल्ली में मालदीव के राजूदत को मिला समन
माना जा रहा है कि मालदीव सरकार और भारतीय उच्चायुक्त की बैठक ऐसे समय हुई, जब सोमवार (8 जनवरी) को भारत सरकार की ओर से मालदीव के राजूदत इब्राहिल साहिब को समन किया था। जिसके बाद मालदीव राजूदत से सोशल मीडिया पर भारत और पीएम मोदी को लेकर मालदीव सरकार के मंत्रियों द्वारा की गई अपमानजनक टिप्पणी के विषय पर गंभीर चिंता जताई गई है। बता दें, रविवार को मालदीव सरकार ने अपने तीन डिप्टी मंत्रियों को पीएम मोदी पर अपमानजनक टिप्पणियों करने के मामले में निलंबित कर दिया था।
संकट के दिनों में भारत का मिला साथ
वर्तमान में चल रहे विवाद को छोड़कर यदि भारत और मालदीव के रिश्तों के संबंध में बात करें तो वह काफी पुराने हैं। संकट के दिनों में भारत हमेशा से ही मालदीव के लिए मददगार रहा है। इस बात का अंदाजा कई उदाहरणों से लगाया जा सकता हैं। जब कोरोना वायरस महामारी के समय मालदीव में वैक्सीन की कमी चल रही थी। जिसे देखते हुए भारत ने द्वीपीय देश में वैक्सीन की खेप पहुंचाई थी। वहीं, साल 2014 में जब मालदीव में पानी का संकट था। उस वक्त भी भारत ने अपने जहाजों में पानी भरकर वहां के लोगों की प्यास बुझाई थी। लेकिन, बीते कई सालों से मालदीव में भारत विरोधी अभियानों का प्रचार तेजी से बढ़ने लगा है।
नई सत्ता आने के बाद भारत से बिगड़े रिश्ते
मालदीव में मोहम्मद मोइज्जु के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और मालदीव के रिश्तो में ओर भी दूरियां आ गई हैं। बता दें कि, राष्ट्रपति मोइज्जु को हमेशा से चीन का कट्टर समर्थक माना जाता रहा है। जो उनके शपथ लेते ही साबित भी हो गया है। इसके अलावा उन्होंने मालदीव में भारत से मिल रहे सैन्य बलों को भी हटा दिया है। इतना ही नहीं, देश में चुनाव प्रचार के दौरान भी उनका मोटो 'इंडिया आउट' ही रहा था। सत्ता में आने के बाद से ही उनकी सरकार हमेशा भारत के विरोध में ही रहती आई है।
बता दें कि, यह पूरा विवाद प्रधानमंत्री मोदी के मालदीव दौरे से जुड़ा हुआ है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वहां की यात्रा से जुड़ी तस्वीरें शेयर की थी। जिसके बाद अटकलें लगाई जाने लगी कि भारत लक्षद्वीप को तैयार करने के लिए मालदीव को विकल्प के रूप में चुन रहा है। इस बात को लेकर मालदीव सरकार के कुछ मंत्री भड़क गए और उन्होंने सोशल मीडिया पर भारत और पीएम मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करना शुरू कर दी। अपमानजनकर टिप्पणी करने वालों की सूची में द्वीपीय देश के डिप्टी मंत्री के नाम भी शामिल हैं।
जानिए क्या है पूरा मामला ?
मालदीव सूत्रों के मुताबिक, भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा से जुड़ी तस्वीरों पर मालदीव सरकार के युवा मंत्रालय में डिप्टी मंत्री मालशा शरीफ, मरियम शिउना और अब्दुल्ला महजूम माजिद ने अपमानजनक टिप्पणी की थी। ऐसा करने पर इन सभी लोगों की कड़ी आलोचना भी की गई थी। इसके अलावा इन तीनों मंत्रियों ने भारत पर आरोप भी लगाया था कि वह केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप को मालदीव का वैकल्पिक पर्यटन स्थल बनाना चाहते हैं। इस बात पर इन मंत्रियों ने कुछ आपत्तिजनक शब्दों का भी प्रयोग किया था। जिसके बाद मालदीव सरकार ने तीनों मंत्रियों को निलंबित कर दिया था।