ड्रेनेज सिस्टम पर सवाल: कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में तीन छात्रों की मौत मामले में कोर्ट में हुई सुनवाई, फटकार के बाद जांच पर उठें सवाल

  • कोर्ट ने पूछा क्या एमसीडी अधिकारियों की जांच हुई
  • आग और पानी से लोगों की मौत-याचिकाकर्ता
  • इलाके में अनधिकृत निर्माण पर अधिकारियों की मिलीभगत

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-31 10:28 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट में आज बुधवार को राजेंद्र नगर में कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में तीन छात्रों की मौत के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने जिम्मेदार अधिकारियों को फटकार लगाई। याचिकाकर्ता ट्रस्ट कुटुंब ने याचिका लगाई है। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील रुद्र विक्रम सिंह ने तर्क दिया कि राजेंद्र नगर की घटना कोई नई घटना नहीं है, उन्होंने मुखर्जी नगर और विवेक विहार में आग की घटनाओं का जिक्र किया। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि शहर में पहले आग की घटनाएं हुईं। अब पानी में डूबने से मौत हो गई। आगे उन्होंने कहा ऐसा लगता है कि हम जंगल में रहते हैं, जहां आग और पानी से लोगों की मौत हो रही हैं। 

वर्किंग चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने तीखी टिप्पणी करते हुए जांच पर सवाल उठाए। चीफ जस्टिस ने कहा कि एक अजीब जांच चल रही है, जिसमें कार चलाने वाले के खिलाफ पुलिस कार्रवाई कर रही है, लेकिन एमसीडी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या अब तक किसी एमसीडी अधिकारियों को हिरासत में लिया गया है? साथ ही यह भी पूछा कि क्या इस मामले में एमसीडी के अधिकारियों की जांच हुई?

न्यायालय ने कहा कि ओल्ड राजेंद्र नगर में जल निकासी की व्यवस्था ठीक नहीं है। इलाके में अनधिकृत निर्माण को लेकर कोर्ट ने पुलिस और जिम्मेदार अधिकारों को निशाना साधा। हाईकोर्ट ने नगर निगम को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने ड्रेनेज सिस्टम को लेकर भी सवाल उठाए, कहा कि दिल्ली की आबादी 3:30 करोड़ के करीब हो चुकी है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि बहुमंजिला इमारतों को बेधड़क चलने दिया जा रहा है, लेकिन जल निकासी सही नहीं है। जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि "आप मुफ्तखोरी की संस्कृति चाहते हैं, कर संग्रह नहीं करना चाहते, ऐसा होना तय है। अधिकारियों पर कटाक्ष करते हुए कोर्ट ने कहा कि उन्हें बुनियादी ढांचे का निर्माण करने की जरूरत है, लेकिन वे दिवालिया हैं और वेतन भी नहीं दे सकते।

सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने अदालत में जानकारी देते हुए कहा अधिकारी जांच कर रहे हैं। उन्होंने कोर्ट में कहा करीब 75 संस्थानों को नोटिस दिया गया हैं। 35 को बंद किया गया है। 25 को सील कर दिया है।

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