गाजियाबाद धर्मांतरण मामला गेमिंग प्लेटफॉर्म के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग को उजागर करता है
- धर्मांतरण मामला
- बड़े पैमाने पर दुरुपयोग
पुलिस ने इस मामले में मौलवी के अलावा शाहनवाज मकसूद खान और बद्दो की गिऱफ्तारी के लिए महाराष्ट्र में टीम भेज दी है।
लेकिन पुलिस को क्या पता था को मजह 24 साल का बद्दो ही इस मामले में मास्टरमाइंड है और इतना शातिर है कि देश की बड़ी बड़ी जांच एजेंसियों को वो चकमा देकर फरार हो जाएगा।
इस मामले में अभी 4 नाबालिग बच्चे सामने आए हैं जिनका गेम के जरिए धर्मांतरण करवाया गया है। लेकिन अब कई और राज्य से भी पुलिस को इनपुट मिले हैं कि धर्मांतरण होने वालों की संख्या हजारों में पहुंच सकती है।
ये लोग ऑनलाइन गेम के जरिए बच्चों को अपने जाल में फंसा कर उनसे नमाज पढ़वाते थे। इनके तार डॉक्टर जाकिर नायक से भी जुड़े हैं। नाबालिग लड़के मोबाइल-कम्प्यूटर पर फोर्टनाइट ऐप पर गेम्स खेलते थे। अगर लड़के गेम हार जाते थे तो फेक आईडी से उनके चैट में जुड़े दूसरे लड़के उन्हें कुरान की आयत पढ़ने को कहते थे और फिर उन्हें गेम जिताकर कुरान पर भरोसा दिलाया जाता था।
सेकेंड स्टेप में डिस्कॉर्ड ऐप के द्वारा मुस्लिम लड़के हिंदू नाम की यूजर आईडी बनाकर हिंदू लड़कों से चैटिंग करते थे। उन्हें इस्लामिक रीति-रिवाज अपनाने के लिए बहलाते थे। तीसरे स्टेज में वे प्रतिबंधित इस्लामिक प्रवक्ता जाकिर नाईक के कुछ वीडियो स्पीच सुनाकर इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित करते थे। साथ ही वे इस्लामिक कल्चर और रीति-रिवाज के संबंध में सारी जानकारी उपलब्ध कराते थे।
धर्मांतरण का शिकार हुआ पीड़ित नाबालिग लड़का यूथ क्लब नामक यूट्यूब चैनल से जुड़ा हुआ था, जो पाकिस्तान आधारित है। इस चैनल के 1.3 मिलियन फॉलोअर्स हैं और ज्यादातर इस्लामिक प्रवक्ताओं के वीडियो अपलोड हैं।
पुलिस जांच में ये भी सामने आया है कि गेमिंग एप, चैट और यूट्यूब चैनलों से ईसाई धर्म के कुछ लड़के भी जुड़े हुए हैं, जो पहले ही इस्लाम कुबूल कर चुके हैं। माना जा रहा है कि ये रैकेट काफी बड़ा है, जिसके तार कई शहरों से जुड़े हैं।
डीसीपी निपुण अग्रवाल ने बताया, अभी तक धर्मांतरण के शिकार चार पीड़ित सामने आए हैं। चारों नााबलिग हैं। इसमें एक जैन और तीन हिन्दू हैं। ये गाजियाबाद, फरीदाबाद और चंडीगढ़ के रहने वाले हैं। चारों से गाजियाबाद पुलिस ने बातचीत की है। इसके अलावा स्टेट और सेंट्रल एजेंसियों ने भी इन पीड़ितों से पूछताछ की है। जांच एजेंसियों का जो हमसे कॉर्डिनेशन है, उसमें हम पूरी मदद कर रहे हैं।
डीसीपी ने बताया, चारों पीड़ितों की मॉडस ऑपरेंडी एक जैसी है। ये चारों पहले गेमिंग ऐप पर जुड़े। फिर गेम जीतने के लिए कुरान की आयतें पढ़वाई गईं। फिर चैट करके इनका ब्रेनवॉश किया गया। आखिर में इन्हें प्रतिबंधित इस्लामिक प्रवक्ता जाकिर नाईक और तारिक जमील के वीडियो भी दिखाए गए। हम इस मामले में गाजियाबाद से मौलवी अब्दुल रहमान को गिरफ्तार कर चुके हैं। मुख्य आरोपी महाराष्ट्र के ठाणे निवासी बद्दो को पकड़ने के लिए गाजियाबाद पुलिस की टीम वहां पहुंची हुई है, लेकिन वो हाथ नहीं आ रहा है।
गाजियाबाद के कविनगर थाने में 30 मई 2023 को एक उद्यमी ने एफआईआर कराई थी। इसके मुताबिक, उनका 17 वर्षीय बेटा दिन में पांच बार जिम जाने की बात कहकर घर से निकलता था। उन्हें शक हुआ तो बेटे का पीछा किया। पता चला कि वो संजयनगर सेक्टर-23 की मस्जिद में पांच बार नमाज पढ़ने के लिए जाता है। पूछताछ में बेटे ने धर्मांतरण की बात कुबूली। पुलिस ने इस मामले में तीन दिन पहले मस्जिद के मौलवी अब्दुल रहमान को गिरफ्तार किया।
मोबाइल की जांच में पता चला कि धर्मांतरण वाला गैंग एक गेमिंग ऐप से जुड़ा है, जहां पर हिन्दू नाबालिग लड़कों को ब्रेनवॉश किया जाता है।
धर्मांतरण का मास्टरमाइंड बताया जा रहा शहनवाज खान मकसूद ऊर्फ बद्दो बहुत बड़ा टेकसेवी भी बताया जा रहा है। उसके बारे में पुलिस को पता चला है कि वह 12वीं पास होने के बावजूद भी गेम का बहुत अच्छा प्लेयर है और काफी दिनों से वह इन बच्चों के टच में था। उत्तर प्रदेश पुलिस की कई टीमें और जांच एजेंसियों की टीमें शाहनवाज और बद्दो की तलाश कर रही है लेकिन उसे पकड़ पाने में अभी फिलहाल सफलता हाथ नहीं लगी है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शहनवाज उर्फ बद्दो बीते 5 दिनों में कई बार अपने सिम कार्ड बदल चुका है। वह अपने आसपास के लोगों से संपर्क भी कर रहा है और अपने निजी काम भी कर रहा है। लेकिन इसके लिए वह कई अत्याधुनिक ऐप का इस्तेमाल कर रहा है जिसको ट्रेस कर पाना फिलहाल काफी मुश्किल हो रहा है।
वह लगातार अपने ठिकाने बदल रहा है और इंटरनेट कॉलिंग के जरिए लोगों से बातचीत कर रहा है। बद्दो काफी चालाक और शातिर भी है किसी से भी इंटरनेट कॉलिंग के जरिए भी बात करने के बाद तुरंत अपना मोबाइल फोन बंद कर लेता है और अपनी लोकेशन बदल देता है इसीलिए उसकी लोकेशन का पता लगा पाना काफी मुश्किल हो रहा है।
इस मामले में आईएएनएस ने साइकैटरिस्ट डॉक्टर अनुनीत सबरवाल ने खास बातचीत की। उन्होंने बताया कि अक्सर यह देखने को मिलता है कि घर में अगर माहौल शुरूआत से अच्छा नहीं है और बच्चे को उपेक्षा मिल रही है और वह अकेलेपन का शिकार हो रहा है तो कहीं ना कहीं वह मोबाइल और टीवी को ज्यादा तवज्जो देने लगता है।
उन्होंने बताया कि कुछ लोगों के साथ उनका जीवन ट्रामेटिक होता है और मान लीजिए उनके साथ किसी प्रकार का कोई यौन शोषण हुआ होता है और उन्होंने जो आसपास अपने चीजें देखी होती हैं, उसी के अनुरूप दिमाग विकसित होने लगता है।
बच्चों का दिमाग फॉरमेशन स्टेज में होता है इसीलिए जो कुछ भी वो देखते और समझते हैं उसी को वह वास्तविक स्वरूप समझने लगते हैं।
कम उम्र में बच्चों को कोई भी अगर बहला-फुसलाकर कुछ भी बताता है तो वह उनके दिमाग पर चिपकने लगता है और असर करने लगता है। धर्मांतरण जैसे मुद्दे पर भी अब जो गैंग है वह ऐसे ही बच्चों की तलाश कर रहा है जिनका स्क्रीन टाइम बहुत ज्यादा रहता है। घर परिवार से वह कटे रहते हैं और सोशल गैदरिंग में कम शामिल होते हैं। यह गैंग ऐसे बच्चों पर पूरा फोकस करता है और उन्हें अपने जाल में फंसा लेता है।
गेम पहले भी बनते थे और अभी भी बन रहे हैं लेकिन अब बन रहे गेम में काफी अंतर आ चुका है। पहले गेम सिर्फ इंटरटेनमेंट के लिए हुआ करते थे लेकिन अब गेम आपको रियल दुनिया से वर्चुअल दुनिया में बहुत आसानी से ट्रांसफार्म कर देते हैं और इनमें ऐसे फीचर्स आ रहे हैं जिनके जरिए आप ग्रुप बना कर चैटिंग कर भी कर सकते हैं। वह काफी घातक हो सकते हैं जिसमें आपको पता नहीं होता कि फेक आईडी के जरिए आपसे कौन बात कर रहा है और आप किसके इंस्ट्रक्शंस पर फॉलो कर रहे हैं।
डॉक्टर अनुनीत ने बताया कि अब जो नए गेमिंग एप आ रहे हैं उनमें नए नए फीचर्स भी डाले जा रहे हैं जिनमें चैटिंग का भी फीचर है और यह सब यूजर को काफी देर तक गेमिंग ऐप पर इंगेज रखने के लिए किया जाता है।
आईएएनएस
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