Economic Survey: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया आर्थिक सर्वे, FY25 में GDP ग्रोथ 6.5-7 प्रतिशत रहने का अनुमान
- FY25 में GDP ग्रोथ 6.5-7% रहने का अनुमान है
- वृद्धि दर 6.5-7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया
- FY26 तक वित्तीय घाटा 4.5 फीसदी होने का अनुमान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल 23 जुलाई को बजट 2024-25 पेश करने वाली हैं। इससे पहले उन्होंने आज संसद में वित्तीय वर्ष 2023-24 का आर्थिक सर्वे (Economic Survey) पेश किया। जिसमें उन्होंने FY25 में GDP ग्रोथ 6.5-7% रहने का अनुमान जताया है। साथ ही एक संकट का भी जिक्र किया है। सर्वे में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2024-25 में 6.5-7 प्रतिशत रहने का अनुमान बताया गया है। आइए जानते हैं सर्वे की प्रमुख बातें...
मजबूत स्थिति में अर्थव्यस्था
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि, भारतीय अर्थव्यवस्था एक मजबूत स्थिति और स्थिर स्थिति में है, जो भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना करने में लचीलापन प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा कि, भारतीय अर्थव्यवस्था ने कारोना महामारी के बाद तेजी से रिकवरी की है, जिससे देश की जीडीपी में जरदस्त उछाल आया है। उन्होंने इसके आंकड़े पेश किए, जिसके अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में भारत की रियल जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2020 की तुलना में 20 फीसदी बढ़ी है।
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि देश में बिजनेस शुरू करने की प्रक्रिया को बेहद आसान बनाया गया है। साथ ही कई ऐसे नियमों को हटाया गया है, जिनकी वजह से उद्योगपतियों को परेशानी होती थी। एक केंद्रीय व्यवस्था बनाई गई है। इसके अलावा आर्थिक सर्वेक्षण में वित्तीय घाटे का जिक्र भी किया गया है। इसमें अनुमान जताते हुए कहा गया है कि FY26 तक भारत का वित्तीय घाटा घटकर 4.5 फीसदी पर आने की संभावना है।
सर्वे में कहा गया है कि, पूंजीगत व्यय पर सरकार के जोर और निजी निवेश में निरंतर गति से पूंजी निर्माण वृद्धि को बढ़ावा मिला है। सकल स्थायी पूंजी निर्माण में 2023-24 में वास्तविक रूप से 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार देश का राजकोषीय घाटा (जीडीपी के प्रतिशत के रूप में) पिछले वर्ष की तुलना में 2023 में 1.6 प्रतिशत अंक बढ़ा है।
भारत के पेमेंट बैलेंस पर RBI के डेटा से पता चलता है कि नई पूंजी के डॉलर फ्लो के कॉन्टेस्ट में मापा गया बाहरी निवेशकों का निवेश हित वित्त वर्ष 24 में 45.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि वित्त वर्ष 23 में यह 47.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। यह मामूली गिरावट वैश्विक रुझानों के अनुरूप है। जबकि आय का पुनर्निवेश वही रहा। वित्त वर्ष 23 में निवेश का प्रत्यावर्तन 29.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर और वित्त वर्ष 24 में 44.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि बढ़ती कार्यबल की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है।