चीन का नया कारनामा: पैंगोंग त्यो झील पर फिर पुल बनाने में जुटा चीन, भारत पर मंडरा रहा बड़ा खतरा!
- पैंगोंग त्यो झील के पास बनाया पुल
- बढ़ सकता है भारत का खतरा
- गलवान में भी हुई थी झड़प
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नई सैटेलाइट इमेजों से पता चला है कि पैंगोंग के उत्तरी तट पर नया पुल बनाया जा रहा है। जिसको मौजूदा सड़क से जोड़ा जा रहा है। यह सड़क खुरनाक किले तक जाती है, जो कि प्राचीन तिब्बती संरचना है। आपको बता दें कि चीन लंबे समय से पूर्वी लद्दाख में अपनी सैन्य संरचना को मजबूत करने में व्यस्त था। जिसमें वह कामयाब होता नजर आ रहा है। वहीं लद्दाख की पैंगोंग त्यो झील पर चीन ने अपना 400 मीटर लंबा पुल बनाया है। जिससे खतरा बढ़ने की संभावना नजर आ रही है। ऐसा माना जा रहा है कि इस पुल के जरिए चीन अपने टैंक और सेना को आसानी से और कम समय में ले जा सकेगा।
चीन की चालाकी
सूत्रों के अनुसार पता चला है कि चीन ने पुल उस एरिया में बनाया है जहां चीन का कब्जा 1958 से है। ये 400 मीटर लंबा पुल चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास है। आपको बता दें कि इस पुल से चीन की सेना पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण के बीच आराम से पहुंच पाएंगे। इंटेल लैब के सैटेलाइट इमेजरी एक्सपर्ट और रिसर्चर डेमियन साइमन ने कहा, "पैंगोंग झील पर नया पुल बनने से चीन की सेना को तेजी से सेना की तैनाती के लिए एक सीधा और छोटा मिल गया है।"
चीन का पुल पूर्वी लद्दाख में हुआ पूरा
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पहले संघर्ष क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए झील के पूर्वी हिस्से का पूरा नौवहन करती थी। जिसके लिए उन्हें लंबी यात्रा करनी पड़ती थी। जिससे उनको प्रतिक्रिया देने में समय लगता था। पुल बनने से ऐसा माना जा रहा है कि झील के दोनों किनारों के बीच कम से कम 50-100 किलोमीटर कम हो जाएंगे। जिससे आने जाने में कई घंटे कम हो सकेंगे।
भारत को स्वीकार नहीं पुल
सूत्रों के मुताबिक विदेश मंत्रालय से चीन के नए पुल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा "यह पुल उस क्षेत्र में बनाया जा रहा है, जिस पर करीब 60 सालों से चीन ने अवैध कब्जा कर रखा है। उन्होंने कहा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि भारत ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया है।"
गलवान झड़प से चीन हैरान
2020 में पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक मुठभेड़ हुई थी। आपको बता दें कि पैंगोंग झील इलाके के उत्तर में गलवान घाटी मौजूद है। वहीं गलवान घाटी में झड़प के दौरान 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए। जिसमें चीन ने अपने चार सैनिकों के मरने का दावा किया। जांच रिपोर्ट के खुलासे में पता चला कि उनके 40 सैनिक मारे गए थे।
साथ ही पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर भी भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। बाद में भारत और चीन क्षेत्र में तनाव कम करने पर सहमति जताई गई। जिसके चलते चीन ने "फिंगर 4" और "फिंगर 8" के बीच में बनाए हुए दर्जनों स्ट्रक्चर्स को हटा दिया गया। यह स्ट्रक्चर झील में उभरे हुए हिस्से थे जिनका इस्तेमाल पैंगोंग के उत्तरी तट के हिस्सों की पहचान करने के लिए किया जाता था।