SC ने पलटा HC का फैसला: बच्चों के अश्लील वीडियो देखने वालों पर भी चलेगा पॉक्सो एक्ट के तहत मामला, चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

  • बच्चों से संबंधित अश्लील चीजें फोन में रखना या डाउनलोड करना अपराध
  • पॉक्सो एक्ट में दी बदलाव की सलाह
  • पॉक्सो एक्ट की उपधारा 1 ही पर्याप्त

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-23 09:11 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी चीजें डाउनलोड करना या अपने फोने में रखना एक बड़ा अपराध माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, "अगर कोई व्यक्ति इस तरह की सामग्री को मिटाता नहीं है या पुलिस को इसके बारे में सूचना नहीं देता है, तो पॉक्सो एक्ट की धारा 15 इसे अपराध करार देती है।"

मद्रास हाई कोर्ट का फैसला बदला

सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को बदल दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ऐसी चीजें अपने पास रखना भी कानूनन अपराध है। मद्रास हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज हुए केस को ये कह कर कैंसिल कर दिया कि उसके पास चाइल्ड पोर्नोग्राफी सिर्फ डाउनलोडेड थी। उसने किसी को भेजा नहीं था।

पॉक्सो एक्ट में बदलाव की सलाह

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सलाह दी है कि वह पॉक्सो एक्ट में बदलाव करें। चाइल्ड पोर्नोग्राफी शब्द की जगह child sexually abusive and exploitative material (CSAEM) लिखा जाए। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के सदस्य जस्टिस जे बी ने ये फैसला करीब 200 पन्नों में लिखा है। साथ ही उन्होंने कहा कि संसद से मंजूरी मिलने तक एक अध्यादेश लाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने देश की हर अदालत को सलाह दी है कि वह अपने आदेशों में CSAEM ही लिखें।

पॉक्सो एक्ट की उपधारा 1 ही पर्याप्त

पॉक्सो यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट की धारा 15 की उपधारा 1 बच्चों से जुड़ी अश्लील चीजें रखने को भी अपराध करार देती है। जिसके लिए 5 हजार रुपये का और 3 साल की जेल तक का प्रावधान है। धारा 15 की उपधारा 2 में ऐसी चीजों को शेयर करना और उपधारा 3 में व्यापारिक इस्तेमाल को भी अपराध करार दिया है। मद्रास हाईकोर्ट ने उपधारा 2 और 3 के तहत आरोपी को राहत दी थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि उपधारा 1 अपने आप में पर्याप्त है। 

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