टीचर्स डे 2024: इस टीचर्स डे पर अपने स्कूल या फिर कॉलेज फ्रेंड्स के साथ प्लान करें मूवी नाईट, साथ बैठकर देखें ये फिल्में
- 5 सितंबर को मनाया जाएगा टीचर्स डे
- स्कूल या फिर कॉलेज फ्रेंड्स के साथ प्लान करें मूवी नाईट
- देखें ये बॉलीवुड फिल्में
डिजिटल डेस्क, मुंबई। हमारे देश में गुरु को भगवान माना जाता है। गुरु ही बच्चों को ज्ञान देते हैं और उन्हें जीने की सही राह दिखाते हैं। टीचर्स को सम्मान देने के लिए भारत में हर साल 5 सितंबर को टीचर्स डे (Teacher's Day) सेलिब्रेट किया जाता है। स्कूलों-कॉलेजों में बड़े ही धूमधाम के साथ ये दिन मनाते हैं। लेकिन, पढ़ाई पूरी कर चुके लोग इसे मनाने के लिए अपने व्यस्त जीवन से समय नहीं निकाल पाते या समय के साथ इस तरह का सेलिब्रेशन किसी कारण के चलते उनकी लाइफ से गायब हो जाता है। आप चाहें तो आज भी इस दिन को अच्छी तरह से सेलिब्रेट कर सकते हैं। इसके लिए आप अपने स्कूल और कॉलेज के सभी दोस्तों के साथ आप एक मूवी नाइट प्लान कर सकते हैं। और बॉलीवुड की इन बेहतरीन फिल्मों के देख सकते हैं। या फिल्म इस खास दिन पर अपने बच्चों को भी इन फिल्मों को दिखा सकते हैं।
तारें जमीन पर (2007)
आमिर खान और दर्शील सफारी की यह फिल्म एक टीचर और स्टूडेंट के बीच के खूबसूरत रिश्ते की कहानी बयां करती है। दर्शील फिल्म में डिस्लेक्सिया से पीड़ित इशान नाम के एक बच्चे के किरदार में नजर आते हैं। बीमारी के कारण इसान को क्लास में बेसिक चीजें भी समझ नहीं आती है। खराब परफॉरमेंस के कारण जहां दूसरे टीचर्स और बच्चे उसे फिसड्डी समझते हैं वहीं एक टीचर निकुंभ (आमिर खान) उसके बीमारी को समझते हुए आगे बढ़ने में मदद करता है। एक तरफ जहां इशान के माता-पिता उसकी समस्या नहीं समझ पाते वहीं यह शिक्षक उसकी समस्या भी समझते हैं और उसके स्पेशल टैलेंट को भी दुनिया के सामने लेकर आते हैं।
आई एम कलाम (2010)
राजस्थान की बेकग्राउंड पर बनी इस फिल्म में ढ़ाबा में काम करने वाले एक गरीब छोटे बच्चे की कहानी दिखाई गई है। इस बच्चे में शिक्षा को लेकर एक खास जुनून रहता है। अब्दुल कलाम से प्रभावित यह बच्चा अपना नाम भी कलाम रख लेता है और वह अपने प्रेरणास्त्रोत डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम से मिलने और धन्यवाद देने अकेले दिल्ली निकल जाता है। यह फिल्म आपको बेहद प्रेरित करेगी।
पाठशाला (2010)
शाहिद कपूर और आएशा टाकिया की यह फिल्म स्कूल परिसर में बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती है। भारतीय शिक्षा व्यवस्था की कमियों को फिल्म के कथानक का मुख्य बिन्दु बनाया गया है। फिल्म में शाहिद राहुल नाम के शिक्षक की भूमिका में है जो सरस्वती विद्या मंदिर में इंगलिश और म्यूजिक की क्लास लेते हैं।
इंग्लिश-विंग्लिश (2012)
इस फिल्म में श्री देवी एक हाउस वाइफ के रोल में नजर आती हैं। शशि नाम की इस महिला को इंग्लिश नहीं आने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके बाद वह इंग्लिश सीखने का फैसला करती है और सीख भी जाती है। यह फिल्म यही संदेश देती है अगर हम चाहें तो किसी भी उम्र में कुछ भी सीख सकते हैं।
निल बटे सन्नाटा (2015)
स्वरा भास्कर की यह फिल्म एक मां और बेटी की कहानी है। स्वरा फिल्म में काम करने वाली बाई के किरदार में है जो अपनी बेटी को शिक्षा देने के लिए भड़सक प्रयास करती है। उनकी बेटी का पढ़ाई में मन नहीं लगता है क्योंकि उसे लगता है कि इसका कोई फायदा नहीं है। बेटी को लगता है कि बड़े होकर उसे भी मां की तरह बाई का ही काम करना होगा। यह जानने के बाद बच्ची की मां शिक्षा और सपनों के प्रति उसकी उदासीनता हटाने के लिए हर संभव प्रयास करती है।
हिचकी (2018)
रानी मुखर्जी स्टारर यह फिल्म एक ऐसी टीचर की कहानी है जिसे टूरेट सिंड्रोम है। नैना माथुर नाम की महिला, जो कि फिल्म का मैन किरदार है उसे इस बीमारी के चलते लगातार हिचकी आती रहती हैं। इसके कारण नैना को टीचर बनने की कोशिश में 18 बार निराशा हाथ लगती है। 19वीं बार टीचर के तौर पर सेलेक्ट किया जाता है। टीचर के तौर पर नैना के संघर्षों और सफलताओं से यह फिल्म आपको रुबरु कराएगी।