संघर्ष से भरपुर रहा सतीश कौशिक का फिल्मी सफर, 2 साल के बेटे की मौत से लगा था सदमा, इस फिल्म में आने वाले थे नजर
सतीश कौशिक डेथ संघर्ष से भरपुर रहा सतीश कौशिक का फिल्मी सफर, 2 साल के बेटे की मौत से लगा था सदमा, इस फिल्म में आने वाले थे नजर
डिजिटल डेस्क मुंबई। अपने हुनर से सभी के चहरे पर मुस्कान लाने वाले एक्टर, प्रोड्यूसर,राइटर और डायरेक्टर सतीश कौशिक अब हमारे बीच नहीं रहे हैं। सतीश कौशिक का 67 साल की उम्र में हार्ट अटैक से निधन हो गया है। इस सुपरस्टार को बेहतरीन अदाकारी के लिए जाना जाता था। लेकिन अब उनकी यादे ही हमारे बीच रह गई हैं। उनके जाने से पूरे फिल्म जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। बता दें कि, सतीश का फिल्मी सफर संघर्षों से भरपूर था। सतीश ने कड़ी मेहनत के बाद ये मुकाम हासिल किया था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत फिल्म में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर की थी। सतीश को कई फिल्मों में के लिए बेस्ट कॉमेडियन के ऑवर्ड से भी नवाजा गया था। वो एक्ट्रेस कंगना रणौत की फिल्म 'इमरजेंसी' में भी नजर आने वाले थे।
हरियाणा के एक गांव ने निकल कर ऐसे बने स्टार
सतीश कौशिक का जन्म 13 अप्रैल 1956 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई हरियाणा और दिल्ली से की थी। साल 1972 में उन्होंने दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली। फिर एफटीआईआई से एक्टिंग की पढ़ाई की थी। 1980 के आसपास दिवगंत एक्टर ने फिल्मों का स्ट्रगल शुरू किया। एक इंटरव्यू के दौरान सतीश मे बताया था कि, वे एक्टर बनने के लिए मुंबई आए थे, लेकिन एनएसडी और एफटीआईआई से पढ़ा लिखा एक्टर होने के बाद भी उन्हें काम नहीं मिल रहा था। वे एक साधारण परिवार से थे। गुजारे के लिए एक कंपनी में नौकरी किया करते थे। जहां करीब एक साल तक एक्टर ने काम किया। फिर उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 1983 में फिल्म मासूम से बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर की।
सतीश के मन में क्यों आने लगे थे सुसाइड के ख्याल?
सतीश कौशिक को बॉलीवुड में बतौर डायरेक्टर काम मिला फिल्म "रूप की रानी चोरों का राजा" से। ये फिल्म बोनी कपूर ने प्रोड्यूस की थी, जिसमें अनिल कपूर-श्री देवी लीड रोल में थे। ये उस जमाने की सबसे महंगी फिल्म थी। इसका एक सीन जो चलती ट्रेन से हीरे चोरी करने वाला था, कहा जाता है 1992-93 में इस अकेले सीन को फिल्माने में 5 करोड़ रुपए लगे थे। भारी-भरकम बजट और अच्छी स्टार कास्ट के बाद भी फिल्म चली नहीं थी। फिल्म की असफलता को देखकर सतीश के मन में सुसाइड तक के ख्याल आने लगे थे। खुद उन्होंने एक टीवी शो के दौरान इसका खुलासा किया था।
इस फिल्म से मिली नई पहचान
फिल्मों में डायरेक्शन के साथ उन्होंने स्क्रीन पर कॉमेडी करके भी लोगों का दिल जीता। जिसके बाद उन्हें पहचान मिली 1987 में आई फिल्म मिस्टर. इंडिया के कैलेंडर वाले रोल से। जिसके बाद सतीश कौशिक ने करीब तीन दशक तक फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया उन्हें कई फिल्मों जैसे- फिल्म ‘राम-लखन’ और ‘साजन चले ससुराल’ के लिए सतीश को दो बार बेस्ट कॉमेडियन का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिल। उनकी एक्टिंग और मजेदार डायलॉग आज भी लोगों के जुवान पर पर रहते हैं।
2 साल के बेटे की मौत से लगा था सदमा
बता दें कि,सतीश कौशिक की शादी साल 1985 में शशि कौशिक से हुई थी। शादी के कई साल बाद उनके घर में बेटे का जन्म हुआ था। लेकिन सतीश कौशिक की जिंदगी में एक हादसा हुआ था जिसने उन्हें बुरी तरह तोड़ दिया था। 1996 में उनके 2 साल के बेटे का निधन हो गया था। बेटे की मौत का उन्हें गहरा सदमा लगा था, जिससे निकलने में उन्हें काफी समय लगा था। बेटे की मौत के 16 साल बाद साल 2012 में उनके घर सरोगेसी के जरिए किलकारियां गूंजी थी।
कंगना की फिल्म में आने वाले थे नजर
सतीश कौशिक एक्टर कंगना रणौत की अपकमिंग फिल्म 'इमरजेंसी' में नजर आने वाले थे। कुछ समय पहले ही उनका फर्स्ट लुक जारी किया गया था। अगर सतीश कौशिक की यादगार फिल्मों की बात करें तो उन्होंने 'जाने भी दो यारों', 'उत्सव', 'सागर', 'राम लखन', 'स्वर्ग', 'जमाई राजा', 'अंदाज', 'साजन चले ससुराल', 'दीवाना मस्ताना', 'मिस्टर एंड मिसेज खिलाड़ी', 'आंटी नंबर वन', 'बड़े मियां छोटे मियां', 'आ अब लौट चलें', 'हसीना मान जाएगी', 'दुल्हन हम ले जाएंगे', 'हद कर दी आपने', 'क्योंकि मैं झूठ नहीं बोलता', 'हम किसी से कम नहीं', 'अतिथि तुम कब जाओगे', 'उड़ता पंजाब 'और 'फन्ने खां' जैसी फिल्मों में काम किया है।