फिल्म रिव्यू: रिश्तों का अनूठा ताना-बाना पेश करती असरदार फिल्म है 'अल्फा बीटा गामा'
फ़िल्म : अल्फ़ा बीटा गामा कलाकार : निशान ननैया, रीना अग्रवाल और अमित कुमार वशिष्ठ लेखक: मेनका शर्मा और शंकर श्रीकुमार निर्देशक : शंकर श्रीकुमार संगीत : बिप्लव दत्ता निर्माता: मोना शंकर, मेनका शर्मा, जितिन राज और थॉमस पुन्नूस रेटिंग : 4 स्टार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। आज भी हर दूसरी या तीसरी फ़िल्म बड़े पर्दे पर एक प्रेम कहानी के तौर पर भी अवतरित होती है. दो प्रेमियों के रिश्तों की घिसपिटी कहानी हो या फिर कपल के रिश्तों में आई खटास के बाद तीसरे शख़्स की एंट्री हो, हिंदी फ़िल्मों के लैंडस्केप में प्रेमी युगल के रिश्तों को नये अंदाज़ में एक्सप्लोर करने की कोशिशें कम ही नज़र आती हैं. ऐसे में रिश्तों के नये मानी को समझाने वाली और रिश्तों के नये आयामों को पेश करनी वाली फ़िल्म 'अल्फ़ा बीटा गामा' ना सिर्फ़ एक अलहदा किस्म की फ़िल्म है, बल्कि एक फ़िल्म व कहानी के रूप में पर्दे पर एक नया व्याकरण रचने की भी कोशिश करती नज़र आती है.
क्या होता है जब सालों अफ़ेयर करने के बाद एक-दूसरे से शादी करने वाले पति और पति एक दूसरे से अलग हो जाते हैं और फिर पत्नी के जीवन में नये शख़्स के आने के बाद पति को इस बात को शिद्दत से एहसास होता है कि उसे आज भी अपनी पत्नी से इश्क़ है? इस साधारण सी लगने वाली कहानी को निर्देशक शंकर श्रीकुमार ने एक यूनिक सेटिंग दी है. पति, पत्नी और 'वो' के रूप में आने वाले बॉयफ्रेंड यानी प्रेम त्रिकोण के तीनों मुख्य पात्रों को लॉकडाउन के दौरान एक ही घर में 14 दिनों के लिए बंद कर दिया है निर्देशक ने एक अनोखी कहानी के ज़रिए.
'अल्फ़ा बीटा गामा' में जटिल रिश्तों का ऐसा ज्वार देखने को मिलेगा कि दर्शक रिश्तों को नये मानी खोजने की कोशिश करती इस फ़िल्म को देखकर यकीनन सोचने पर मजबूर हो जाएंगे. साथ ही उन्हें रिश्तों को नये आयामों का देखने-समझने का सुखद एहसास भी होगा और आश्चर्य भी.
'अल्फ़ा बीटा गामा' के निर्देशक शंकर श्रीकुमार की बतौर डायरेक्टर ये पहली फ़िल्म है जिसे देखकर आपको इस बात पर यकीन करना मुश्क़िल हो जाएगा कि पर्दे पर जो कमाल आप देख रहे हैं, वो किसी फ़र्स्ट टाइम डायरेक्टर का कमाल है. शंकर श्रीकुमार ने ही 'अल्फ़ा बीटा गामा' की कहानी और पटकथा को मेनका शर्मा के साथ मिलकर लिखा है और लेखनी के डिपार्टमेंट में दोनों ने साझा तौर पर कमाल दिखाया है.
ग़ौरतलब है कि 'अल्फ़ा बीटा गामा' उतनी असरदार फ़िल्म नहीं होती अगर इस फ़िल्म के तीनों मुख्य पात्रों - अमित कुमार वशिष्ठ, रीना अग्रवाल और निशान ननैया ने इस क़दर अपने किरदारों को सशक्त तरीके से जिया नहीं होता. तीनों की अदाकारी सशक्त भी है और क़ाबिल-ए-तारीफ़ भी. फ़िल्म संगीत, संपादन और छायांकन के लिहाज़ से भी एक उत्कृष्ट फ़िल्म है जिसका लुत्फ़ सिनेमा के बड़े पर्दे पर ज़रूर उठाया जाना चाहिए.