कानपुर: राज्यमंत्री संतोष शुक्ला ही नहीं, थाने में कई पुलिसकर्मी की हत्या भी कर चुका है विकास
कानपुर: राज्यमंत्री संतोष शुक्ला ही नहीं, थाने में कई पुलिसकर्मी की हत्या भी कर चुका है विकास
डिजिटल डेस्क, कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में देर रात कुख्यात बदमाशों को पकड़ने गई पुलिस टीम पर हुई ताबड़तोड़ फायरिंग में डीएसपी समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए। हालांकि शुक्रवार सुबह एक मुठभेड़ में पुलिस ने दो बदमाशों को मार गिराया है। जानकारी अनुसार कानपुर जिले में देर रात पुलिस जिस कुख्यात बदमाश विकास दुबे को पकड़ने गई थी उसके खिलाफ 60 से भी ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं। एसटीएफ ने विकास दुबे को 31 अक्टूबर 2017 को लखनऊ के कृष्णानगर क्षेत्र से विकास को गिरफ्तार किया था। कानपुर पुलिस ने उसके खिलाफ 25 हजार का इनाम घोषित कर रखा था। वह कुछ दिन पहले जेल से बाहर आया था। विकास ने 2001 में थाने में घुसकर भाजपा नेता और राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या की थी। इसके बाद उसने राजनीति में एंट्री ली। वह प्रधान और जिला पंचायत सदस्य भी रह चुका है। वह थाने में घुसकर पुलिसकर्मी समेत कई लोगों की हत्या कर चुका है।
युवाओं की बना रखी थी फौज
हिस्ट्रीशीटर विकास कानपुर देहात के चौबेपुर थाना क्षेत्र के विकरू गांव का रहने वाला है। उसने कई युवाओं की फौज तैयार कर रखी है। इसी के साथ वह कानपुर नगर से लेकर कानपुर देहात तक लूट, डकैती, मर्डर जैसे अपराधों को अंजाम देता रहा है। 2000 में विकास ने शिवली इलाके के ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या कर दी थी, जिसमें उसे उम्रकैद की सजा भी हुई थी। इसकी शादी शास्त्री नगर सेंट्रल पार्क के पास रहने वाले राजू खुल्लर की बहन से हुई थी। ब्राह्मण शिरोमणि पंडित विकास दुबे के नाम से फेसबुक पेज बना रखा था।
चुनावी सभा में विवाद की रंजिश के चलते की थी मंत्री की हत्या
संतोष शुक्ला की थाने के अंदर हत्या करने के मामले में जब एसटीएफ ने विकास दुबे को 2017 में लखनऊ से गिरफ्तार किया। पूछताछ में विकास ने बताया था कि 1996 में कानुपर की चौबेपुर विधानसभा क्षेत्र से हरिकृष्ण श्रीवास्तव व संतोष शुक्ला चुनाव लड़े थे। इस चुनाव में हरिकृष्ण श्रीवास्तव ने जीत हासिल की थी। विजय जुलूस के दौरान दोनों प्रत्याशियों के बीच गंभीर विवाद हो गया था, जिसमें विकास दुबे का नाम भी आया था और उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ था। यहीं से विकास की भाजपा नेता संतोष शुक्ला से रंजिश हो गई थी। इसी रंजिश के चलते 11 नवंबर 2001 को विकास ने कानपुर के थाना शिवली के अंदर घुसकर संतोष शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उसका इतना खौफ था कि कोई गवाह सामने नहीं आया। इसके कारण वह केस से बरी हो गया।
- वर्ष 2000 में कानपुर के ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या में भी विकास का नाम आया था।
- वर्ष 2000 में ही कानपुर के शिवली थाना क्षेत्र में रामबाबू यादव की हत्या के मामले में विकास पर जेल के भीतर रहकर साजिश रचने का आरोप है।
- वर्ष 2004 में केबिल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकास आरोपी है।
अपराध से बनाई सत्ता में गहरी पैठ
विकास ने अपने अपराधों के दम पर पंचायत और निकाय चुनावों में कई नेताओं के लिए काम किया और उसके संबंध प्रदेश की सभी प्रमुख पार्टियों से हो गए। साल 2002 में मायावती के मुख्यमंत्री रहते हुए विकास दुबे ने कई जमीनों पर अवैध कब्जे किए। गैर कानूनी तरीके से काफी सारी संपत्ति बनाई। इस दौरान बिल्हौर, शिवराजपुर, रिनयां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में विकास दुबे का दबदबा था।