पत्नि की हत्या के आरोप में पति गया जेल, जमानत लेने के बाद पत्नि को ढूंढ निकाला जिंदा
कागज में मर चुकी महिला निकली जिंदा पत्नि की हत्या के आरोप में पति गया जेल, जमानत लेने के बाद पत्नि को ढूंढ निकाला जिंदा
डिजिटल डेस्क,जयपुर। राजस्थान से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है। एक महिला के कत्ल में पति व उसका दोस्त दोनों जेल में तकरीबन डेढ़ साल से सजा काट रहे थे। जबकि महिला राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी इलाके के विशाल नाम के गांव में अपने दूसरे पति के साथ लगभग सात वर्षों से रह रही है। डेढ़ साल से सजा काट रहे पति को जमानत मिलने के बाद वो मथुरा से राजस्थान के दौसा तक सफर किया। हालांकि, इस पूरे सफर के दौरान मथुरा पुलिस भी मौजूद रही। बता दे कि मथुरा पुलिस ने पत्नी को गिरफ्तार कर अपने साथ ले आई है। पत्नी की हत्या में सजा काट रहे युवक का नाम सोनी सैनी व दोस्त का नाम गोपाल सैनी बताया जा रहा है। वहीं, पत्नी का नाम आरती बताया जा रहा है।
पति सोनू सैनी के मुताबिक , साल 2015 में आरती से मुलाकात हुई थी। मुलाकात के लगभग 20 दिन बाद आरती ने सोनू से संपर्क किया और प्यार होने का दावा किया। इसके अलावा शादी करने की भी इच्छा जताई। जिसके बाद दोनों ने 8 सितंबर 2015 को बांदीकुई कोर्ट जाकर कोर्ट मैरिज कर ली। शादी करने के बाद सोनू महिला को अपने गांव रसीदपुर लेकर चला गया। गांव पहुंचते ही आरती ने सोनू से उसके जायदाद के अलावा फोर व्हीलर को उसके नाम कराने की बात कही और तकरीबन 50 हजार रूपये की मांग की। लेकिन उसकी डिमांड पूरी करने से सोनू ने माना कर दिया। मना करने के 8 दिन के बाद से आरती न जाने कहां लापता हो गई। पत्नी आरती को ढुढ़ने के लिए सोनू ने जयपुर, भरतपुर, अलवर, दौसा व महुवा सभी जगह देख लिया पर उसका पता नहीं चला। आरती के ना मिलने पर सोनू ने डर की वजह से एफआईआर दर्ज नहीं कराई थी। सोनू ने कहा कि अगर एफआईआर करता तो सबसे पहले मैं ही फसता क्योंकि वो अपने घर से भाग कर आई थी। लेकिन आरती जब अपने घर नहीं पहुंची तो उसके पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट 25 सितंबर 2015 को वृंदावन के कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज करवाई। जिसमे सोनू व उसके गांव का नाम शामिल था।
गुमशुदगी दर्ज होने के चार दिन बाद 29 सितंबर 2015 को मथुरा जिले के नहरी क्षेत्र में एक 35 वर्षीय अज्ञात महिला का शव नहर में मिला। आरती के पिता को जब शव को पहचान कराया गया तो उसने बेटी के रूप में मृत शरीर को पहचान लिया। व पिता बनकर शव का दाह संस्कार भी किया। जिसके बाद पिता ने सोनू व उसके दोस्त गोपाल समेत कई और लोगों पर एफआईआर दर्ज करवा दी। जिसके बाद पुलिस ने सोनू को आरोपी मानते हुए 302 के तहत चार्ज शीट दायर की औऱ जेल भेज दिया, लेकिन करीब डेढ़ साल के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट से सोनू को जमानत मिली।
सोनू ने दावा किया कि पुलिस कस्टडी में मुझे काफी टॉर्चर किया जिसमें तरह-तरह के यातनाएं दी गई और कहा गया कि अगर जुल्म कबुल नहीं करेगा तो एनकाउंटर कर देंगे। जिसके डर से मैने हत्या को कबुल कर लिया। सोनू के दोस्त गोपाल कहता है कि हमे हाईकोर्ट से हमारे सेठ ने करीब 10-12 लाख खर्च करके निकाला है। जेल में जाने की वजह से परिवार वालों की स्थिति काफी खराब है। आरती की जानकारी गोपाल को उसके साथ काम करने वाले युवक से मिली। युवक गोपाल के साथ ही काम करता था। युवक ने गोपाल से कहा कि रेबारी समाज के एक घर में यूपी के उरई की लड़की कुछ साल से शादी करके रह रही है। गोपाल को जब बात सुनकर शक हुआ तो उसने दोस्त सोनू को बताया।
योजना के तहत दोनों दोस्तों ने मिलकर एक युवक को स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांव में भेजा। गांव में जाकर युवक ने शौचालय बनाने का झांसा दिया। जिसके बाद से आरती के सारे दास्तवेज पुलिस के पास ले जाकर सोनू ने रख दिए सारे जांच पड़ताल के बाद ये तय हो गया की वो महिला आरती ही है। महिला के जिंदा होने पर अब यूपी पुलिस सवालों के घेरों में है।