टॉस जीतने वाली टीम मैच भी जीती, वर्ल्ड कप में यह क्या हो रहा है?
आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप टॉस जीतने वाली टीम मैच भी जीती, वर्ल्ड कप में यह क्या हो रहा है?
डिजिटल डेस्क, दुबई। यूएई में खेले जा रहे आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप में टॉस एक अहम भूमिका निभा रहा है। जो भी कप्तान टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला करता है, लगभग मैच उसकी ही टीम के पक्ष में जाता है। अभी तक सुपर-12 में 9 मैच खेले गए हैं। इस दौरान एक दिलचस्प बात सामने आ रही है। 9 में से 8 वो टीमें मैच जीती हैं,जिसने टॉस जीता है।
अगर हम बांग्लादेश और इंग्लैंड के बीच खेले गए मुकाबले की बात करे तो बांग्लादेश ने टॉस जीता था मगर मैच नहीं जीत पाई। इसी तरह स्कॉटलैंड बनाम अफगानिस्तान वाले मैच में अफगानिस्तान ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की और स्कॉटलैंड को 130 रन के बड़े अंतर से पराजित किया था।
टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का "गोल्डन रूल"
टी-20 विश्व कप यूएई में खेला जा रहा है और जो भी कप्तान टॉस जीतता है वह पहले गेंदबाजी का फैसला ही करता है क्योंकि दूसरी पारी में ओस एक फैक्टर रहती है और जब ओस गिरती है तो दूसरी पारी में गेंदबाजी करना मुश्किल और बल्लेबाजी करना आसान हो जाता है। वहां पर इस वक्त तापमान 25-30 डिग्री के बीच रहता है। इसका मतलब न तो वह पर ज्यादा सर्दी है और न ज्यादा गर्मी। जिस कारण शाम को वहां पर ओस गिरने लगती है। ओस के कारण गेंदबाजी करना बेहद मुश्किल हो रहा है। क्योंकि गेंदबाजों को गेंद पकड़ने में परेशानी होती है। धीमी गति के गेंदबाजों को भी वह ग्रिप नहीं मिल पाती, जिस के इस्तेमाल से वो गेंद को टर्न कराते हैं।
दूसरा कारण है एशिया महाद्वीप की मिट्टी, एशियाई पिच पहले से बल्लेबाजी के लिए जानी जाती है, क्योंकि यहां का मौसम ट्रॉपिकल है जिस कारण यहां के पिच धीमे ही रहते है और देखा जाए तो पिछले 43 दिन से यूएई में लगातार क्रिकेट खेला जा रहा है। तो जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ता है वैसे ही पिच और स्लो होता चला जाता है, जिस कारण तेज गेंदबाज उस पेस के साथ गेंदबाजी करने में असफल रहते है जिसमें वो सक्षम हैं।
इसका ताजा उदाहरण आप भारत-पाकिस्तान मुकाबले में ही देख लीजिए। पाकिस्तान ने कप्तान बाबर आजम ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। जब मैच शुरू होता है उस वक्त इतनी ओस नहीं होती है मगर ज्यों-ज्यों और वक्त ढलता है तो ओस काफी गिरने लगती है, जिस कारण हमारे गेंदबाजों को फुल-लेंथ गेंदबाजी करने में काफी परेशानी हुई थी।
कोहली ने ओस को लेकर जताई थी चिंता
सभी टीमों के लिए ओस एक बड़ी समस्या बनी हुई है। भारत पाकिस्तान मैच के बाद कप्तान कोहली ने भी इस बात का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि , "ओस भले ही सुनने में आपको छोटा कारण लग रहा हो मगर ये बहुत बड़ा कारण है। ओस के कारण गेंदबाजों को दिक्कत हो रही है। खासतौर पर तेज गेंदबाज जो कि फुल लेंथ की गेंदबाजी करता हो।"
कैसे गेंदबाजों को परेशान करती है ओस
ओस के कारण गेंद की ग्रिप पर सीधा प्रभाव पड़ता है। अलग-अलग गेंदों को फेंकने की ग्रिप भी अलग होती है। गेंदबाज गेंद को कैसे पकड़ता है, इसी बात पर गेंद के प्रकार (इनस्विंग, ऑउटस्विंग, आदि) का पता चलता है। ओस के कारण गेंद चिकनी हो जाती है ओर फिर गेंदबाज जैसी गेंद फेंकना चाहता है वो फेंक नहीं पाता है। गेंद हाथ से स्लिप हो जाती है।
ऐसा हमने शमी और बुमराह के साथ पाक मैच के दौरान देखा भी। जब भी शमी फुल लेंथ की गेंदबाजी करना चाहते हैं तो वह फुलटॉस हो जा रही थी। भारतीय गेंदबाजी की बात करें तो बुमराह और शमी दोनों तेज गेंदबाजी करते हैं। इसके अलावा भुवनेश्वर कुमार और शार्दुल ठाकुर स्लो स्विंग गेंदबाजी करते हैं, लेकिन ओस सिर्फ तेज, तेज स्विंग गेंदबाजों को नहीं बल्कि धीमी गति के गेंदबाजों को भी परेशान करती है क्योंकि मैं स्किल होती है ग्रीप।
टी-20 विश्व कप में अबतक क्या हुआ
सिर्फ अफगानिस्तान की टीम ही ऐसी रही है जिसने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुनी और मैच भी अपने नाम किया। वहीं बांग्लादेश ने इंग्लैंड के खिलाफ टॉस जीता, बल्लेबाजी चुनी लेकिन मैच हार गई। बाकी सात मैचों में टीमें पहले फील्डिंग कर रही हैं और नतीजा उनके पक्ष में रहा है। सवाल है कि क्या वर्ल्ड कप जैसे टूर्नमेंट में ओस इतना अहम किरदार होना चाहिए?