12 साल पहले इतिहास में दर्ज क्रिकेट के लिए काला दिन, खिलाड़ियों को बचाने आर्मी को मैदान पर उतारना पड़ा था हेलीकाप्टर
12 साल पहले इतिहास में दर्ज क्रिकेट के लिए काला दिन, खिलाड़ियों को बचाने आर्मी को मैदान पर उतारना पड़ा था हेलीकाप्टर
डिजिटल डेस्क (भोपाल)। 12 साल पहले आज ही के दिन (3 मार्च 2009) को इंटरनेशनल टेस्ट मैच में ऐसी स्थिति बन गई थी कि क्रिकेटरों की जिंदगी बचाने के लिए आर्मी को हेलीकाप्टर मैदान में उतारना पड़ा था और इसके बाद यह दिन क्रिकेट के इतिहास में काला दिन कहलाने लगा। दरअसल, 2009 में श्रीलंका की टीम पाकिस्तान के दौरे पर थी और पाकिस्तान के लाहौर में स्थित गद्दाफी स्टेडियम में 1 मार्च से सीरीज का दूसरा टेस्ट मैच खेला जा रहा था। लेकिन मैच के तीसरे दिन खिलाड़ियों के साथ जो हुआ उसके बाद मैच ड्रा हो गया और श्रीलंकाई क्रिकटरों को जान बचाकर भागना पड़ा।
इस घटना के बाद पाकिस्तान में इंटरनेशनल क्रिकेट के लिए आईसीसी ने सवालियां निशान खड़े कर दिए और फिर कई सालों तक पाकिस्तान में क्रिकेट खेलने कोई भी टीम नहीं पहुंची। दरअसल, दूसरे टेस्ट के तीसरे दिन की सुबह जब श्रीलंका का क्रिकेटर होटल से स्टेडियम बस में सवार होकर जा रहे थे, तभी आंतकवादियों ने बस पर तबाड़तोड़ फायरिंग करनी शुरू कर दी।
श्रीलंकाई क्रिकेटरों को ले जा रही टीम की बस में सवार कप्तान महेला जयवर्धने, कुमार संगकारा सहित पांच क्रिकेटरों और उनके डिप्टी को मामूली चोटें आईं। इस हमले में अजंता मेंडिस, थिलन समरवीरा और थरंगा परवरिताना भी घायल हो गए। खिलाड़ियों को बचाने में छह सुरक्षाकर्मी और दो नागरिक मारे गए। 1972 के म्यूनिख ओलंपिक के बाद से यह पहली बार था - जहां फिलिस्तीनी आतंकवादियों ने 11 इजरायली एथलीटों को मार डाला था, जिन्होंने खिलाड़ियों को विशेष रूप से टारगेट किया गया था। लाहौर टेस्ट को तुरंत खत्म कर दिया और दौरा रद्द कर दिया गया। 14 महीनों में पहली बार टेस्ट क्रिकेट की मेजबानी करने वाले पाकिस्तान के लिए यह एक बड़ी निराशा वाली खबर थी।
इस टेस्ट मैच के पहले दो दिन में श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 606 रन बनाए थे और पाकिस्तान ने पहली पारी में 1 विकेट के नुकसान पर शानदार शुरुआत करते हुए 110 रन बना लिए थे। उस समय यूनिस खान टीम के कप्तान थे।